Tuesday, 5 November 2019

Story Of Life : सुहागन या कुँवारी

सुहागन या कुँवारी  


अनंत और आरती का जीवन सुख से चल रहा था, शादी के चार साल बाद आरव हुआ था। आरव के होने से पूरे ससुराल में सब आरती को और ज्यादा प्यार करने लगे थे।

आरती का बहुत दिनों से शिमला जाने का मन था, पर वो टल ही रहा था। आरव के एक साल के होने के बाद घर से भी घूमने जाने की permission मिल गयी।

अनंत train का reservation देखने लगा तो, आरती कहने लगी, इस बार कार से चलेंगे, फिर दिल्ली से शिमला दूर ही कितना है?

अनंत बोला, मुझ से पहाड़ों पर drive नहीं होगा।

आरती बोली, आप सिर्फ घबराते हैं, मेरी तो सारी दोस्त कार से जाती हैं। वो बोल भी रहीं थीं, अपनी कार से जाने का मज़ा ही अलग है।

अनंत ने आरती की बात मान ली, वो लोग कार से निकले।

शिमला में घूमते हुए भी अनंत comfortable नहीं था। 

जिसका नतीजा ये हुआ कि उन लोगों का बहुत बड़ा accident हो गया। जिसमें आरव को बिल्कुल चोट नहीं लगी, क्योंकि उस समय वो पीछे सो रहा था। अनंत को चोटें आयीं, पर आरती का बहुत बुरा हाल था। क्योंकि accident का impact उसकी तरफ ही था।

दोनों को hospital में admit किया गया। हफ्ते भर बाद ही अनंत को discharge मिल गया। पर आरती coma में चली गयी। इस बात से पूरा घर shock में आ गया।

अब अनंत दिन रात आरती के coma से लौट आने का इंतज़ार कर रहा था, उसकी तो मानो ज़िंदगी ही थम सी गयी थी। 

वो हर पल उस लम्हे को कोसता रहता, जब उसने आरती की बात मानी थी।

दिन महीने साल गुजरते जा रहे थे, पर आरती coma से वापस ही नहीं आ रही थी।

धीमें-धीमें सब वापस अपने काम में यथावत लग गए। आरव की 
खातिर सब अनंत को समझाने लगे, कि उसे अब ज़िंदगी में वापस लौटना होगा। आखिर उस बच्चे का क्या कसूर है, जो उसे माँ का प्यार नहीं मिल रहा है, और उसके इस रवैये से पिता के प्यार से भी वंचित रहना पड़ रहा है।