Wednesday 17 April 2019

Article : मन की बात


मन की बात

आज मैं एक ऐसे इंसान के बारे में कहने जा रही हूँ, जिसके बारे में पूरी दुनिया बोल रही है, कुछ ऐसे हैं, जो तारीफ करते नहीं थक रहे हैं, तो वहीं कुछ ऐसे हैं, जो ढूंढ ढूंढ कर कमियाँ निकाल रहे हैं।
    आप किसी की मत सुनिए, मेरी भी नहीं। बस जो लिख रहे हैं, उसे पढ़िएगा, फिर दिल से सोचिएगा, और अपने मन की बात ही सुनिएगा।
    हम में से बहुत या सब ही, ऐसे हैं, जिन्होंने स्वतंत्र भारत में ही आँखें खोली हैं। क्योंकि जिन्होंने आज़ादी का संघर्ष देखा था। वो तो शायद सभी ईश्वर में लीन हो चुके हैं।
   हम में से कोई नहीं जानता कि आज़ादी मिलने के लिए कितने संघर्ष करने पड़े थे। पर अपनी दादी, नानी से इसके बहुत कहानी किस्से सुने हैं, इतिहास में भी पढ़ा है।
   और अपनी समझ से इतना तो समझते हैं, कि ये इतनी आसानी से नहीं मिली है। स्वतंत्र-भारत हमारे स्वतन्त्रता सेनानियों की धरोहर है। और ये हमारा फर्ज़ है, कि अब हम उसका ना केवल पूर्णतः ध्यान रखें, बल्कि उसे उनके सपनों जैसा विकसित देश भी बनाएँ।
    देश को आज़ाद हुए 72 साल हो गए हैं। पर हमें सुनने को क्या मिला, कभी देश का बंटवारा, कभी बम विस्फोट, कभी धार्मिक झगड़े, कभी चारा घोटाला, कभी यूरिया घोटाला,... आदि और भी ना जाने कितना यही सब कुछ।
    पर इधर गुज़रे चंद साल अगर हम देखेंगे, तो कुछ अलग ही सुनने को मिल रहा है।
   नोट-बंदी, जिससे काला बाज़ारी पर रोक लगी, साथ ही आतंकवाद पर भी कड़ा प्रहार हुआ।  

    मुसलमान औरतों की तीन तलाक की बरसों पुराने कष्टप्रद प्रथा का अंत।
     गरीब औरतों को धुएँ से मुक्ति, अब घर घर गैस है।
    लड़कियों को अब केवल बचाने के लिए ही नहीं वरन उन्हें पढ़ने पर भी ज़ोर दिया जा रहा है।
    भारत में अभी स्वछ्ता के लिए जितने काम किये जा रहे हैं, उतना तो पहले कभी सोचा भी नहीं जाता था।
    गरीबों और किसानों को loan दिया जा रहा है। और युवाओं को रोजगार  
    जब देश पर दुश्मन हमले करने की सोच रहा है, तब या तो 
उसे पीछे हटना पड़ रहा है। डोकलम से “चीन ने अपनी सेना हटाई”
    या मुँह की खाकर चुप बैठना पड़ रहा है। “आतंकवादी हमले का मुँह तोड़ जवाब, surgical and air surgical strike”

    पाकिस्तान के हमले किए जाने पर, पाकिस्तान को हार का मुँह देखना, और मात्र तीन दिन में अभिनंदन का भारत वापिस 
आना। एक ऐसा असंभव कार्य जो आज तक संभव नहीं हुआ था।  
    देश के आर्थिक शहरों के साथ साथ ही धार्मिक शहरों की भी काया पलट।
    आप ने भी ध्यान दिया होगा, ये चंद साल, अच्छे दिन आने की शुरुआत ही लगते हैं ना?

जहाँ ना तो घोटाले हो रहे हैं, जहाँ ना धर्म की लड़ाई हो रही है, क्योंकि सभी धर्मों के लोगों के विषय में सोचा जा रहा है। गाँव व शहर का विकास हो रहा है। इन दिनों सेना बिना युद्ध किए ही जीत जा रही है। विदेशों में भारत का बोल –बाला, और मैत्री पूर्ण संबंध
    आज सब अपने आपको सुरक्षित हाथों में अनुभव कर रहें हैं।
   
 और हाँ आपको ये बताने की जरूरत तो है नहीं, कि ये सब किस प्रधानमंत्री के कार्यकाल में हो रहा है। 
    अब ये हमको तय करना है कि हम किस तरह के भारत की 
कल्पना कर रहे हैं, जैसा भारत पहले था, या जैसा अभी चंद गुज़रे सालों में दिख रहा है
    तो क्या है आपके मन की बात? मेरे मन तो कहता है

"गर मोदी हैं साथ, तो फिक्र की क्या बात
हर सपने होंगे साकार, गर होगी मोदी सरकार"