Saturday 10 February 2024

Trip Review : Amritsar - सफर देशभक्ति और आस्था का - 5

 Trip Review : Amritsar - सफर

Trip Review : Amritsar - सफर देशभक्ति और आस्था का 

Trip Review : Amritsar - सफर देशभक्ति और आस्था का -2

Trip Review : Amritsar - सफर देशभक्ति और आस्था का -3  

Trip Review : Amritsar - सफर देशभक्ति और आस्था का - 4 

अब तक आपको तलवार म्यूजियम, वाघा बॉर्डर, रामतीरथ, golden temple, लाल माता देवी मंदिर और सड्डा पिंड के विषय में बता चुके हैं, अब आगे...

Trip Review : Amritsar - सफर देशभक्ति और आस्था का - 5  



सड्डा पिंड के बाद हमारी सवारी चल दी, अमृतसर के एक और खूबसूरत मंदिर की ओर, जो है दुर्गियाना मंदिर... 

दुर्गियाना मंदिर 


Golden temple की तरह ही दुर्गियाना मंदिर भी सरोवर के बीच में था, और उसी की तरह बहुत सुंदर, पवित्र माहौल और असीम शांति, वहां भी थी। 

वहां पर मूर्तियां, इतनी सुन्दर थीं कि उनसे नजर ही नहीं हट रही थी।

मंदिर में कोई धक्का मुक्की नहीं, कोई किचकिच नहीं, पंडितों का किसी प्रकार का कोई प्रोपेगंडा नहीं...  

अत्यंत सुख की अनुभूति हुई वहां, आत्मा तृप्त हो गई...

गोविन्दगढ किला  


वहां दर्शन करने के बाद हम चल दिए गोविंदगढ़ किला...(Gobindgarh fort)

चूंकि शाम हो चुकी थी और हम लोग थक भी
गये थे तो fort घूमने का हमारा कोई विचार नहीं था। पर हम वहां गए थे क्योंकि हमने सुना था कि वहां पर होने वाले shows बहुत बढ़िया होते हैं। ध्यान रखिएगा सारे shows everything में होते हैं।

वहां पहुंच कर पता चला कि वहां तीन तरह के टिकट थे। एक केवल fort घूमने के, दूसरा including show, तीसरा including meal, उनकी cost भी उसके according मंहगी होती गई। 

क्योंकि हमें fort के बाद golden temple जाना था और वहां लंगर प्रसाद ग्रहण करना था, अतः हमने without meal वाली टिकट ली थी। 

जिसमें shows, events, games and ridings शामिल थी।

हमने वहां सब बहुत enjoy किया। 7d show and laser show बहुत amazing था। Games and riding भी बहुत मजेदार था। 

वहां AI based games भी थे, जिनका अलग से payment करना था, बच्चों ने उन्हें भी खेला और बहुत enjoy किया। 

वहां पर खाना कैसा था, और क्या-क्या dishes थीं, हम नहीं बता सकते हैं, हां welcome drink में soups थे, जिन्होंने meal वाला टिकट लिया था, उनको serve किया जा रहा था।


उसके बाद हम लोग golden temple के लिए निकल गये थे, जिसके बारे में हम आपको पहले ही बता चुके हैं। 

तीसरे दिन हम लोगों के जो point छूटे थे वो cover करने थे। जिसमें जलियांवाला बाग और partition museum था। 

जलियांवाला बाग  




तो बस उस दिन सुबह सबसे पहले हम लोग, जलियांवाला बाग गये थे। वहां ज्यादा समय नहीं लगा, क्योंकि वहां एक कुआं है, जहां वो भयंकर त्रासदी हुई थी, क्रूर जनरल डायर के द्वारा चलवाई गई गोलियों के निशान हैं, साथ ही कुछ gallery भी...

यहां पर show भी है उस त्रासदी का, जो evening में होता है, पर हम उसे नहीं देख पाए।


उसके बाद हम एक बार फिर golden temple गये, शायद कुछ भीड़ कम हो और हम लोग माथा टेक लें। पर नहीं, भीड़ अभी भी बहुत ज्यादा थी। अतः कुछ देर golden temple के प्रांगण में बैठ कर हमने वहीं से बाबा जी को शत-शत प्रणाम किया। 


अब चल दिए उस आखिरी जगह के लिए, जिसके लिए यही कहेंगे कि अगर आप अमृतसर में वहां नहीं गए तो आप ने भारत की उस घड़कन को नहीं समझा, जब हमारे देश ने सबसे कठिन पल जिया था।

यह वो पल था, जब भारत को अपने उस पल की खुशियां मनानी थी, जिसका वो बरसों से सपना देख रहा था, जिसके लिए, उसके ना जाने कितने लाल ने हंसते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। 

आजादी का पल... 

पर उस पल का भारत जश्न भी नहीं मना पाया था कि  भयंकर यातना देने वाली त्रासदी ने भारत को जकड़ लिया था। वो है partition.... 

Partition museum  



हम बात partition museum की कर रहे हैं। वहां उस पल को जैसे आज भी जीवंत कर के रखा है। वहां जाने पर उस त्रासदी को देखकर, महसूस कर, के एक सिहरन सी दौड़ गई। 

मन में रोम रोम एक तीव्र वेदना से भर गया। आंखें नम हो गई। वहां बजती हुई train की whistle, उसका announcement, आरी से किया हुआ विभाजन, घर की गिरीं हुई ईंटें, headphones में उस समय की आवाजें, वहां रखे सामान और उनकी कहानियां। और भी बहुत कुछ... 

वो सब इतनी सजीव और मार्मिक हैं कि अगर आप उन सबको देख कर आएंगे तो आपको पता चलेगा कि भारत ने बहुत कठिन समय व्यतीत कर के आज का समय पाया है, आज का भारत, धरोहर है उन सपनों की, जो वो हमें सौगात में दे गए थे। उनका मान करें, अपने देश का सम्मान करें और हर वो काम करें, जो देश को उन्नत, सुदृढ़ और समृद्ध करें...

इसके साथ ही हमारा अमृतसर की आस्था और देशभक्ति से परिपूर्ण सफ़र समाप्त हुआ। पर हम अपने साथ आशीर्वाद और देशभक्ति को लेकर लौटे और आप सबसे कहेंगे कि एक बार अपने बच्चों को वहां जरूर लें जाएं, जिससे हमारे बच्चे, देशभक्ति और आस्था दोनों से जुड़े... 

एक प्रयास था कि आपको अपने देश की संस्कृति और परंपरा से जोड़े, थोड़ा लम्बा हो गया, पर हमारी कोशिश थी कि आपको एक एक बात ऐसी बताएं कि जब भी आप वहां जाएं, आपकी यात्रा मंगलमय हो और वो जीवन में एक मीठी याद बन कर रहे। 

जय हिन्द जय भारत 🇮🇳