Tuesday, 25 June 2024

Story of Life : एक सच्चाई (भाग-1)

एक सच्चाई (भाग-1)

आज से पहले बाबा को इतना विकल नहीं देखा था। पेशानी पर बल पड़ गए थे। पसीना तो ऐसा छलछला आया था कि उससे प्रतीत हो रहा था, कि जैसे मुंह धुला हुआ हो।

मैंने, उनकी परेशानी की वजह जानने की कोशिश भी की… पर नहीं, मेरी बात तो जैसे एक कान से सुनी और दूसरे से निकला दी।

बाबा, दारोगा बाबू थे, उनका पूरे इलाके में दबदबा था। बाबा के पास दुनिया के बड़े-बड़े case आते थे। 

चोर, उचक्के, ठग, डाकू, आदि, कितने ही अनेकों से पाला पड़ा था, पर बाबा के कदम पीछे नही लौटे…

फिर आखिर आज ऐसा भी क्या हो गया?

मैंने बाबा को झकझोरते हुए पूछा, क्या हुआ है बाबा?

वो बस इतना ही बोले, कठोर सच…

इसके साथ ही उनकी आंखें छलछला आईं, उनकी आवाज़ में थरथराहट साफ सुनाई पड़ रही थी।

कैसी सच्चाई? आखिर ऐसा भी क्या हो गया? जिसने आपको व्याकुल कर दिया है…

बेटा, आज कुछ ना पूछो, मुझे कुछ पल ऐसे ही तन्हा छोड़ दो…

बाबा, जब यह बोल रहे थे, तब उनकी आंखें मानो प्रार्थना कर रही हों कि, चले जाओ, उनके हाल में उन्हें छोड़ के…

अब मैंने उन्हें और मजबूर नहीं किया, उन्हें तन्हा छोड़ दिया कि कुछ पल बीतने पर वो स्वयं अपने आप सब बताएंगे।

अभी के लिए तन्हाई, फिर साथ मरहम बन जाएगा…

आज, पूरे दो दिन हो गए थे, बाबा को उस हाल में रहते हुए…

अब मेरे सब्र का बांध टूटने लगा था, मैंने बाबा से कहा, आज तो आपको सब बताना ही पड़ेगा…

बाबा ने, कहना शुरू किया, बेटा बात आज की नहीं है…

बहुत पहले, जब तुम इस दुनिया में भी नहीं आए थे...

आगे पढें, एक सच्चाई (भाग-2)