हर साल, दीपावली के आते ही, दिल्ली सरकार और so called pollution sensitive लोग, उधम मचाने लगते हैं कि पटाखे नहीं चलाने चाहिए। किसानों द्वारा पराली जलाना, बंद करना चाहिए...
उससे बहुत ज्यादा pollution हो जाता है।
पर इस साल, ban लगाने और लोगों के नाटक मचाने के बावजूद, दिल्ली में ठीक-ठाक मात्रा में पटाखे फोड़े गए। और पता है मज़े कि बात क्या है, उसके बावजूद भी pollution level control रहा।
और अब, जब कि दीपावली को गुजरे हुए 15 दिन से भी अधिक दिन बीत चुके हैं, तो pollution level, बेइंतहा बढ़ चुका है...
Pollution; is Diwali responsible?
पर क्या 15 दिन बाद, दीपावली पर फोड़े गए पटाखों का असर हो सकता है? और वो भी तब, जब दीपावली के बाद बढ़े हुए pollution level का कोई जिक्र नहीं किया गया हो...
हमारी समझ से परे है, ऐसा सोचना...
जी हां, बिल्कुल असंभव या पूरी तरह से असत्य बात कही जाएगी।
आज 15 दिन बाद polution level बढ़ने पर school, college बंद कर दिए गए हैं, online classes शुरू कर दी गई है।
जबकि school, college, दीपावली के पांच-दिवसीय त्यौहार के बीत जाने के अगले दिन, 4 November से सब सुचारू रूप से चल रहे थे।
इस बार, इतनी देर बाद बढ़ा हुआ pollution level, बार-बार यह ही संकेत कर रहा है कि यह बात पूर्णतः सत्य है कि पटाखे फोड़ने से pollution बढ़ता है, लेकिन अत्यधिक polution level बढ़ाने में केवल वही जिम्मेदार नहीं होता है।
साथ ही यह भी सिद्ध होता है कि पटाखे केवल दीपावली पर चलने से polution करेंगे, ऐसा तो सरासर गलत है। वो जब फोड़े जाएंगे, कुछ pollution तो बढ़ेगा ही...
पर इस बात पर जरूर से गौर कीजिए, अगर आप को सच में फर्क पड़ता है, pollution level के बढ़ने से, पहला तो हिन्दू त्यौहारों को बदनाम करने वालों का पुरजोर विरोध कीजिए।
दूसरा pollution level बढ़ाने वाले और regions पर ध्यान देते हुए, उन पर नियंत्रण रखने का प्रयास कीजिए, साथ ही सरकार द्वारा उठाए गए अच्छे कदमों पर उनका समर्थन कीजिए, जैसे specially car pool में...
सच मानिए, बढ़ते हुए vehicle numbers and AC numbers, factories के numbers, pollution level को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
क्या आप उस पर control कर सकते हैं?
पराली जलाना और दीपावली पर पटाखे फोड़ना, तो सदियों से हो रहा है। पर उस पे सारा ठीकरा फोड़ना बंद करें और जो सही और ठोस कदम हैं, उस ओर भी ध्यान केंद्रित करें।
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