Friday 8 November 2024

Article : शारदा, तुझे प्रणाम

आज छठ महापर्व, पारण के साथ पूर्ण हुआ। छठी मैया की असीम कृपा हम सब पर सदैव बनी रहे 🙏🏻

हर पर्व खुशियां और सौहार्द लेकर आता है। पर कभी-कभी ऐसा भी होता है कि मनुष्य यह सोचने पर मजबूर हो जाता है, कि ऐसा क्यों हुआ?

ऐसा ही कुछ छठ पूजा के पहले दिन हुआ...

शारदा, तुझे प्रणाम 


छठ महापर्व के पहले दिन भारतीय लोक संगीत गायिका और बिहार की कोकिला कही जाने वाली शारदा सिन्हा के निधन ने देशभर में लोगों को झकझोर कर रख दिया।

दरअसल, मंगलवार की देर रात दिल्ली एम्स में 72 साल की शारदा सिन्हा ने अंतिम सांस ली है। शारदा सिन्हा जी के गाये गए छठ गीत अभी हर तरफ बज रहे हैं, लेकिन लोगों में मायूसी सी छाई हुई है।

शारदा सिन्हा को उनके संगीत योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले, जिनमें 1991 में पद्मश्री, 2000 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 2006 में राष्ट्रीय अहिल्या देवी अवार्ड, 2015 में बिहार सरकार पुरस्कार, और 2018 में पद्मभूषण शामिल हैं।

शारदा सिन्हा ने करीब 50 साल पहले यानी साल 1974 में पहला भोजपुरी गाना गाया था। फिर साल 1978 में उन्होंने छठ गीत ‘उग हो सुरुज देव’ गाया। इस गाने ने रिकॉर्ड बनाया और यहीं से शारदा सिन्हा और छठ पर्व एक-दूसरे के पूरक हो गए। करीब 46 साल पहले गाए इस गाने को आज भी छठ घाटों पर सुना जा सकता है।

1990 में शारदा सिन्हा ने बॉलीवुड फिल्म 'मैंने प्यार किया' में 'कहे तो से सजना, ये तोहरी सजनिया'... गीत गाया, जो जबरदस्त hit हुआ। इस गीत ने उन्हें film industry में एक नया मुकाम दिलाया और तब से उनकी पहचान केवल लोक संगीत के गायन तक सीमित नहीं रही, बल्कि वे bollywood में भी एक प्रमुख गायिका बन गईं।

"मैंने प्यार किया" में सलमान खान और भाग्यश्री पर फिल्माए इस गीत ने दर्शकों से अपार लोकप्रियता हासिल की।

इसके बाद हम आपके हैं कौन का "बाबुल जो तुमने सिखाया, जो तुमसे है पाया, सजन घर ले चली"...

Gang of wasseypur का "तार बिजली से पतले हमारे पिया"...

जैसे hit हिंदी फिल्मों में गाने और अनेकानेक hit भोजपुरी गीत गाए, जिसमें कुछ ऐसे super hit गीत भी हैं, जिनके बिना महापर्व छठ अधूरा लगता है, जैसे,

हे छठी मईया...

छठ के बरतिया... 

पहिले पहिल बानी कईले छठी मैया वरत तोहार...

ऐसे ही और भी बहुत से गीत हैं...

इसके साथ ही, शारदा जी ने लोक संगीत की समृद्ध परंपरा को कायम रखते हुए अपनी गायकी जारी रखी, लेकिन हमेशा इस बात का ध्यान रखा कि वे कभी भी द्विअर्थी गीत न गाएं। उनका संगीत शुद्ध और भावनात्मक रूप से प्रामाणिक रहता था, जो उनके शास्त्रीय और लोक धारा के प्रति समर्पण को दर्शाता है।

शारदा सिन्हा की आवाज से बंधता है छठ का समां, वो आवाज़ आज भी गूंज रही है, शारदा जी को अमरत्व प्रदान करती हुई और हमेशा छठ पर्व पर उनकी याद के रूप में सुनी जाती रहेगी...

छठी मैया की भक्त, उनके श्री चरणों में, उनके ही दिनों में समर्पित हो गई, मां अपनी भक्त पर कृपा करें 🙏🏻

इसके साथ ही स्वर कोकिला शारदा जी को सादर प्रणाम...