Tuesday, 14 February 2023

Article : ताजमहल ( A Love Story)

आज Valentine's day है और सभी romantic mood में ही हैं, तो आज का topic भी वैसा ही होना चाहिए...

ताजमहल ( A Love Story)



आप सोच रहे होंगे कि क्या Romantic article लिखने जा रहे हैं।

नहीं, यह कोई Romantic article नहीं है, बल्कि बहुत ज्यादा Romantic article है। पूरे अंत तक जरुर पढ़िएगा।

सच मानिएगा, अंत तक आते-आते, आपको भी अपने partner से सच्चा प्यार हो जाएगा।

शाहजहाँ और मुमताज महल से कहीं बहुत ज्यादा..

आप को लगता होगा कि क्या किस्मत थी मुमताज़ की, जो उसे शाहजहाँ जैसा पति मिला, जिसने अपनी मोहब्बत की ऐसी निशानी बनाई कि आज भी लोग उनकी मोहब्बत के कायल हैं।

चलिए आज उनकी मोहब्बत की गलियों में चलते हैं।

कहते हैं कि खुर्रम, अर्जुमंद से आगरा के मीना बाज़ार में मिला था। 

अर्जुमंद बला की खूबसूरत थी, कोई उसका दीदार भर कर ले, तो अपने होश खो बैठता था। बस फिर क्या था, वही हाल खुर्रम का भी हुआ, वो देखते ही दीवाना हो गया। 

तब खुर्रम 15 साल का था और अर्जुमंद 14 साल की। 

बिना किसी विरोध के दोनों की सगाई हो गई। सगाई के पांच साल बाद निकाह।

आप सोचेंगे बात तो शाहजहाँ और मुमताज की शुरु की थी, फिर यह खुर्रम और अर्जुमंद कहाँ से आ गये?

अरररे नाराज़ ना होएं...

वो ऐसे ही नहीं आएं हैं और ना ही हम, अपने मुद्दे से भटके हैं। दरअसल बात यह है कि खुर्रम शाहजहाँं और अर्जुमंद, मुमताज़ के बचपन के नाम हैं। सोचा जब बता ही रहे हैं तो यह भी बताते चलें, वो क्या है ना, इससे आप का इतिहास भी मजबूत हो जाएगा...

तो चलिए आगे चलते हैं-

लेकिन इन पांच सालों के बीच शाहजहाँ दो और निकाह पहले ही कर चुका था। मतलब दीवानगी को रजामंदी मिल गई थी पर गोया शाहजहाँ से इतना इंतजार नहीं हुआ कि मुमताज़ से निकाह तक का इंतजार कर लेता। नहीं साहब दो निकाह, पहले ही कर लिए।

चलिए जो हुआ, सो हुआ। पर जब मुमताज़, बेगम बन कर आ गयीं, फिर क्या हुआ? अब तो प्यार उनकी आगोश में था।

अरे नहीं जनाब, उसे कोई फर्क नहीं पड़ा, एक, एक करके कई बेगम आईं। 

पर मन इतने से भी नहीं भरा, तो 8000 औरतें हरम में भी रख लीं।

तो सोचिए, जिसके दीवाने थे, उसके पास जाने का नम्बर कितने दिनों बाद आता था?

फिर रही सही कसर, इस बात से खत्म हो जाती कि मुमताज़ बेगम हर साल उम्मीद से हो जाती थीं।

उन्होंने 13 संतानों को जन्म दिया और 14वीं संतान के होने के समय अल्लाह को प्यारी हो गईं।

जब उनका इंतकाल हुआ, तो उस से चंद रोज़ पहले, मुमताज़ बेगम ने, शाहजहां को अपने पास बुलाया और अपनी बेपनाह मोहब्बत का वास्ता देकर दो वादों को मुक्कमल करने की इल्तज़ा की।

एक, कि मेरे मरने के बाद और निकाह मत कीजिएगा। दूसरा उनके लिए एक मकबरा बनवा दें। 

पर रंगीले शाहजहाँ से कहाँ होता कि और निकाह नहीं करता, जिसके प्यार की कद्र जीते जी नहीं की, उसके मरने के बाद तो क्या ही कद्र करता। 

उसने उसके बाद भी दो निकाह और किए, यहाँ तक कि, उसने अपनी सबसे प्यारी बेटी जाहंआरा से भी निकाह कर लिया। तो पहले वादे की तो धज्जियां उड़ गयीं... 

दूसरा वादा क्या मुश्किल था, एक शहंशाह के लिए, तो बनवा दिया मकबरा...

उसके लिए उसे कौन से पत्थर तोड़ने थे। और उसकी खूबसूरती में तो उन architects और मजदूरों का हाथ था।

और इस मगरुर शाहजहाँ ने उन मजदूरों को अपनी मोहब्बत की निशानी बनाने का, क्या क्रुर इनाम दिया था, यह तो किसी से छिपा नहीं है, उसने उन गज़ब के फनकार मजदूरों के हाथ ही कटवा दिए कि दूसरा ताजमहल ना बन सके। 

और मशहूर बन बैठा कि अपनी बेगम को कितना चाहता था कि सदियों से आज तक ताजमहल A Love Story बन गया।

तो यह है शाहजहां और मुमताज की love story.

सोचिए कि जिस शाहजहाँ की मोहब्बत को आप अपने पति की मोहब्बत से तुलना करतीं हैं, वो तो इसके काबिल तो छोड़ दीजिए, दूर-दूर तक stand तक नहीं करता। 

आपका जीवन साथी, सिर्फ और सिर्फ आप को चाहता है, उसने कई शादियाँ और हजारों अवैध संबंध नहीं बनाए।

ऐसे सौ मकबरे कुर्बान उस सच्चे प्यार पर, जो आप के पति आप से करते हैं।

वो दिन-रात मेहनत कर रहे हैं कि आप सुखी रहें, कि उनका परिवार सुख से रहे।

ऐसा प्यार किस काम का, कि जीते जी, कभी कद्र ना करो और मरने पर हजारों के खून से लथ-पथ ताजमहल बनवा दो।

आप तो अपने भाग्य पर इतराएं कि आप को शाहजहाँ सा बादशाह नहीं मिला, जिसके लिए आप मात्र दिल बहलाने का खिलौना हो।

और महसूस कीजिए, अपने पति के दिल में बने सच्चे प्यार का ताजमहल A Love Story. 

अगर आप के लिए सच्चा प्यार और आप का मान, ज्यादा महत्वपूर्ण है तो आप को जरूर वो ताजमहल दिखेगा। पर उसका नाम होगा  ताजमहल A true love Story. जिसमें सिर्फ प्यार ही प्यार होगा, ख़ून के धब्बे नहीं।

Happy Valentine's day 💞💐