Friday, 1 April 2022

Article : हिन्दू नवसंवत्सर (नववर्ष) 2079

 हिन्दू नवसंवत्सर (नववर्ष) 2079 




सभी धर्मों में, देशों में, किसी एक माह की एक तिथि को नववर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित किया जाता है। भारत में वो माह है, चैत्र माह, जो कि अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार अप्रैल का महीना है। और तिथि है, चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा, जिसके अनुसार इस बार नववर्ष 2 अप्रैल को होगा। 

अर्थात् चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष शुरू हो रहा है। हिंदू नववर्ष यानी नया संवत्सर 2079, 2 अप्रैल से शुरू होगा। मान्यता है कि इस दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की संरचना की थी। 

आप स्वयं सोचिए, जिस महीने में हमारे परमेश्वर ब्रह्मा जी ने सृष्टि की संरचना की थी, वह महीना मूर्ख दिवस के रूप में किस प्रकार मनाया जा सकता है?

कहा जाता है, जब भी किसी भी देश पर सशक्त शासन करना हो तो, उसका सबसे सफल मंत्र यह है कि वहाँ की संस्कृति, सभ्यता और धरोहर को नष्ट कर दो या कलुषित कर दो।

ऐसा करने से आप के द्वारा किए गये शासन का प्रभाव सिर्फ तब तक नहीं रहेगा, जब तक आप प्रत्यक्ष रूप से शासन कर रहे हैं, बल्कि आप का शासन तब भी प्रभावशाली रहेगा, जब आप वहाँ प्रत्यक्ष रूप से ना हो। 

इससे जिसने शासन किया था उसकी, सत्ता, आस्था, संस्कृति, सभ्यता और धरोहर की आने वाली पीढ़ियाँ भी जीवन पर्यन्त गुलाम रहती हैं।

हिन्दू धर्म और संस्कृति सभ्यता, इतनी अधिक उत्कृष्ट थी कि उसके आगे कोई भी धर्म नहीं टिक सकता था। अतः उस को कलुषित और नष्ट करने की चालें सदैव चली गईं, इसी कारण, भारत में शासन के काल से ही मुगलों और अंग्रेजों ने यही नीति अपनाई। यही कारण है कि अकबर महान था, शिवाजी नहीं, महाराणा प्रताप नहीं। 

हमारे पाठ्यक्रम और सम्मान में जो जगह अंग्रेजी को मिली हुई है वह हिंदी भाषा को नहीं।

जबकि अगर आप को इतिहास के सत्यता से भरे हुए पन्ने को पढ़ने का अवसर मिलेगा तो आप को ज्ञात होगा कि शिवाजी और महाराणा प्रताप की महानता के आगे तो छोड़ दीजिए, बहुत से भारतीय राजाओं के आगे अकबर कुछ नहीं था।

वैसे ही हिन्दी भाषा हर क्षेत्र से अंग्रेजी से उन्नत है, समृद्धशाली है। 

अंग्रेजों की, उसी षड्यंत्र की सोची समझी चाल थी कि हिन्दूओं के पवित्र महीने को मूर्ख दिवस में परिवर्तित कर दिया। जिससे उनके द्वारा निर्धारित किए गए, 1 जनवरी को नववर्ष और हमारे नववर्ष को मूर्ख दिवस के रूप में मनाया जाए। 

पर सबसे ज्यादा अफसोस कि बात यह है कि वो उसमें ना केवल तब सफल हुए, बल्कि आज भी इस दिन को मूर्ख दिवस के रूप में ही मनाया जाता है, अतः आज तक सफल हैं।

तब की मजबूरी समझ आती है कि लोग गुलाम थे और जो कमज़ोर और कायर लोग थे, उनके लिए अंग्रेजों की नीति को मानना एक बाध्यता थी। 

पर आज तो हम स्वतंत्र है, सशक्त हैं, तब किस बात की बाध्यता और असमर्थता है कि हम आज भी अपने नववर्ष को मूर्ख दिवस के रूप में मनायें?

हम सभी हिन्दुओं को जागृत होना होगा, हम सभी को अपनी संस्कृति, परंपरा और विरासत को पुनः सहेजना है। उसके लिए पुनः मन में आस्था और श्रद्धा को जगाना होगा।  

सबसे अधिक प्रसन्नता की बात यह है कि हिन्दू जागृति प्रारंभ हो चुकी है, हमें उसी राह पर आगे बढ़ते हुए सर्वश्रेष्ठ, सशक्त सत्य सनातन को पुनः स्थापित करना है।

हमें पुनः अपने नववर्ष को हर्षोल्लास पूर्वक मनाना होगा, पुनः उसे वहीं सम्मान दिलाना होगा, जो 1 जनवरी को प्रात है।

उसके लिए, सबसे पहले मूर्ख दिवस को मानने का अंत करें। वैसे भी किसी को नीचा दिखाकर कभी सम्मान नहीं मिल सकता। सम्मान दूसरे के साथ से, उनके विकास से प्राप्त होता है। 

अगर आप 1 जनवरी को नववर्ष के रूप में हर्षोल्लास से मना सकते हैं तो क्या अपने नववर्ष को हर्षोल्लास से नहीं मना सकते?

इसमें बहुत ज्यादा कुछ करना भी नहीं है, आप अपने घर के मंदिर की साफ-सफाई करें। मंदिर को फूलों से सजाएं,  दीप प्रज्जवलित करें, प्रसाद भोग बनाकर या मंगाकर चढ़ाएं, कुछ भजन-कीर्तन करें। बड़ों का पैर छूकर  आशीर्वाद लें और छोटे बच्चों को स्नेह प्रदान करें।

आप सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐🎉

जय श्रीराम 🚩  जय हिन्द जय भारत 🇮🇳