Monday, 7 March 2022

India's Heritage : महाराजा दिग्विजय सिंह जडेजा जी

 महाराजा दिग्विजय सिंह जडेजा जी


आज India's heritage के segment में हम ऐसे महाराजा के विषय में बताने जा रहे हैं, जिनके विषय में जानकर आपको गर्व महसूस होगा।

जैसा की हम जानते हैं कि Russia के सैन्य हमलों के बीच Ukraine से निकल रहे Indian students को पड़ोसी देश Poland का बड़ा सहारा मिल रहा है। Poland में उनके रहने-खाने और अन्य ज़रूरी सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं। पर ऐसा है क्यों? आप ने कभी सोचा है?

आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं। 

ऐसा इसलिए है क्योंकि कभी India ने Poland के सैकड़ों बच्चों को पनाह दी थी। उस वक्त खुद Poland इसी Russia के हमले का शिकार हुआ था।

जगत कल्याण की भावना भारतीय जनमानस में, परंपरा से रची-बसी हुई है। Poland ने इसका ऐसा अनुभव किया कि भावविभोर होकर चौराहे, park, school को India के एक महाराजा का नाम दे दिया। 

आखिर वो राजा थे कौन? और उन्होंने ऐसा भी क्या किया था? जो Poland आज भी उनका शुक्रगुज़ार हैं।

Second World War :

Second World War के दौरान वर्ष 1939 में Germany ने Poland पर हमला बोल दिया। Germany के तानाशाह हिटलर और USSR के तानाशाह स्टालिन के बीच गठजोड़ हुआ। German attack के 16 दिन बाद USSR सेना ने भी Poland पर attack बोल दिया। दोनों देशों का Poland पर कब्जा होने तक भीषण तबाही मची। हजारों सैनिक मारे गए और भारी संख्या में बच्चे अनाथ हो गए। वो बच्चे camps में बेहद अमानवीय हालात में जीने को मजबूर हो गए। 

दो साल बाद 1941 में Russia ने इन camps को भी खाली करने का फरमान जारी कर दिया। 

Camps में रहने वाले बच्चे और औरतें बेसहारा हो गये, कहीं कोई उनको सहायता देने को तैयार नहीं था। ऐसे में जामनगर, गुजरात के महाराजा दिग्विजय सिंह जडेजा जी ने उनकी सहायता की। उस समय जामनगर को नवानगर कहते थे।

दिग्विजय सिंह जडेजा की दरियादिली :

1942 में 170 अनाथ बच्चों का पहला जत्था नवानगर पहुंचा। फिर अलग-अलग जत्थों में करीब 1,000 असहाय Polish बच्चे India आए। महाराजा दिग्विजिय सिंह जी ने उन्हें, नवानगर से 25 k.m. दूर बालाचाड़ी गांव में शरण दी। महाराजा ने बच्चों का ढाढस यह कहकर बंधाया कि अब वो ही उन बच्चों के पिता हैं।

बालाचाड़ी में हर बच्चे को कमरों में अलग-अलग बिस्तर दिया। वहां खाने-पीने, कपड़े और स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ उनके खेलने तक की सुविधा सुनिश्चित की। बच्चों के लिए एक football coach रखा। वो बच्चे अपनी जड़ों से कटा महसूस नहीं करें, इसलिए एक library बनवाई और उसमें Polish भाषा की किताबें रखवा दीं। Polish त्यौहार भी धूम-धाम से मनाए जाते। ये सभी खर्च महाराजा ने खुद उठाया, उन्होंने कभी कोई रकम Poland सरकार से नहीं ली।

महाराजा की महानता नहीं भूला पोलैंड :

1945 में विश्वयुद्ध खत्म होने पर Poland को USSR में मिला लिया गया। अगले वर्ष, Poland की सरकार ने India में रह रहे बच्चों की वापसी की सोची। उसने महाराजा दिग्विजिय सिंह जी से बात की। महाराजा ने Polish सरकार से कहा कि आपके बच्चे हमारे पास अमानत हैं, आप जब चाहें ले जाएं। महाराजा ने हामी भरी तो बच्चों की वापसी हो गई।

43 वर्ष बाद 1989 में Poland, USSR से अलग हो गया। स्वतंत्र Poland की सरकार ने राजधानी Warsaw के एक चौक का नाम दिग्विजय सिंह के नाम पर रख दिया। हालांकि, महाराजा का निधन 20 वर्ष पहले 1966 में हो चुका था। फिर 2012 में  Warsaw के एक park को उनका नाम दिया गया। 2013 में Warsaw में फिर एक चौराहे का नाम 'Good Maharaja square' दिया गया। इतना ही नहीं, महाराजा दिग्विजय सिंहजी जडेजा को राजधानी के लोकप्रिय Bednaraska high school के honorary patron का दर्जा दिया गया। Poland ने महाराजा को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान, The Grand Cross of Order of Merit of the Republic of Poland भी दिया। 

आज Poland, महाराजा दिग्विजय सिंह जडेजा को याद करते हुए Indian students की उसी तरह से मदद कर रहा है।

महाराजा दिग्विजय सिंह जडेजा जी आप को शत् शत् नमन 🙏🏻 

आज आप के द्वारा किए गए सत्कर्मों का फल Indian students को मिल रहा है।

हम भारतीयों की परंपरा, संस्कृति और विरासत सभी इतनी अच्छी है कि जो कोई उसके सानिध्य में आया, उसी रंग में रंग गया।

हम सभी को भारत पर गर्व करना चाहिए और ईश्वर को कोटि-कोटि धन्यवाद देना चाहिए कि उन्होंने हमें भारतीय बनाया।

जय हिन्द जय भारत 🇮🇳