Monday, 4 February 2019

Article : मौनी अमावस्या


मौनी अमावस्या




मौनी अमावस्या, हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या होती है। इसे माघ अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन मनुष्य को मौन रहना चाहिए और गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों, जलाशय अथवा कुंड में स्नान करना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार मुनि शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है। इसलिए इस दिन मौन रहकर व्रत करने वाले व्यक्ति को मुनि पद की प्राप्ति होती है। माघ मास में होने वाले स्नान का सबसे महत्वपूर्ण पर्व अमावस्या ही है। इस दिन स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।

आज क्या करें और कैसे करें

1. प्रातःकाल में नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
2. इस दिन व्रत रखकर जहां तक संभव हो मौन रहना चाहिए। गरीब व भूखे व्यक्ति को भोजन जरूर कराना चाहिए।
3. अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी और गौशाला में भोजन दान करें।
4. आर्थिक रूप से संपन्न हैं तो गौ दान, स्वर्ण दान या भूमि दान भी कर सकते हैं।
5. माघ अमावस्या पर भी पितरों को याद करें, इससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मौनी अमावस्या का महत्व :

माघ अमावस्या पर मौन रहने का विशेष महत्व है। वहीं यदि मौन रहना संभव न हो तो अपने मुख से कटु वचन न बोलें। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक कहा गया है और अमावस्या के दिन चंद्र दर्शन नहीं होते हैं। इससे मन की स्थिति कमजोर रहती है। इसलिए इस दिन मौन व्रत रखकर मन को संयम में रखने का विधान बताया गया है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव दोनों की पूजा का विधान भी है।
कुंभ पर्व में मौनी अमावस्या पर दान का भी खास महत्व है। सम्पूर्ण कुम्‍भ महापर्व में मौनी अमावस्या का स्नान मुहूर्त अन्य सभी स्नान पर्वों में सर्वोत्तम कहा गया है। मौनी अमावस्या के विशेष पुण्यकाल पर स्वयं का उद्धार तथा पितरों को तारने के लिए संगम के अक्षय क्षेत्र में दान का विशेष विधान शास्त्रों में वर्णित है। मौनी अमावस्या कुम्भ में दान करने से अनिष्ट ग्रहों की पीड़ा का शमन होता है और पूरे वर्ष घर में सुख शांति रहती है।