Tuesday, 10 November 2020

Article : एक घरौंदा मिट्टी का

 एक घरौंदा मिट्टी का




आज Facebook पर कुछ घरौंदे देखने को मिले।

वो हमें, हमारे बचपन में ले गए। जब दीपावली, दीपावली हुआ करती थी।

उसमें उमंग और उत्साह हुआ करता था।

तब घरों से मिठाइयों और पकवानों की खुशबू उड़ा करती थी। 

पटाखे फोड़ने पर पाबंदी नहीं लगाई जाती थी।

घरौंदे बनाना below standard नहीं समझा जाता था। बल्कि घर घर में बनाया जाता था।

तो आज आपको बचपन के उन सुनहरे दिनों में ले चलते हैं, जब कुछ साल हम लोगों ने अपनी नानी के घर में बिताए थे।

बड़े ही खूबसूरत दिन थे, दीपावली के हफ्ता-दस दिन पहले से, हम सारे बच्चे मौसियों के साथ घरौंदा बनाने में लग जाते थे।

बड़ी तल्लीनता से घरौंदा बनाया करते थे। मिट्टी की उड़ती, वो सोंधी-सोंधी सी खुशबू, हमारे उत्साह में चार चांद लगा दिया करती थी। सब की यही कोशिश रहती कि घरौंदा बहुत सुन्दर बने।

वो होता तो था मिट्टी का, जिसमें हमारे खिलौने ही रहते थे। पर उनकी सारी सुविधाओं का ध्यान रखा जाता था।

घरौंदा एक मंजिल का कभी नहीं बनाते थे, कम से कम दो तीन मंजिला का तो वो बनाया ही जाता था।

ऊपर के कमरे में जाने के लिए सीढ़ियाँ भी बनती थी, जो कि छत तक जाती थीं।

नीचे बड़ा सा बगीचा भी होता था।

घरौंदे को बनाने में लगने वाली मेहनत, हम लोगों को सुकून देने वाली होती थी। और जब वो बन जाता, तो उसमें whitewash भी की जाती।

उस घरौंदे के दरवाज़े व खिड़कियों पर पर्दे लगाए जाते, पायदान रखते और छोटे छोटे गमले रखे जाते। 

इस तरह से सज-धज कर तैयार हुए अपने घरौंदे को देखकर, जो आत्मिक सुख मिलता था, वो अवर्णनीय है।

घरौंदा बन जाता तो उसमें सबसे पहले, गणेशजी व लक्ष्मी जी को प्रतिस्थापित किया जाता।

दीपावली में मिट्टी के खिलौने आते थे। जिन से हम वहीं बैठ कर घंटों खेला करते थे। शाम को रोज वहाँ पूजा अर्चना की जाती थी।

अब कहाँ वैसी दीपावली! ना तो इतनी जगह है किसी के पास, ना समय, ना वैसी चाह, ना वो उमंग ना वैसा उत्साह।

बड़े याद आते हैं वो दिन, वो घरौंदा, वो चौघड़िया, वो गुजरिया, वो गट्टे, वो खील, वो खिलौने, वो पटाखे, वो मस्ती और सबका प्यार भरा साथ..........

क्या आपको भी? ........

शायद इसे पढ़कर, आप में से बहुत लोगों को अपने बचपन की वो स्वर्णिम दीपावली याद आ गई होगी। और याद आया होगा, वो एक घरौंदा मिट्टी का!

2 comments:

  1. True! Those were the golden days of our life. Yaadein taaza kar di. Thanks. Nice article

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    1. Thank you very much for your appreciation 🙏

      Your words inspired me.

      Keep visiting 🙏🏻

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