Thursday, 3 May 2018

article : "मेरी बेटी मेरा अभिमान"

A real incident is received as comment to my story विडम्बना, which is worth sharing with all. Its not only worth sharing, its worth taking learning & following the act of the parents in this real life incident. This will change the face of our Society & thereby of our Nation. For enabling easy reading for all, I am reproducing the said comment




"मेरी बेटी मेरा अभिमान" 



Nice story ma'am..Your story reminded me the real life incident of mine..I am sharing the same with you..

छोटी बेटी के लिए स्कूल से मैसेज आया... 

your ward has been selected as the best all rounder student of the class..

अगले दिन हमें बच्चों के स्कूल बुलाया गया ।

स्कूल के ऑडिटोरियम में बैठे हुए मेरा मन वर्ष पूर्व की अतीत की स्मृतियों में खो गया...

आपकी पहली भी बेटी है न ...

यह नंबर लीजिए ...

अपने माह के गर्भ की नियमित जांच करवा कर डॉक्टर के क्लीनिक से निकलते समय किसी महिला की आवाज ने हमें टोका... 

पीछे मुड़कर देखा डॉक्टर साहिबा की नर्स ने धीरे से हाथ में एक पर्ची दबा दी....

अब की बार जांच करा लेना... 

फिर से लड़की हो तो.....

वह कहते कहते रुक गई हमने एक दूसरे की ओर देखा और पर्ची उसके हाथ में वापस थमाते हुए कहा ....

जो भी हो हम उसे हटाएंगे नहीं...

घर की ओर लौटते समय हम विस्मित थे!!

लिंग निर्धारण पर इतने सख्त कानून की व्यवस्था होने के बाद भी ये ग़ैर क़ानूनी धंधे ....

तभी तालियों की गड़गड़ाहट मुझे वर्तमान समय में खींच लायी..

बेटी के साथ हमें भी स्टेज पर आमन्त्रित किया जा रहा था....

स्टेज की सीढियाँ चढ़ते समय ये पंक्तियां मुझे सटीक प्रतीत हो रहीं थीं...

"मेरी बेटी मेरा अभिमान"

लेखिका :निमिषा श्रीवास्तव