Monday, 5 April 2021

Short story : प्रतिकार

 प्रतिकार


कंगना सुबह घर में सबसे पहले उठ जाती और दिन भर एक पल भी बिना आराम किए, चकरघिन्नी सी नाचती फिरती।

फिर चाहे पापा जी के पांव में मलने का तेल बनाना हो या माँ जी की पूजा के लिए फूल चुनना हो। पति अभिषेक का lunch pack करना हो या छुटकू का tiffin. 

चाहे अपने office जाने की करनी हो तैयारी। 

कोई भी किसी भी काम में उसका हाथ ना बंटाता। 

यही हाल, शाम का भी होता, वो घर बाद में पहुंचती, काम में पहले जुट जाती।

घर आते आते, वो दूध, दही, सब्जी, फल, दवाई आदि लेते हुए आती थी।

कोई काम ज़रा ऊपर नीचे हो जाता, तो लगते सभी गुस्सा होने।

उसको office में जाने के लिए अक्सर late हो जाता था।

आज जब वो देर से पहुंची, तो boss ने उसे ultimatum दें दिया, कि अब एक दिन भी देर से आयी तो fire हो जाओगी।

जब कंगना ने अपने घर में यह बात बताई तो, सारे एक स्वर में बोले, हमें समझ नहीं आता है कि तुम सुबह से उठकर करती क्या रहती हो, जो late हो जाती हो।

कंगना, सबका मुंह देख रही थी कि  कोई एक तो कहे कि वो कितना काम करती है। पर एक भी उसके साथ नहीं खड़ा था।

आज उसे समझ आ रहा था कि वो सालों से कितना कुछ करती आ रही है, उसके बाद भी उसका कोई मोल नहीं है।

उसने उसी समय, सब से कह दिया, अब से वो भी उसी समय उठेगी, जब सब उठते हैं।

सब अपना अपना काम स्वयं करें। नाश्ता, खाना भी अब, वह तब बनाएगी, जब सब उसमें उसका हाथ बंटाएगे। अन्यथा उसकी व्यवस्था भी स्वयं देख लें।

अगले दिन, सच में कंगना देर से उठी। सबने उसे lightly लिया और कोई मदद को नहीं पहुंचा।

कंगना अपना नाश्ता और खाना लेकर, समय से , office निकल गई। घर के सारे काम यथावत पड़े थे। सबको अपने काम स्वयं करने पड़े।

एक दिन में आटे दाल के भाव समझ आ गये।

शाम को जब कंगना खाली हाथ घर पहुंची तो देखा dining table पर दूध, दही, सब्जी,फल व दवाई, सब मौजूद थे। अभिषेक office से लौटते समय सब ले आया था।

माँ जी सब के लिए चाय बना रही थी। छूटकू दौड़कर कंगना के लिए पानी लेकर आ गया था।

कंगना सोच रही थी एक प्रतिकार ने सबको घर में उसका मोल समझा दिया था।