Wednesday, 31 October 2018

Tip : New Horizon Of Taste

New Horizon Of  Taste


Till now you must have  enjoyed chocolate pastries in its usual form. now this tip will take you to a new horizon of taste.


Take dark chocolate pastry like
Chocolate Chips pastry
Chocolate Truffle pastry
Chocolate Marble pastry
Chocolate Divine pastry
Chocolate Belgium pastry
except Black Forest

Microwave it for 30 seconds or till it reaches the stage as in the figure.

Tuesday, 30 October 2018

Kids Story : लालच

लालच

अतिक्ष जैसे जैसे बड़ा हो रहा थाबहुत बड़ा आलसी होता जा रहा थाउसमें लालच भी बढ़ता जा रहा था। और साथ ही साथ उसमें सादे खाने के प्रति अरुचि भी बढ़ती जा रही थी। जिसके कारण जब उसे सादा खाना होता, तो उसकी डाइट कम होती, पर जब चटर-पटर खाना होता तो उसकी डाइट दोगुनी हो जाती। जिसका नतीजा ये होता कि उसका आए दिन पेट खराब ही रहा करता और उसका शरीर भी बेडौल होता जा रहा था।
अतिक्ष जब छोटा था, बहुत सुंदर था, तो सबका बहुत लाडला थापर अभी तो वो ऐसा बेडौल हो गया था, कि किसी का लाडला तो क्या रहेगा, सब के बस हंसी का पात्र बन के रह गया था।
सब के इस तरह मज़ाक उड़ाने से वो बहुत दुखी रहता था, हमेशा मन बनाता कि अब से खूब मेहनत करेगा, और लालच भी नहीं करेगा। पर ये सब बस तब तक ही रहता थाजब तक कोई टेस्टी खाना नहीं दिखता था। और जहां कुछ टेस्टी दिखा, उसका सारा दुख छूमंतर हो जाता था।
उसकी लालच की आदत ने अब उसे बहुत परेशान करना शुरू कर दिया था। उसके पेट के दर्द की फ्रिक्वेन्सी बढ़ने लगी थी। और एक दिन वही हुआ जिसका डर था। डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए बोल दिया।
और ऑपरेशन के बाद डॉक्टर ने उसे हमेशा के लिए सादा खाना खाने के लिए बोल दियाजब माँ अतिक्ष के पास गईं तो वो बहुत रो रहा था। उसको रोता देख कर माँ भी बहुत दुखी हुई।
उन्होंने बताया, डॉक्टर से बात की है, क्या अतिक्ष को सारी ज़िंदगी ऐसे ही रहना पड़ेगा?
तो वो बोले, अगर 5 साल का स्ट्रिक्ट परहेज कर लेगातो आगे से थोड़ा थोड़ा खा सकता है।
अतिक्ष आँसू पोछ्ता हुआ बोला, माँ मैं आपसे वादा करता हूँअब कभी भी लालच नहीं करूंगा और परहेज भी करूंगा। आगे भी ध्यान रखूँगा।
अतिक्ष ने बहुत अच्छे से परहेज किया, जिसके कारण डॉक्टर ने उसे 3 साल में ही थोड़ा बहुत चटर-पटर खाने की परमिशन दे दी।
पर अब अतिक्ष ने कभी लालच नहीं कियाऔर अब वो चटर-पटर कम ही खाया करता।
फिर उसके पेट में कभी दर्द नहीं हुआ।

Monday, 29 October 2018

Story Of Life : नयी सोच


नयी सोच

रागिनी विवाह योग्य हो चली थी, पूरा परिवार एक अच्छे रिश्ते की तलाश में था। यही हाल सुजय के घर का भी था। वहाँ भी सब सुजय के लिए सुयोग्य लड़की ढूंढ रहे थे। वो कहते हैं ना, भगवान ऊपर से जोड़ी बना कर भेजता है। दोनों को ही जानने वाली मधु बुआ ने दोनों के घर बात चलायी। और दोनों परिवार को अपने घर मिलने के लिये बुलवा लिया।
सुजय ने सबको बता दिया था, कि वो मिल कर, बात करके ही अपने जीवन साथी का चुनाव करेगा। सुजय के घर में सब बोले, ठीक है, जो चाहते हो, वही होगा, पर फिर वो जैसी भी हो वो, उसका जिम्मेदार तुम किसी को ना ठहरना। हाँ हाँ, मैं ही जिम्मेदार रहूँगा, सुजय ने बड़े आत्मविश्वास से भरकर बोल दिया।
रागिनी को जब पता चला कि लड़का अकेले मिल कर बात करेगा, तो वो घबराने लगी। उसके भैया बोले, क्यों इतना घबरा रही हो, कॉलेज में भी लड़के हैं ना।
अरे हाँ हैं, घबराई सी वो बोली
तो क्या बस वैसे ही यहाँ भी बात कर लेना।
भैया, आप समझते नहीं हैं, वहाँ तो केवल पढ़ाई से related  ही बात होती है। अब यहाँ पता नहीं कौन सी बात होगी? यूं किसी का देखने आना तो पहली बार होगा, और अगर reject कर दिया तो?
छुटकी, कोई मेरी बहन को reject नहीं कर सकता। और तुम घबराओ नहीं, मैं मिल चुका हूँ, लड़का संस्कारी है। सब ठीक ही रहेगा।
सुजय, अपनी माँ, दीदी, भैया-भाभी सब के साथ आया, तब वो बहुत ही साधारण वेषभूषा में आया था। उसको देखकर रागिनी को उसके प्रति कोई भी खिंचाव नहीं हुआ। कुछ देर बाद सुजय, अलग से बात करने के लिए दूसरे room  में चला गया। रागिनी को भी दीदी उस room में ही ले गईं।
रागिनी को बैठा कर दीदी जाने लगी तो, उसने उनका कस के हाथ थाम लिया। दीदी बोली, छुटकी बैठ, मैं अभी आई, पर दीदी नहीं आयीं।
रागिनी बहुत ज्यादा घबरा रही थी, उसके दिमाग में ना जाने क्या क्या चल रहा था। तभी सुजय बोला, मेरा नाम तो आपको पता ही होगा।
जी, रागिनी धीरे से घबराते, शरमाते हुए बोली ।
अच्छा बात शुरू करने से पहले मैं आपको ये बता देना चाहता हूँ, कि मैं आपको देखने नहीं आया हूँ। आपसे मिलने आया हूँ। और हाँ दूसरी बात, ऐसा नहीं है कि मैं ही आपको reject कर सकता हूँ। अगर मैं आपको अच्छा ना लगूँ, तो आप भी मुझे reject कर सकती हैं।
सुजय की ऐसी बातें सुनकर, रागिनी की सारी घबराहट दूर हो गयी। वो कभी सोच ही नहीं सकती थी, कि कोई लड़का भी इस सोच का हो सकता है। उसके बाद दोनों ने बहुत सारी बात की। जिससे दोनों ही इस नतीजे पर पहुँच गए, कि सरलता, ईमानदारी, और परिवार के प्रति दोनों की सोच एक सी ही थी। दोनों बाहर आ गए। और अपने अपने घर चले गए। वहाँ जब रागिनी ने सुजय के विचार सबको बताए। तो सभी सुजय की तारीफ करते हुए बोलने लगे अरे वाह, अगर ऐसी सोच वाले सब हो जाएँ, तो शायद ये देखने-दिखाने का चलन ही बंद हो जाए। और एक दूसरे से मिलने की नयी रीति शुरू हो जाए, जिसमे लड़का-लड़की दोनों को चुनाव करने का समान अधिकार मिलेगा।
दोनों का विवाह हो गया।  
एक नई सोच ही उच्च स्तर के समाज का गठन करती है     

Saturday, 27 October 2018

Poem : करवाचौथ


करवाचौथ 




व्रत तो करवा चौथ का 
पत्नी रखतीं हैं
पर धड़कनें पति की बढ़ती हैं
हर साल प्रभू से 
यही सवाल करते हैं
हे प्रभु, आपकी हम
पुरुषों से क्या लड़ाई है
क्यों खर्चा बढ़ाने वाली
इतनी तिथियां बनाई है
कभी जन्मदिन
कभी एनिवर्सरी
बची कमर तोड़ने 
करवा चौथ भी चली आई है
प्रभू बोले, अरे नादान क्यों 
पैसे पैसे को रोता है
इन सबके लिए ही तो 
काम का बोझ ढोता है
यही सब कारण ही
जिंदगी को जिंदगी बनाते हैं
खुशियों के पल दे कर
नीरसता हटाते हैं
पत्नी का प्रेम, तपस्या, व्रत
क्या तुझे नहीं दिखता है
इन सबके आगे पैसा 
कहां टिकता है
तेरे पीछे, वो अपनी 
भूख प्यास सब छोड़ देती है
बदले में एक तोहफा
तेरे प्यार की किश्त ही तो होती है

Friday, 26 October 2018

Recipe : Papite ka halwa

Tomorrow is Karwa chauth. We prepare many dishes for “Sargi” (the early morning meal before fasting). This time you can try this new sweet dish. I am sure that you will like it. Even if you are not fasting, you can also try this ‘halwa’. It’s a sweet dish as yummy as healthy.

Papite ka halwa 




Ingredients :

  1. Raw Papaya – 500 gm.
  2. Clarified Butter (Ghee) – 2 ½ tbsp
  3. Khoya(crumbled)-  150 gm.
  4. Sugar – 350 gm. Or as per your taste


Method:

  • Thickly peel out the papaya & remove its entire inner layer of seed side. If the peeling from inside & outside is not done properly, the taste of halwa would get affected.
  • Now, grate the papaya & keep it aside.
  • Take a wok & keep it on medium flame, with ½ tbsp clarified butter(Ghee).
  • Then, place all the papaya into the wok. After stirring it for a while, close it with a lid.
  • After 5-10 minutes, add sugar and stir the mixture well. Then, cover the lid again.
  • Now, keep stirring & closing the lid after every 5-10 minutes, till the mixture is fully done.
  • Add crumbled khoya & rest ghee into the mixture, now; and sauté it well.
  • Now, after every 5-10 minutes stir the mixture well, till it attains a slightly pinkish colour.


Thursday, 25 October 2018

Poem : नहीं, वो तुम नहीं हो

नहीं, वो तुम नहीं हो




कल मिला रास्ते में कोई
नैन नक्श तुमसे ही थे
रंग रूप भी तुम सा ही था
वो जब सामने से निकली
तो मैं कुछ क्षण ठिठका भी था
पर तभी दिल ने कहा
नहीं, वो तुम नहीं हो
होतीे गर तुम, तो ठहर जाती
पास मेरे चली आती 

वही हंसी, वही खनक
आंखों में थी वैसी चमक
जुल्फों को वैसे ही लहराना
अदाओं से दीवाना बनाना
पर तभी दिल ने कहा
नहीं, वो तुम नहीं हो
होतीे गर तुम, तो ठहर जाती
पास मेरे चली  आती

चली गयी हो तुम दूर
पर दिल में मेरे
अब भी यहीं हो
इस कदर ज़हन
में समायी हो
गर झलक मिलती
है, किसी से
लगता है सामने
तुम आयी हो
पर तभी दिल ने कहा
नहीं, वो तुम नहीं हो
होती गर तुम, तो ठहर जाती
पास मेरे चली आती

Wednesday, 24 October 2018

Article : 'शरद पूर्णिमा' और पूर्णिमा से क्यों ख़ास


'शरद पूर्णिमा' और पूर्णिमा से क्यों ख़ास 


पुराणों के अनुसार कुछ रात्रियों को विशेष महत्व दिया गया है। जिनमें हैं शिवरात्रि, नवरात्रि और उन्हीं में शामिल हैं शरद पूर्णिमा की रात्रि।
चन्द्र को देवों में औषधियों का देवता माना गया है। कहा जाता है, इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होकर अमृत की वर्षा करता है। शीतलता के प्रतीक चन्द्र देव को प्रसाद भी शीतल ही चढ़ाया जाता है। अतः आज के दिन चावल की खीर के भोग का विशेष महत्व है। रात्रि में चाँद निकल आने के पश्चात चावल की खीर को बर्तन में रख कर कुछ घंटों के लिए इस तरह रखा जाता है, कि उसमे चंद्रमा की सीधी किरणें पड़े। ऐसा माना जाता है, इस खीर का सेवन करने से पुनर्योवन शक्ति और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
लंकाधिपति रावण भी शरद पूर्णिमा की रात्रि को दर्पण के माध्यम से चंद्र की किरणों को एकत्र कर अपनी नाभि में अमरत्व क्षमता को बढ़ाया करता था।
ये तो रही पौराणिक बातें, पर हमारे युवा, पौराणिक नहीं अपितु विज्ञान में विश्वास रखते हैं। वैज्ञानिक सिद्धांतों व तथ्यों ने भी इसकी पुष्टि की है कि शरद पूर्णिमा में औषिधियों की स्पंदन क्षमता अधिक बढ़ जाती है,जिससे  ओसमोसिस प्रोसैस होने में रक्तिकाओं में एक विशेष ध्वनि उत्पन्न हो जाती है।
साथ ही सोमचक्र, नक्षत्रीय चक्र व अश्विन के त्रिकोण के कारण शरद ऋतु से ऊर्जा का संग्रह होता है।
अतः शरद पूर्णिमा की रात्रि को चाँदनी रात में भ्रमण करने से रोगों का नाश होता है। यहाँ तक कि दमा के मरीजों के लिए तो ये राम बाण है।       
खीर बनाने का महत्व- वैज्ञानिकों के अनुसार दूध में लैक्टिक अम्ल व अमृत तत्व होता है, ये तत्व चंद्र की किरणों से अधिक तेज़ी से ऊर्जा को शोषित करने की क्षमता रखता है, चावल के स्टार्च से ये प्रक्रिया और तेज़ी से हो जाती है। इसीलिए खीर को खुले आसमान के नीचे रखा जाता है।  जिससे खीर में चंद्र किरणों के औषधिय गुण समाहित हो जाएँ, और उसका सेवन करके हम में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाए।
चाँदी का बर्तन - खीर को यदि चाँदी के बर्तन में रखा जाए, तो इसकी औषधीय क्षमता और अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि चाँदी में प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है, व इससे विषाणु दूर रहते हैं।
शरद पूर्णिमा को कोजागर पूर्णिमा भी कहते हैं। बंगाल, उड़ीसा में आज के दिन ही लक्ष्मी माँ की पूजा की जाती है। कहा जाता है, आज की रात लक्ष्मी माँ ये देखने निकलती हैं, कि कौन जाग रहा है? इसी कारण इसे कोजागर पूर्णिमा भी कहते हैं। जो जाग रहा होता है, माँ उसे धन-धान्य प्रदान करती हैं। और सोने वाले के घर में निवास नहीं करती हैं।
जब भी पूर्णिमा होती है, चाँद पूर्ण होता है। तो वो रात तो वैसे ही अपनी अलग छटा बिखेर रही होती है। फिर अगर रात शरद पूर्णिमा की हो, तो सोने पे सुहागा हो जाता है, एक तो रात हसीन, उस पर आप इस रात को घूमेंगे तो निरोगी भी हो जाएंगे। तो सोच क्या रहे हैं। बढ़िया सी चावल की खीर बनाएँ, चंद्र देव को भोग लगाएँ, खीर रूपी प्रसाद का सब के साथ उसका आनंद लें फिर अपने पूरे परिवार के साथ रात्रि-भ्रमण अवश्य कीजिये।
सब का साथ हो, और निरोगी काया हो, बस यही तो ज़िंदगी का सार है।

Tuesday, 23 October 2018

Kids Story : जलन

जलन


रचना के पापा का Bombay में नया नया transfer हुआ था। उसका school  में admission  होने में कोई दिक्कत नहीं हुई। एक तो उसके पापा IAS Officer थे। दूसरा वो पढ़ने में होशियार भी बहुत थी। जल्दी ही उसकी दो दोस्त भी बन गयीं। उनका भी new admission था। उनके school में सुनन्दा का बहुत नाम था। वो सभी field में expert थी। रचना अभी तक जितनी भी cities में गयी थी, सभी जगह उसके पापा के कारण उसे special treatment मिलता था। जिससे वो थोड़ी घमंडी भी हो गयी थी।
पर इस school में सुनन्दा के आगे उसकी कोई value नहीं थी। जिसके कारण वो सुनन्दा से चिने लगी। एक दिन स्कूल में रंगोली competition  था। रचना और सुनन्दा दोनों ही रंगोली में expert थे। जब दोनों की पूरी रंगोली बन गयी, तो ये समझ पाना मुश्किल हो रहा था, कि first  कौन आएगा। निर्णायक लोगों को ½ घंटे में आ कर निर्णय लेना था।
तभी रचना को एक युक्ति सूझी। उसने वहाँ लगे fan को सुनन्दा की रंगोली की तरफ मोड़ दिया, जिसका नतीजा ये हुआ कि सुनन्दा की रंगोली के सारे रंग mix हो गए। ये देख कर सुनन्दा मायूस हो गयी। उसे ठीक करने का समय भी उसके पास नहीं था। सुनन्दा का मायूस चेहरा देख कर रचना बहुत खुश हुई। और अपनी रंगोली के पास आकर खड़ी हो गयी।
निर्णायक गण आ गए। सब की रंगोली के पास आ कर वो देखते जा रहे थे। पर एक रंगोली ऐसी थी, जिसको देखने के बाद वो आगे बढ़े ही नहीं।
अब result की बारी थी। 3rd, 2nd का नाम घोषित हो चुका था। पर अब तक रचना और सुनन्दा दोनों में से किसी का भी नाम नहीं पुकारा गया था। सब सोच रहे थे, कि अब किसका नाम पुकारा जाएगा। पर रचना अच्छे से जानती थी, कि अब वो ही 1st आएगी। और फिर 1st का नाम भी बुलाया गया, रचना का सोचना एकदम सही निकला, रचना 1st आई। सुनन्दा आज पहली बार हारी थी। उसके आँसू थम नहीं रहे थे। सब वापस अपनी class की ओर जाने लगे। तभी एक आवाज़ आई। आप सब जानना नहीं चाहेंगे, इस बार से एक extra ordinary award भी शुरू किया गया है, वो किसे मिला है? extra ordinary means first से भी आगे!
सब वहीं रुक गए। वो है सुनन्दा!
सुनन्दा! पर उसकी रंगोली तो खराब हो गयी थी ना? रचना बुदबुदाई।
जी हाँ, यही वो बच्ची है, जिसने ये prize जीता है। आइये, आप सब मेरे साथ। सबने जा के देखा, मिले हुए रंगों से बहुत सुंदर back ground  में सफेद रंग से राधा- कृष्ण की नृत्य की रंगोली बनी थी। निर्णयक ने सबसे बोला। आप सब इस रंगोली को ध्यान से देखें तो लगेगा, जैसे यहाँ सच में राधा-कृष्ण रासलीला हुई हो, इस बच्ची ने कितना सुंदर रंग बिखेरा है।
सब अद्भुत अद्भुत कह उठे। सच, सारे टीचर भी बोल उठे, आज तक तो सुनन्दा ने भी इतनी अच्छी रंगोली कभी नहीं बनाई थी। रचना किसी को नहीं बता पा रही थी, रंगों की छटा सुनन्दा ने नहीं उसने बिखेरी है। आज तो सुनन्दा को और भी ज्यादा वाह-वाही मिल रही थी। जैसे आग में तप के सोना निखर गया हो।
रचना तो सुनन्दा को down करना चाह रही थी, पर आज उसकी जलन ने सुनन्दा को और ज्यादा famous कर दिया

Monday, 22 October 2018

Story Of Life : सोने का पिंजरा

सोने का पिंजरा

गौरी, अपने नाम सी बेहद गोरी, सुंदर और चुलबुली लड़की थी। उसके गाँव में उस सा सुंदर कोई भी नहीं था। उसे अपने रूप का बेहद घमंड भी था। जितनी वो सुंदर थी, उतनी ही नकचड़ी भी थी। उसके पैर तो कभी एक जगह टिकते ही नहीं थे। कभी नदी में, कभी आम के पेड़ पे, तो कभी किसी के खेत में, उछलकूद करती ही मिलती। और शाम में दोस्तों के साथ कभी चाट-पकौड़ी, कभी नाटकनौटंकी में चल देती। कुम्हार की बेटी थी, पर उसके सपनों का तो क्या कहना, रानी कैसे बन जाए बस यही दिन रात सोचा करती।
दोस्त, रिश्तेदार उसे heroine कहा करते थे, तो वो भी सोचा करती कि, क्यूँ ना फिल्मों के लिए जाया जाए। पर उसके पिता इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं थे, फिर मुंबई दूर भी बहुत था।
पर कभी कभी भगवान भी मेहरबान हो जाते हैं, शायद यही कारण था, कि एक hit director ने अपनी shooting  की location में उसी के गाँव को चुन लिया।
सभी बड़े प्रसन्न थे, कि गाँव में shooting होगी। जब shooting चल रही थी। तब गौरी, एक भी दिन बिना देरी किए आकर, सबसे आगे खड़ी होती, और heroine की नकल किया करती। अपनी सुन्दरता और नौटंकी के कारण director की भी नज़र उस पर पड़ गयी थी।
गाँव के हवा-पानी में heroine की तबीयत खराब होने लगी, तो उसने director से गाँव में shooting करने को मना कर दिया।
Heroine इस फिल्म में नई थी, और शायद गौरी की किस्मत भी बुलंदी पर थी। director ने heroine को निकाल दिया और role गौरी को offer किया। गौरी को भी रोज रोज सुनकर dialogue याद हो गए थे। उसने तुरन्त एक ही take में seen ok कर दिया
Director गौरी के पिता के पास आ गए, कि वो उसे acting कर लेने दें। पर उसके पिता नहीं मान रहे थे। जब director बोले वो गौरी को 75 लाख देंगे। तो उसके पिता और गौरी दोनों कुछ देर के लिए सुन्न पड़ गए। पर फिर उसके पिता तैयार हो गए।
गौरी की shooting का एक हिस्सा खत्म हो गया था। बाकी भाग के लिए उन्हें मुंबई जाना था। गौरी बहुत खुश थी, वो अपने सपनों की नगरी जा रही थी। गौरी ने director से कहा, उसके पिता भी चलेंगे। Director ने कोई आपत्ति नहीं उठाई। सब लोग मुंबई आ गए।
मुंबई में shooting शुरू हो गयी, बहुत कड़ी मेहनत थी, दिन रात का कोई ठिकाना नहीं था। मौसम के थपेड़े भी झेलने होते और साथ ही शुरू हो गयी गौरी पर पाबंदी। वो कहीं अकेले नहीं जा सकती थी। चाट-पकौड़ी मना हो गयी, केवल diet food ही खाने की हिदायत थी, और मुंबई के समुद्र में भी जाने को नहीं मिल रहा था।
इन सब बातों से गौरी तंग हो गयी। आज उसे समझ आ रहा था, कि जिसे वो ऐश कि ज़िंदगी समझ रही थी, वो तो सोने का पिंजरा था। जहाँ सोने-चाँदी, एशो-आराम के साधन की तो कोई कमी नहीं थी। पर उनके लिए अपनी आज़ादी, अपनी पसंद, अपने लोग, सबसे दूरी हो गयी थी। जिस गाँव से उसे बेहद लगाव था, कई महीनों से वो वहाँ जा तक नहीं पा रही थी। उसके कोई दोस्त आते, तो उन्हें मिलने नहीं दिया जाता, क्योंकि director नहीं चाहते थे, कि फिल्म के release होने से पहले फिल्म की story leak होउन्हें डर था, कहीं गौरी excitement में अपने दोस्तों को film की story न बता दे।
उसने advance में पैसे ले लिये थे, जिससे वो फिल्म ख़त्म होने तक नहीं निकल सकती थी। पर उसको अब हर दम इस सोने के पिंजरे से निकलने की लालसा थी।