Thursday, 31 January 2019

Story Of Life : छोटी सी बात (भाग-२)



अब तक आपने पढ़ा, सुधा अपने ससुराल में बहुत खुश है, सब सुधा को बहुत प्यार व मान देते हैं। सुधा की सास, सुधा पर उसके देवर की शादी करवाने की ज़िम्मेदारी सौंप देती है...

छोटी सी बात (भाग-२) 


बेटा, भगवान का दिया सब तो है, हमारे पास। अगर तुम्हें लग रहा है, कि 
लड़की अच्छी है, तो तुम बात कर लो, और हाँ, तुम बात करते समय अपनी आंटी को ये भी बोल देना, कि हमे दहेज़ बिलकुल भी नहीं चाहिए। पर माँ वो हमारी तरह धनी भी नहीं हैं, शायद शादी में उतनी धूम भी ना कर पाएँ। ठीक है, वो हम देख लेंगे, माँ ने कहा।
सुधा अपने मायके गयी, तो अपनी mumma से उसने बताया कि उसकी सासू-माँ ने उसके ऊपर नितिन की शादी की ज़िम्मेदारी सौंपी है, दहेज़ भी लेने से इंकार कर दिया है। नितिन के लिए उसे सरिता पसंद आ रही है। ये तो बहुत अच्छी बात है, तो ये सब तुम इतनी टेंशन में क्यू बोल रही हो? Mumma ने सुधा से पूछा। mumma, मुझे केवल ये लग रहा है, कि क्या वो लोग शादी धूमधाम से कर पाएंगे?
चल ना बात कर लेते हैं। अगर वो लोग धूम से नहीं कर पा रहे होंगे, तो मैं और तुम्हारे पापा एक और बेटी की शादी कर लेंगे। mumma की ऐसी बात सुन कर सुधा चहक उठी, बोली mumma आप बहुत अच्छी हैं।
फिर दोनों सरिता के घर चले गए। सरिता की माँ सारी बात सुन के बहुत खुश हुईं। बोली बेटा मेरी बेटी ने पिछले जन्म में कोई बहुत अच्छा काम किया होगा, जो उसे तुम्हारे जैसी बड़ी बहन जैसी जेठानी मिलेगी।
आंटी मेरे ससुराल में सभी बहुत अच्छे हैं, कर्म तो मेरे भी बहुत अच्छे रहे होंगे, जो मुझे वो लोग मिले। सरिता को भी सब बहुत पसंद आएंगे।
पर, सुधा धूमधाम से शादी करने की बात पूछने से झिझक रही थी। Mumma ये समझ गईं, उन्होने सीधे ही पूछ लिया, आप लोग शादी कैसी कर पाएंगे? वैसे मैं और सुधा के पापा आपका इसमे सहयोग कर सकते हैं।
नहीं नहीं, सरिता की माँ बोलीं, मैं अपनी बेटी की बहुत धूमधाम से शादी करूंगी। सरिता के पापा, के सरिता की शादी को ले कर बहुत अरमान थे। उन्होने सरिता की शादी के लिए 2 प्लॉट डाल के रखे थे। उन्होने अपने अंतिम समय में मुझसे कहा था, कि उनकी लाड़ो की शादी ऐसी धूम से करूँ, कि सारी दुनिया याद रखे। आप बस ये कर दीजिये, वो प्लॉट बिकवा दीजिये।
Mumma बोलीं, आप उसकी चिंता मत कीजिएगा, सुधा के पापा के बहुत दोस्त हैं, आपको प्लॉट के ऊंचे ही दाम मिलेंगे। पर,  आंटी जी फिर आप के पास क्या रह जायेगा? सुधा चिंतित सी बोली। मुझ अकेली जान के लिए सरिता के पापा ने जो FD कराई है, वो बहुत है।
सुधा ने ससुराल में सब बात अपनी माँ को बता दी। नितिन और सरिता को मिलवाया गया। दोनों ने कहा, अगर पसंद सुधा की है, तो दोनों तैयार हैं। जब नितिन को पता चला कि, सरिता भी उसकी भाभी को बहुत मानती है, तो उसे सरिता और ज्यादा भा गयी।
सुधा बहुत मन से शादी की सारी तैयारी में जुट गयी, उसके लाडले की जो शादी थी। शादी के सारे function 1 महीने के अंतर में ही हो जाने थे। आज दोनों की engagement होनी थी, सब जगह से सुधा को ही पुकारा जा रहा था, क्योंकि सभी चीज़ की ज़िम्मेदारी सुधा ने अपने कंधों पर उठा रखी थी।
सारे काम निपटा कर सुधा engagement में जाने के लिए तैयार हो रही थी। साड़ी में safety pin लगाना रह गया था। तभी नितिन आ गया, भाभी जल्दी चलिये, माँ बोल रही हैं, मुहर्त का समय हो गया है। हाँ अभी आ रही हूँ, कह कर सुधा ने कस के पिन साड़ी में लगाने की कोशिश की, बहुत देर से pin साड़ी में लग नहीं रही थी। पर अबकी जब लगी, तो सुधा की चीख भी निकाल गयी। क्या हुआ भाभी? नहीं, कुछ नहीं pin थोड़ा सा चुभ गयी थी। कहाँ? भैया को भेजूँ क्या? अरे, नहीं रे, pin तो ऐसे कई बार ही चुभ जाती है। चलो, चलते हैं, वैसे ही बहुत देर हो गयी है।
बहुत ही अच्छे से सारा function निपट गया। अब इसके बाद हर हफ्ते ही कुछ ना कुछ function थे। सुधा उन सब की तैयारी में जुट गयी, सारी ज़िम्मेदारी उसी के कंधों पर थी। और वो सारे function इतने अच्छे से plan कर रही थी, कि सारे function एक से बढ़ कर एक हो रहे थे। वो सबकी पसंद, सुविधा और भव्यता सबको दिमाग में रख कर plan करती थी।
पर इन सब में वो, ये ध्यान नहीं रख रही थी, कि जिस कंधे में pin चुभी थी, वहाँ दर्द भी रह रहा था, और वहाँ swelling भी आ गयी है...

सुधा की इतनी व्यसता, का क्या असर होगा, जानते हैंछोटी सी बात (भाग-३)  

Tuesday, 29 January 2019

Story Of Life : छोटी सी बात


छोटी सी बात


सुधा अपनी ससुराल में बहुत खुश थी। वो सब का बहुत ध्यान रखती थी। ससुराल में वो सबकी बहुत लाडली थी। और उसका देवर नितिन वो... वो तो भाभी का पूरा भक्त था। एक बार सुधा कुछ बोल देती, तो बस नितिन उसको जब तक पूरा ना कर देता, कुछ और ना करता।
नितिन की शादी योग्य उम्र हो गयी थी। माँ ने सुधा को बुलाया, बोली बेटा अब तू नितिन की शादी की ज़िम्मेदारी भी ले ले। और अपनी जैसी ही कोई ला दे मेरे नितिन के लिए, तो मेरी ये ज़िम्मेदारी भी खत्म हो जाए। वैसे तेरे आ जाने से भी मेरी ज़िम्मेदारी पूरी हो गयी है, तेरे आने के बाद से किसी को भी मेरी याद कहाँ आती है। तुम आई तो थी बहू बन के, पर घुलमिल के कब इस घर की बेटी बन गयी पता ही नहीं चला। और मेरे नितिन की तो तुम माँ, बहन, भाभी, सहेली सब बन गयी, उसको को तो तेरे सिवा कोई सूझता ही नहीं है।
माँ, मैं ये ज़िम्मेदारी लेने को तैयार हूँ, पर एक बार नितिन भैया से भी तो पूछ लेते हैं, उनकी पसंद क्या है?
ठीक कह रही हो बेटा, पर वो भी तुम ही पूछ लेना, तुझे ही अपने दिल की बात बताएगा। माँ सुधा से ये बात कर ही रहीं थी, कि नितिन कमरे में आ गया।
अरे माँ जब नितिन भैया आ ही गए हैं, तो अभी ही जान लेते हैं। हाँ बेटा पूछ ले इससे। आप लोग क्या पूछना चाह रहे हैं॰ नितिन ने पूछा? यही कि आपको कैसी लड़की पसंद है? भाभी आपको जो लड़की पसंद हो, मैं उसी से शादी कर लूँगा। देखा, सुधा मैंने क्या कहा था, नितिन को तुम जिसे कहोगी, ये उसी से शादी कर लेगा। सब ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे।
सुधा ने अपनी ज़िम्मेदारी पूरा करने की तरफ सोचना शुरू कर दिया। उसने अपने पति सचिन से कहा, माँ ने मुझे नितिन की बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी सौंप दी है। आपको क्या लगता है, सरिता कैसी रहेगी अपने नितिन के लिए?
कौन सरिता? तुम उसके विषय में माँ से ही बात कर लो। वैसे भी तुम ladies इस मामले में expert होते हो। मैंने भी माँ की पसंद से ही तुमसे शादी की थी। देखो ना माँ का निर्णय कितना सही था। जान हो तुम इस घर की, सचिन ने सुधा के गालों को सहलाते हुए बोला।
हाँ, हाँ, आप दोनों भाई एक से ही हैं, सारी जिम्मेदारी हम ladies पर छोड़ के ऐश कीजिये। मैं माँ से ही पूछ लूँगी, सुधा गुस्साते हुए बोली।
अगले दिन वो माँ से पूछने लगी, माँ मेरे मायके में पड़ोस में निशा आंटी रहती हैं, उनकी बेटी सरिता बहुत ही सुंदर और अच्छे संस्कारों वाली लड़की है। पर उसके पापा नहीं हैं, तो वो लोग दहेज़ नहीं दे पाएंगे। अगर आपको ठीक लगे तो, मैं बात कर लूँ?.....

क्या सुधा, अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभा पाई, जानने के लिए पढ़ते हैं छोटी सी बात (भाग -२) में

Saturday, 26 January 2019

Poem : अब देश की बारी है

आप सभी को गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकमनाएं, आइए इस गणतन्त्र दिवस पर हम देश के विकास की शपथ लेते हैं। वही देश को आज़ाद कराने वाले शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। 

अब देश की बारी है



देश विकास करे ना तो
आज़ादी के मतवालों की
व्यर्थ हो जाए कुर्बानी है
उन शहादतों की खातिर
क्या सबने विकास की ठानी है
बहुत सोच चुके 
अपनी खातिर
अब देश की बारी है
केवल नेताओं की नहीं
देश का विकास करने की 
हम सबकी ज़िम्मेदारी है
कालाबाज़ारी,बेईमानी,अत्याचार
हैं ये सब 
बर्बादी के हथियार
गर ठान ले 
हर भारतवासी
इन सबका होगा, 
भारत से बहिष्कार  
तो, समझो भारत को
विकसित देशों में
सर्वप्रथम पहुँचने 
की तैयारी है

Thursday, 24 January 2019

Article : संकष्टि चतुर्थी


संकष्टि चतुर्थी


सकट चौथ संकटों से उबरने का दिन होता है। वैसे तो साल में 12 सकट चौथ आती है, मगर माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का विशेष महत्व है। सकट चौथ को संकष्टि चतुर्थी, तिलकुटा चौथ, संकटा चौथ, माघी चतुर्थी भी कहा जाता है।
संकष्टि चतुर्थी का मतलब होता है संकटों का नाश करने वाली चतुर्थी। महिलाएं आज अपने बच्चों की सलामती की कामना करते हुए पूरे दिन निर्जला उपवास करती हैं। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद इस व्रत का पारण किया जाता है।
माताएं सकट चौथ का व्रत अपने संतान की दीर्घायु और सुखद भविष्य संतान की तरक्की, अच्छी सेहत और खुशहाली के लिए करती हैं।
इस दिन रात में चंद्र देव को अर्ध्य देने के बाद भोजन किया जाता है।
इस दिन संकट हरण गणपति का पूजन होता है। इस दिन विद्या, बुद्धि, वारिधि गणेश तथा चंद्रमा की पूजा की जाती है। सकट चौथ पर गणेश जी के भालचंद्र स्वरूप के पूजन का विधान है। भालचन्द्र का अर्थ है जिसेक भाल अर्थात मस्तक पर चंद्रमा सुशोभित हो।
इस दिन गणेश जी पर प्रसाद के रुप में तिल-गुड़ का बना लड्डु और शकरकंदी चढ़ाई जाती है।
शास्त्रों में सकट चौथ पर मिट्टी से बने गौरी, गणेश और चंद्रमा की पूजा की जाती है।

इस व्रत पर तिल को भूनकर गुड़ के साथ कूटकर तिलकुटा अर्थात
तिलकुट का पहाड़ बनाया जाता है। अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग प्रकार के तिल और गुड़ के लड्डु बनायें जाते हैं।
तिल के लड्डु बनाने हेतु तिल को भूनकर, गुड़ की चाशनी में
मिलाया जाता है, फिर तिलकूट का पहाड़ बनाया जाता है, कहीं-कहीं पर तिलकूट का बकरा भी बनाते हैं। तत्पश्चात् गणेश पूजा
करके तिलकूट के बकरे की गर्दन घर का कोई बच्चा काट देता है।
गणेश पूजन के बाद चंद्रमा को कलश से अर्घ्य अर्पित करें। धूप-दीप दिखायें। चंद्र देव से अपने घर-परिवार की सुख और शांति के
लिये प्रार्थना करें। इसके बाद एकाग्रचित होकर कथा सुनें। सभी
उपस्थित जनों में प्रसाद बांट दें।
सकट चौथ की पूजा में गौरी गणेश व चंद्रमा को तिल, ईख, गंजी, भांटा, अमरूद, गुड़, घी से भोग लगाया जाता है।

इस मंत्र से करें पूजा

गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।

उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥

Wednesday, 23 January 2019

Article : नेता जी सुभाष चंद्र बोस



नेता जी सुभाष चंद्र बोस




नेता जी सुभाष चंद्र बोस, एक ऐसा नाम, जिनके बिना आज़ादी संभव नहीं थी। उनके जन्मदिवस के उपलक्ष्य में उनको मेरा शत शत नमन  
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्‍म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा (तब के उड़ीसा) के कटक में हुआ था। महात्मा गांधी के अहिंसा के विचारों से सुभाष चंद्र बोस सहमत नहीं थे।  'नेताजी' के नाम से मशहूर सुभाष चंद्र बोस ने भारत को आजादी दिलाने के मकसद से 21 अक्टूबर 1943 को 'आजाद हिंद सरकार' की स्थापना की और 'आजाद हिंद फ़ौज' का गठन किया।  नेताजी अपनी आजाद हिंद फौज के साथ 4 जुलाई 1944 को बर्मा पहुंचे। यहीं पर उन्होंने अपना प्रसिद्ध नारा, 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' दिया।  
सुभाष चंद्र बोस जी के विचार बहुत क्रांतिकारी थे और उनकी बातें आज भी किसी के भी तन-मन में जोश भर सकती हैं. उनके जन्‍मदिवस के मौके पर हम आपको उनके ऐसे ही 10 विचारों के बारे में बता रहे हैं -

1. तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा।
2. याद रखिए सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है।
3. ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं। हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिले, हमारे अंदर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए।
4. एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा- सच्चाई, कर्तव्य और बलिदान। जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो अजेय है। अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने ह्रदय में समाहित कर लो।
5. सफलता, हमेशा असफलता के स्‍तंभ पर खड़ी होती है।
6. मेरा अनुभव है कि हमेशा आशा की कोई न कोई किरण आती है, जो हमें जीवन से दूर भटकने नहीं देती।
7. जिस व्यक्ति के अंदर 'सनक' नहीं होती वो कभी महान नहीं बन सकता. लेकिन उसके अंदर, इसके आलावा भी कुछ और होना चाहिए।
8. जो अपनी ताकत पर भरोसा करते हैं, वो आगे बढ़ते हैं और उधार की ताकत वाले घायल हो जाते हैं।
9. हमारा सफर कितना ही भयानक, कष्टदायी और बदतर हो, लेकिन हमें आगे बढ़ते रहना ही है। सफलता का दिन दूर हो सकता हैं, लेकिन उसका आना अनिवार्य ही है।
10. मां का प्यार सबसे गहरा होता है- स्वार्थरहित. इसको किसी भी तरह से मापा नहीं जा सकता।

Tuesday, 22 January 2019

Poem : देखोगे गोर से


 देखोगे गौर से



गर देखोगे गौर से
इस  कड़कड़ाती ठंड में 
गर्म कपडे 
हमसे कुछ कहते हैं 
कहते हैं ज़िंदगी भी
कुछ उन जैसी ही होती है
गर्म कपड़ों का एहसास
जैसे अपनों का साथ
जितना आप उसमें
लिपटते जाते हैं
नर्म और गर्माहट
अपने अंदर पाते हैं
ऐसे ही जब अपनों
के करीब आते हैं
सुरक्षा के एहसास
में सिमट जाते हैं
जिस तरह गर्म कपड़ों
के रहते सर्दी कुछ
बिगाड़ नहीं पाती
वैसे ही अपनों के
पास रहने से
दुनिया दुश्मनी
निभा नहीं पाती

Monday, 21 January 2019

Nutritious Tiffin Recipe : Cheese veggie wrap

My previous Nutritious Tiffin Recipe of Fruit Sandwich was liked by many. In furtherance to that and utilizing the fullness of  Winter vegetables basket, here's another Nutritious Tiffin Recipe. This would also loot up your hearts. Besides being nutritious and full of veggies, this will definitely be loved by kiddos. So, presenting:

Cheese veggie wrap





Ingredients:

  • All purpose flour (maida) - 250 gm.
  • Salt - ¼ tsp
  • Sugar - ¼ tsp
  • Milk - ½ cup
  • Clarified Butter (Ghee) - for roasting wraps
All veggies are 25 gm. each (you can add or subtract any veggie according to your kids taste)

  • Mushroom
  • Capsicum
  • Beans
  • Pea
  • Carrot
  • Broccoli
  • Sweet corn
  • Baby corn
  • Paneer
  • Onion
  • Butter - 2 tbs 
  • Cheese slice - 12 no. (cut in small piece)
  • Tomato sauce - 1½ tbsp
Method:
  • Add salt, sugar and milk to maida.
  • Make a soft dough out of it & let it rest for ½ an hour.
  • In a pressure cooker, add 1 tbs butter and all the chopped veggies accept (capsicum and paneer) and allow 2 whistle at high flame
  • In a wok, add butter & chopped onion, to it. Sauté it, now add capsicum, sauté it, then add crumble paneer and all the veggies and salt to it. Mix it well.
  • When the veggies get little bit dry, add tomato sauce to it.
  • Prepare a  very thin chapatti from the dough.
  • Put a cheese slice pieces on the chapatti. Now, add the mixture of veggies onto it & finally, cover it again with cheese slice pieces. Make this preparation in the middle of the chapatti, in vertical manner.
  • Now, cover the whole with another chapatti(made by the same process).
  • Seal the cheese slices and veggie mix within the chapattis, by pressing its edges.
  • Take a pan and place some ghee over it. Preheat the pan.
  • Now, place the chapatti on the pan and roast (सेंक) it, like a parantha.
  • The cheese veggie wrap is ready.

Friday, 18 January 2019

Story Of Life : जलन (भाग - 3)

अब तक आपने पढ़ा..... 
मनीषा और शिखा दो बहने हैं मनीषा गोरी व शिखा सांवली है, जिससे शिखा मनीषा से बहुत जलती है पर बेटी शिखा की गोरी व मनीषा की सांवली होती है  पर तब भी शिखा की बेटी से ज्यादा सब मनीषा की बेटी को ही प्यार करते हैं, तब नानी शिखा को समझती हैं...... 
अब आगे.......  
जलन (भाग - 3)  

नानी ने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरा, बोली मेरी बात ध्यान से सुनेगी ना, मेरी प्यारी सोनपरी?
नानी हमेशा से ही शिखा को ऐसे ही प्यार से बुलाती थीं, हाँ नानी सुनुंगी, शिखा आँसू पोछते हुए सी बोली, बेटा सबसे पहले तो तुम ये बताओ, क्या कभी मनीषा ने तुम पर अपने गोरे होने का घमंड दिखाया है क्या?
नहीं नानी, कभी भी नहीं। हाँ मुझे लगा ही था, नानी उसकी बात का समर्थन करती हुई बोली। अच्छा तो मेरी बात ध्यान से सुनना, देख बेटा रंग-रूप किसी की पहली नज़र खींचने के लिए आवश्यक तो हैं, पर वो नज़र आप पर टिकी रहे, इसके लिए अच्छा व्यहवार की आवश्यकता अधिक होती है। तुम्हें एक बात और बताऊँ? जिसका स्वभाव अच्छा होता है, धीमे धीमे उनके चहरे में, एक अलग सा नूर आ जाता है। जो खूबसूरत से खूबसूरत लोगों को मात दे देता है। अगर कोई ऐसा महफिल में शामिल होगा, तो सब बरबस उसी तरफ खींचे चले जाते हैं। उसके आगे परी को भी कोई नहीं देखता है।
यही कारण है, कि तुम्हारी परी सी सुंदर स्नेहा, को छोड़ सब मृदुल को देख रहे थे, क्योंकि वो मनीषा की  तरह ही बहुत अच्छे स्वभाव की, मासूम और सबका ध्यान रखने वाली है। बल्कि वो अपनी माँ से भी ज्यादा अभी से दूसरों के लिए बहुत सोचने लगी है। अत: वो साँवली होते हुए भी बड़ी मोहिनी लगती है।
आज शिखा समझ पायी थी, कि मनीषा का गोरा रंग नहीं अच्छा स्वभाव ही था, जिसके कारण ही सब मनीषा को इतना प्यार करते थे।
शिखा भी शाम को अपने घर निकाल गयी। अब उसने अपना सारा ध्यान स्नेहा को अच्छे संस्कार देने में लगा दिया था। चंद साल बाद फिर से जब मनीषा और स्नेहा दोनों मायके में मिले। अबकी बार सब जगह स्नेहा स्नेहा गूंज रहा था, साथ ही सब शिखा की भी बड़ी तारीफ कर रहे थे।
शिखा नानी से जा कर गले लग गयी, नानी उस दिन आपने अगर समझाया ना होता, तो सब मेरी स्नेहा को यूं प्यार ना दे रहे होते। काश जब में छोटी थी, तब ही मुझमें ये अक्ल आ गयी होती, तो मैं भी सबका प्यार पाती, और मनीषा से जलन भी ना करती।      

Thursday, 17 January 2019

Story Of Life : जलन (भाग- २ )

अब तक आपने पढ़ा, मनीषा व शिखा दो बहने हैं । मनीषा बहुत गोरी है, जबकि शिखा सांवली है। शिखा हमेशा मनीषा से जलती है। पर जब दोनों की बेटी होती हैं, तब मनीषा की सांवली व शिखा की बेटी गोरी होती है........ 
अब आगे...... 

जलन (भाग-२)


आज पांच साल बाद बुआ की 25 anniversary में दोनों बहन फिर से मिल रहीं थी। आज दोनों पहली बार एक दूसरे की बेटी को देखने वाली थीं।
इत्तेफाक ऐसा हुआ कि दोनों एक साथ ही घर पहुंचे। पर ये क्या आज भी सब मनीषा की तरफ ही देख रहे थे।

मनीषा की बेटी साँवली जरूर थीपर वो बहुत ही मासूम, सरल, और संस्कारी भी थी। उसके कपड़े भी बिलकुल साफ थे। उसने दूर से सबको प्रणाम प्रणाम करना शुरू कर दिया था। उसकी ऐसी मासूमियत ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींच लिया। यहाँ तक शिखा की माँ की भी पहली नज़र मनीषा की बेटी मृदुल पर ही गयी।
वहीं शिखा की बेटी स्नेहा, शैतान और नकचड़ी थी।
शिखा ने उसे ड्रेस तो बहुत सुदर पहनाई थी, पर उसमे कई जगह chocolate लगी थी, और कुछ कुछ जगह और भी गंदी ही हो रही थी।
वो बहुत तेज़ी से सबको धक्का देती हुई निकल गई, जिसमे शिखा की माँ गिरते गिरते बचीं, उन्हें मृदुल के नन्हें हाथों ने थाम लिया था।
शिखा माँ के पास आ कर स्नेहा की सफाई देती हुई बोली, माँ आप तो जानतीं हैं ना? स्नेहा को अगर doggy दिख जाता है, तो बस, फिर उसे किसी बात का होश नहीं रहता है। जब घर से चली थी, तभी मैंने उसे Bruno के बारे में बताया था, तभी से वो उससे मिलने को आतुर थी। बुआ खिसियानी हंसी हंसने लगी, और शिखा स्नेहा की तरफ दौड़ गयी।
दो दिन तक स्नेहा बस Bruno में ही लगी रही, जबकि मृदुल सबसे प्यारी प्यारी बातें करके सबका दिल जीतती रही। अब दोनों के लौटने का दिन आ गया, मनीषा सुबह की ट्रेन से निकल गयी, शिखा को शाम की ट्रेन पकड़नी थी। शिखा जिस किसी से बात करती, सब बस मृदुल की याद में डूबे उसकी बात करते मिलते। सब बस यही कहने में लगे हुए थे, मृदुल कितनी प्यारी है, बिलकुल माँ जैसी ही सुंदर है, और उसकी मासूम बातों का तो क्या कहना, मन मोह लेती थी। कितनी छोटी सी है, पर सबका ध्यान रखने में तो, अपनी माँ से भी आगे निकल गयी है। कितनी सलीकेदार थी मनीषा उसे सुबह तैयार करती थी, तो कपड़े बदलने तक भी उसके कपड़े साफ ही रहते थे। भगवान ऐसी बेटी सबको दें।

सब जगह बस मृदुल मृदुल..... स्नेहा की तो कोई बात भी नहीं कर रहा था, करते भी क्या? वो कहाँ किसी से घुली मिली थी, वो तो बस दिनभर शरारते करती, या Bruno के साथ खेलती, कोई कुछ बात करता तो बस बदतमीजी से भरे जवाब देती। और कपड़े, हाथ, उनका तो क्या ही कहना, शिखा दिन भर उसे अच्छे कपड़े पहनती रहती, पर वो 5 मिनट से ज्यादा देर साफ ना रहती।
शिखा मृदुल की तारीफ सुन सुन के पक गयी थी। वो अन्दर जा कर रोने लगी। उसे रोता देख नानी ने पूछा, क्या हुआ बेटा क्यों रो रही हो?
वो बोली जब मैं छोटी थी, मनीषा के गोरे रंग के कारण सब उसे ही ज्यादा प्यार देते थे। और मुझे कोई देखता नहीं था। जब उसकी साँवली और मेरी गोरी बेटी हुई।  तब भी सब मनीषा की बेटी को ही प्यार कर रहे हैं। मेरी स्नेहा, मृदुल से कितनी गोरी और सुंदर है। पर वो किसी को दिख ही नहीं रही है।
नानी ने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरा, बोली मेरी बात ध्यान से सुनेगी ना, मेरी प्यारी सोनपरी?........
  नानी ने शिखा से क्या कहा, जानने के लिए पढ़ें जलन (भाग-३)