Saturday, 7 September 2019

Poem : मां भारती का बेटा

मां भारती का बेटा


मां भारती ने अपने लाडले
चंद्रयान को चांद पर भेजा था 
दूर बैठकर, पृथ्वी से
सपना एक सहेजा था
हो रहा था सब इच्छा सा
ना जाने, कैसे कब क्या हुआ
क्यों चांद , विक्रम से रूठ गया
बस 2.1 km. पहले ही
हाय! संपर्क हमारा टूट गया
संपर्क भले ही छूटा हो
हिम्मत अभी भी बाकी
वो मां भारती का बेटा है
सांस उसमें अब भी बाकी है
सूरज को थोड़ा चढ़ने दो
कुछ धूल भी कम होने दो
वो पहुंचा गया सफलता से
यह ख़ुश ख़बरी, 
हम तक पहुंचाएगा
अमिट छाप, चांद पर
इसरो व अशोक ललाट की
वो छोड़ जायेगा