Friday, 30 August 2019

Tip: Ghee - Now in minutes

Making clarified butter (ghee) at home, consumes a lot of time. It takes 1½-2 hours. Maybe this is why, people now have started to abort the idea of making ghee at home.
But what will be your reaction if I say you can make Ghee in just some minutes!!
Yes, you read it right! In today's tip, I'll tell you how to make Ghee in just 15-20 minutes, with the help of a tbsp of wheat flour. So, let a new dialogue prevail in market now, "एक चम्मच आँटे की कीमत तुम क्या जानो..."


Ghee - Now in minutes


  1. Bring the cream(malai) to room temperature.
  2. In a wok, heat cream at high flame, till it melts and seems like milk.
  3. Turn the flame to medium.
  4. Now add a tbsp of wheat flour to the malai.
  5. Mix the mixture so well, that the flour appears to dissolve into malai.
  6. Keep stirring the mixture after every 2 minutes.
  7. You will observe that the clarified butter (ghee) starts to appear.
  8. Continue stirring, till the reddish-brown khoya starts to appear.
  9. When all the Ghee would have separated from its residual, i.e. khoya, strain the ghee.
  10. The khoya can be used to make sweets like Mawa Gujiya posted earlier or the one I will be posting shortly.

Note:

  • If you want to use the khoya for any preparation, it is advisable to always store malai in freezer.
  • Also, try to make Ghee within 10-12 days of storing.
  • Using wheat flour prevents splattering, that may cause burns.


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Recipe: Mawa Gujiya ( https://shadesoflife18.blogspot.com/2018/09/recipe-mawa-gujiya.html?m=1 )

Thursday, 29 August 2019

Article : राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day )

राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day )


राष्ट्रीय खेल दिवस, ये भी होता है? जी हाँ, आज से पहले इस दिवस के विषय में केवल खेल जगत से जुड़े लोग ही जानते थे। हम लोगों में से बहुत से लोगों को इस विषय में कुछ नहीं पता था।

पर जब से मोदी जी प्रधानमंत्री बने हैं, तब से भारत का चहुं ओर विकास हो रहा है। आए दिन भारतीय खिलाड़ी खेल जगत में अपना नाम रोशन कर रहे हैं, फिर चाहे वो मैदान cricket का हो, या badminton का, या athlete का track हो, सब तरफ से जीत मिल रही है। भारत gold medal पा रहा है।  

हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day ) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन देश के महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती का है।

मेजर ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता हैउन्होंने ओलंपिक में भारत का तीन बार प्रतिनिधित्व किया 1928, 1932 और 1936 में और तीनों बार गोल्ड मेडल जीता था। इतना ही नहीं मेजर ने अपने 22 साल के करियर में 400 गोल दागे थे।

उन्हीं के सम्मान में हर साल भारत सरकार 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाती है। इस दिन राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति स्वयं खेल के अलग-अलग क्षेत्रों के अलग-अलग खिलाड़ियों को विभिन्न खेल सम्मानों (राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन अवार्ड, द्रोणाचार्य अवार्ड, ध्यानचंद अवार्ड) से सम्मानित करते हैं। हर बार की तरह इस बार भी खेल दिवस मनाया गया, जिसमें अलग-अलग खेलों से कुल 32 खिलाड़ियों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी ने पुरस्कृत किया

पुरस्कार विजेताओं की लिस्ट:

राजीव गांधी खेल रत्न: बजरंग पुनिया (कुश्ती) और दीपा मलिक (पैरा एथलेटिक्स)

द्रोणाचार्य अवॉर्ड (नियमित): विमल कुमार (बैडमिंटन), संदीप गुप्ता (टेबल टेनिस) और मोहिंदर सिंह ढिल्लों (एथलेटिक्स)

द्रोणाचार्य अवॉर्ड (लाइफ टाइम): मरजबान पटेल (हॉकी), रामबीर सिंह खोखर (कबड्डी) और संजय भारद्वाज (क्रिकेट)

अजुर्न पुरस्कार: तजिंदर पाल सिंह तूर (एथलेटिक्स), मोहम्मद अनस यहिया (एथलेटिक्स)एस भास्करन (बॉडीबिल्डिंग), सोनिया लाथर (मुक्केबाजी), रवींद्र जडेजा (क्रिकेट), पूनम यादव (क्रिकेट), चिंगलेनसाना सिंह कंगुजम (हॉकी)अजय ठाकुर (कबड्डी), गौरव सिंह गिल (मोटर स्पोर्ट्स), प्रमोद भगत (पैरा स्पोर्ट्स बैडमिंटन), अंजुम मुद्गिल (निशानेबाजी), हरमीत राजुल देसाई (टेबल टेनिस), पूजा ढांडा (कुश्ती), फवाद मिर्जा (घुड़सवारी), गुरप्रीत सिंह संधू (फुटबॉल), स्वप्ना बर्मन (एथलेटिक्स), सुंदर सिंह गुर्जर (पैरा स्पोर्ट्स एथलेटिक्स), बी साई प्रणीत (बैडमिंटन) और सिमरन सिंह शेरगिल (पोलो)

ध्यानचंद अवॉर्ड: मैनुअल फ्रेडरिक्स (हॉकी), अरूप बसाक (टेबल टेनिस), मनोज कुमार (कुश्ती), नितिन कीर्तने (टेनिस) और सी लालरेमसांगा (तीरंदाजी)

राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार: गगन नारंग स्पोर्ट्स, प्रमोशन फाउंडेशन और गो स्पोर्ट्स और रॉयलसीमा विकास ट्रस्ट

मौलाना अबुल कलाम आजाद (माका) ट्रॉफी: पंजाब यूनीवर्सिटी चंडीगढ़ तेनजिंग नोग्रे राष्ट्रीय साहस पुरस्कार: अपर्णा कुमार (भू साहस), स्वगीर्य दीपांकर घोष (भू साहस), मणिकंदन के (भू साहस), प्रभात राजू कोली (जल साहस), रामेश्वर जांगड़ा (वायु साहस), वांगचुक शेरपा (जीवन पर्यन्त उपलब्धि)

इस साल का खेल दिवस खास है, क्योंकि आज से फिट इंडिया मूवमेंट की शुरुआत हो रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय खेल दिवस पर फिट इंडिया अभियान’ (Fit India Movement) का आगाज किया। इसका मकसद देश में लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है।

Wednesday, 28 August 2019

Story Of Life: मैं भी बहू थीं (भाग- 3)


Story Of Life: मैं भी बहू थीं (भाग- 3 ) 


Story Of Life: मैं भी बहू थीं (भाग- 1 )..... और
Story Of Life: मैं भी बहू थीं (भाग- 2 )...... के आगे


कामना को सहमा देखकर रचित माँ के पास गया।

उसने उन्हें खाने के लिए लड्डू दिये, फिर पानी दिया। और जब माँ थोड़ा शांत हुईं तो बोला, माँ आप मेरी बात सुनिए। आप बहुत अच्छी बहू थीं, बहुत काम भी करती थीं। 

पर आज की बहुओं के पास भी बहुत काम हैं। आज वो हम (पुरुष) से कंधे से कंधा मिला कर job कर रही हैं, बच्चों को खुद पढ़ा रहीं हैं। 

फिर बच्चे बहुत से काम कर रहे हैं, जैसे dance, song, games आदि। उसके लिए भी ले कर जाती हैं। इन सबके बाद अगर वो घर के भी सारे काम करेंगी, तो हमारे लिए, अपने खुद के लिए समय कब निकालेंगी?

अब सब लोग अपने घर सहायता के लिए maid रखते हैं, तो उसमें गलत क्या है? गलत तो तब होता, जब वो आप से काम करवाती और खुद आराम करती।

अगर आप देखेंगी, उसने maid रख कर कितने सारे काम किए हैं।

आपको महारानी बना दिया, आपकी सेवा के लिए नौकर है।

उसको काम पर रखा, उससे उसके परिवार वालों की पैसे की तंगी दूर हो गयी, अब वे भूखे नहीं सो रहे हैं। मतलब उसे आर्थिक सहायता प्रदान कर रही हैं।

और maid के रहने से वो घर के काम से free हो गयी है, तो बच्चों को पढ़ा रही हैjob कर रही है, बैंक के काम, घर के, बाहर के काम, सब कर रही है। इन सब से हमारे घर की आर्थिक व्यवस्था सुदृढ़ हो रही है, तो घर में शांति व सुख का वास है।

लक्ष्मी को समझ आ गया, जब मैं बहू थी, तब बहुत काम था, और आज भी बहुत काम है, बस काम के स्वरूप बदल गए हैं। और समय के साथ सबको बदलना चाहिए।

Tuesday, 27 August 2019

Story Of Life: मैं भी बहू थीं (भाग- 2 )

 Story Of Life: मैं भी बहू थीं  (भाग- 1) के आगे.....

Story Of Life: मैं भी बहू थीं (भाग- 2 ) 



कामना के इतना बोलने और पैसे की तंगी के चलते रचित माँ से बात करने चला गया।

लक्ष्मी कैसे भी, रचित की बात नहीं मान रही थी।  पर जब रचित ने कहा, अगर कामना ने job join नहीं की, तो मजबूरन उसे बीमारी में ही job ढूंढनी पड़ेगी। 

उससे ऐसा भी हो सकता है, अधिक बीमार होने से hospital में admit होना पड़े। 

बेटे की ऐसी बात सुनकर लक्ष्मी ने कह दिया, ठीक है, कामना job कर सकती है

कामना को जल्दी ही job मिल गयी। चंद दिनों में रचित ठीक हो गया, और उसने दूसरी company join कर ली।  पर उसने कामना को job continue ही रखने को कहा।

Job के साथ घर के सारे काम manage करना कामना के लिए भारी पड़ने लगा। लक्ष्मी चंद दिनों के लिए अपनी बहन के घर गयी थी।

तो एक दिन कामना ने रचित से कहा, अब तो हम दोनों job कर रहे हैं। पैसे की तंगी नहीं है, तो क्यों ना अब हम लोग घर के काम के लिए maid रख लें।

रचित इस बात के लिए, खुशी खुशी ready हो गया। कामना ने एक maid रज्जो को घर बुला लिया। रज्जो बहुत अच्छा काम करती थी, साथ ही बहुत सीधी और ईमानदार भी थी। 

उसके काम करने से कामना को अपना घर बहुत अच्छा लगने लगा था, क्योंकि अब वो चैन के दो पल रचित के साथ भी बिता रही थी।

लक्ष्मी जब घर वापस आई, तो रज्जो को देखकर उसने घर सिर पर उठा लिया। बोली आज कल की बहुयें कुछ काम नहीं करना चाहती हैं। 

वहाँ दीदी की बहू अलका ने काम वाली लगा ली है, और यहाँ कामना ने। हद हो गयी इन लोगों की कामचोरी की। 

मैं भी बहू थीछतीसों काम कर डालती थी, कुएं से पानी भरना,  गेहूँ पीसना, फिर बर्तन, झाड़ू-पोछा, 10-10 लोगों के लिए खाना बनाना, सब अकेले कर लेती थी। और आज हाथ नही हिलता इन बहुओं से।

रज्जो, लक्ष्मी की बातों से डर कर भाग गयी। कामना भी सहम कर खड़ी हो गयी। कामना को सहमा देखकर रचित माँ के पास गया।
आगे पढ़ें   मैं भी बहू थीं  (भाग- 3)...... 

Monday, 26 August 2019

Story Of Life: मैं भी बहू थीं


मैं भी बहू थीं


लक्ष्मी पुराने ख्यालों वाली थी, जिसका मानना था, घर में गृहणी को सभी काम अपने आप करने चाहिए, घर के कामों के लिए नौकर रखना, आलस और बर्बादी दर्शाता है।

इसलिए उसने घर के कामों के लिए कोई भी नौकर नहीं रखे थे।

उसका एकलौता बेटा रचित शादी योग्य हो चला था। कई रिश्ते आ रहे थे, पर ज्यादातर नौकरीपेशा थीं।

लक्ष्मी सबको इंकार करती जा रही थी, आखिर उसे बिना job वाली पढ़ी- लिखी कामना मिल ही गयी।

बड़ी धूमधाम से विवाह सम्पन्न हो गया।

कामना के गृह-प्रवेश के साथ ही लक्ष्मी ने सभी कामों को हाथ लगाना बंद कर दिया। और सब कामना के कंधों पर डाल कर अब वह दिन भर आराम करती, और जब देखो तब कुछ ना कुछ कामों के फरमान यह कह कर जारी कर देती, कि मैं भी बहू थी, तो कितना काम करती थी, आजकल की जैसी ना थी।

कामना के मायके में बर्तन, झाड़ू- पोछा वाली लगी हुई थी। फिर पढ़ने में भी बहुत प्रखर थी, तो घर के कामों को कम ही हाथ लगाती थी। 

ससुराल में आ कर एकदम से पड़े इतने काम और सास के ताने उसे जीने नहीं दे रहे थे। पर उस पर पहाड़ तो तब टूट गया, जब रचित की बीमार के कारण नौकरी चली गयी।

रचित बहुत दुखी था, कामना ने रचित से कहा, private company थी, तो वो आपके ठीक होने का wait तो नहीं करती, पर आप परेशान क्यों हो रहे हैं? आप इतने होनहार हैं, ठीक हो जाइए, दूसरी मिल जाएगी। और अगर आप कहे, तो मैं भी job ढूँढने का प्रयास करूँ।

तुमको, माँ करने नहीं देगी।

आप मनाइए ना, माँ जी को। अगर जरूरत पड़ने पर काम ही ना आ सके, तो इतने पढे-लिखे होने का क्या लाभ?

आगे जानने के लिए पढ़ें मैं भी बहू थी (भाग-2) 


Saturday, 24 August 2019

Poem : ओ कान्हा मेरे, तुम तो हो गिरिधारी

नन्हे कान्हा के पावन जन्मदिवस की सबको हार्दिक शुभकामनाएँ 

ओ कान्हा मेरे, तुम तो हो गिरिधारी



ओ कान्हा मेरे,
तुम तो हो, गिरिधारी। 
 पर मुझको लगती,
 तेरी, बाल-लीला ही प्यारी
 
ओ कान्हा मेरे,
   तुम तो हो, गिरिधारी 

 कालिया मर्दन किया तुमने,
  पूतना भी मारी। 
     पर मुझको लगती,   
  तेरी, बाल लीला ही प्यारी
 
ओ कान्हा मेरे,
  तुम तो हो, गिरिधारी। 

कंस वध, करके तुमने,
पाप से, दुनिया तारी। 
  पर मुझको लगती,  
तेरी, बाल लीला ही प्यारी
ओ कान्हा मेरे,
   तुम तो हो, गिरिधारी। 

गोवर्धन कनिष्ठा में उठाकर,
की पूरे गोकुल, की रखवारी। 
  पर मुझको लगती,  
तेरी बाल लीला ही प्यारी
 
ओ कान्हा मेरे,
तुम तो हो गिरिधारी। 

जब फोड़कर, मटकी तुमने,
माखन खा ली सारी। 
तब मुझको लगती,
  यही, बाल-लीला ही प्यारी। 
 
  ओ कान्हा मेरे,
   तुम तो हो गिरिधारी

बांसुरी की, मधुर तान पर,
गोपियाँ हो गईं बांवरी सारी। 
तब मुझको लगती,
  यही बाल-लीला ही प्यारी। 
 
ओ कान्हा मेरे,
  तुम तो हो गिरिधारी। 

कुछ ना चाहूँ, तुमसे प्रभुवर,
तेरे चरणों में, दुनिया सारी। 
बस मुझको दे दो,
 इन चरणों की रखवारी। 
 ओ कान्हा मेरे,
 तुम तो हो गिरिधारी। 

बोलो बांके बिहारी की जय 

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Friday, 23 August 2019

Fast recipes{व्रत} links

Fast recipes{व्रत} link

Hello friends, दिल जीतें बड़ों से बच्चों तक!

जन्माष्टमी का पावन पर्व आ गया है। कान्हा, गोपाला, माखन-चोर और भी ना जाने कितने नामों से पुकारे जाने वाले भगवान श्री कृष्ण का जन्म सभी घरों में हर्षौल्लास के साथ मनाया जाता है। बहुत से घरों में तो बड़े-बुजुर्गों से लेकर छोटे-छोटे बच्चे भी व्रत रखते हैं। हर बार व्रत में एक-सा खाते-खाते bore हो गए हैं, तो इन recipes को try करें, कुछ low calorie वाली भी हैं।

Links नीचे दिये हैं। आप इन्हें try अवश्य करें, सब एक से बढ़कर एक tasty हैं।


जब भी सिंघाड़े के आटे या कुट्टू के आटे की कतली आप लोगों के सामने रखती हैं, सब गायब हो जाते हैं। पर अगर हमारी फलाहारी डोडा बर्फी बनाएंगी, तो आपसे ना सब लोग बार बार मांगेगे, बल्कि आपसे recipe भी पूछेंगे। 
जो calorie-conscious होते हैं, वो पकौड़ी, पूड़ी जैसी fried recipes से भागते हैं, तो वो कुट्टू का डोसा जरूर से try करें, low calories पर taste full on. 
Recipe: Kuttu ka dosa ( https://shadesoflife18.blogspot.com/2018/10/recipe-kuttu-ka-dosa.html )
हर दिल अजीज पनीर की खीर, खाकर हर कोई बार बार मांगेगा, और साथ ही साथ पूछेंगे, कहाँ से मंगाई, तब आप गर्व से बताइयेगा, कि ये आपके हाथों का कमाल है 
Recipe: Paneer ki Kheer ( https://shadesoflife18.blogspot.com/2018/10/recipe-paneer-ki-kheer.html )
बड़े बुजुर्ग का ख्याल आते ही पपीते के हलवे का ध्यान आ गया। बहुत ही healthy and lite. तो इसे बनायें और बड़े बजुर्गों की आशीष पाएं
Recipe: Papite ka halwahttps://shadesoflife18.blogspot.com/2018/10/recipe_26.html )
कृष्णा जी का व्रत तो, हमारे नन्हे कान्हा भी रखते हैं, तो उनको कैसे भूल सकते हैं
तो उनके लिए बनायें crispy, tasty साबूदाना वड़ा। और फिर देखिए सब जगह गाते फिरेंगे आपके लाड़ले, मेरी mumma सबसे best. 
Recipe: Sabudana Vadahttps://shadesoflife18.blogspot.com/2018/10/recipe.html )

जो ये post पहले ही पढ़ चुके हैं, उनका brush up हो जायेगा, और जिन्होंने miss कर दिया था, या नए जुड़े हैं, उन सब के लिए