Tuesday, 23 March 2021

Poem: वीर भगतसिंह

वीर भगतसिंह 




वो रणबांकुरा था कमाल,

भारत माता का वो लाल।

अपना रणकौशल दिखा गया,

अंग्रेजी शासन हिला गया।।


बालक जब वो नन्हा था,

तब से आजादी सपना था।

भारत माँ को आज़ाद करना,

उसका लक्ष्य अपना था।।


जब आई जवानी उस पर,

वो काल विकराल बन गया।

वो एक अकेला, करोड़ों सा,

अंग्रेजों के जी का जंजाल बन गया।। 


वो आजादी का मतवाला,

बहुत अधिक विद्वान था।।

उसको अंग्रेजों की कुटिलता का, 

हर चाल का ज्ञान था।।


इंकलाब जिंदाबाद का नारा था,

भगतसिंह उसका नाम था।

भक्ति करना भारत माँ की,

बस यही उसका काम था।।


वो मात्र 23 का था,

23 मार्च को ही चला गया।

पर अपने जाने से पहले,

आजादी की मशाल जला गया।।


आजादी को नववधू बनाकर, 

तरुणाई में ही स्वर्ग गया।

फांसी के फंदे को चूमकर,

नाम अमर वो कर गया।।


चलो हम सब मिलकर,

शहीद दिवस मनाते हैं।

वीर भगतसिंह के गौरव में,

नतमस्तक हो जाते हैं।।


🇮🇳💐शहीद दिवस के पावन पर्व पर हम सभी भारतीय वीर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं💐🇮🇳🙏🏻