Sunday, 31 July 2022

Poem : तीज की छटा निराली

 तीज की छटा निराली


तीज की है, 

 छटा निराली।

छाई है,

हर ओर हरियाली।

मेहंदी से हर,

हाथ रच गये।

दिल के हर,

जज़्बात सज गये।।

हरी हरी चूड़ी,

हरी हरी चुनरी,

हरी ही बिंदी,

होठों पर लाली,

नारी ने प्रकृति सी,

छवि बना ली।।

सज-धज के सारी,

लगे दुल्हनिया।

प्रीत के रंग में,

रंगी है दुनिया।। 

भोलेबाबा का,

अजब रुप है।

माँ पार्वती का,

मोहक स्वरुप है।।

घेवर, अनरसे की, 

सुगंध सुहानी। 

सबको बना रही, 

दिवानी।।

रिमझिम फुहारों की,

 झड़ी लगी है।

झूले पर सखियों की,

पींग बढ़ी है।।

पंछियों के कलरव से,

 समा सुहाना। 

हर्षित हो रहा,

 सारा ज़माना।।

आओ मिल जुल,

हम कजरी गाएं।

सुहागिनों वाला, 

तीज पर्व मनाएं।।

आप सभी को हरियाली तीज की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐🎉

ईश्वर सभी को अखण्ड सौभाग्य प्राप्त करें 🙏🏻🙏🏻