Thursday, 29 August 2019

Article : राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day )

राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day )


राष्ट्रीय खेल दिवस, ये भी होता है? जी हाँ, आज से पहले इस दिवस के विषय में केवल खेल जगत से जुड़े लोग ही जानते थे। हम लोगों में से बहुत से लोगों को इस विषय में कुछ नहीं पता था।

पर जब से मोदी जी प्रधानमंत्री बने हैं, तब से भारत का चहुं ओर विकास हो रहा है। आए दिन भारतीय खिलाड़ी खेल जगत में अपना नाम रोशन कर रहे हैं, फिर चाहे वो मैदान cricket का हो, या badminton का, या athlete का track हो, सब तरफ से जीत मिल रही है। भारत gold medal पा रहा है।  

हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day ) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन देश के महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती का है।

मेजर ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता हैउन्होंने ओलंपिक में भारत का तीन बार प्रतिनिधित्व किया 1928, 1932 और 1936 में और तीनों बार गोल्ड मेडल जीता था। इतना ही नहीं मेजर ने अपने 22 साल के करियर में 400 गोल दागे थे।

उन्हीं के सम्मान में हर साल भारत सरकार 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाती है। इस दिन राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति स्वयं खेल के अलग-अलग क्षेत्रों के अलग-अलग खिलाड़ियों को विभिन्न खेल सम्मानों (राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन अवार्ड, द्रोणाचार्य अवार्ड, ध्यानचंद अवार्ड) से सम्मानित करते हैं। हर बार की तरह इस बार भी खेल दिवस मनाया गया, जिसमें अलग-अलग खेलों से कुल 32 खिलाड़ियों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी ने पुरस्कृत किया

पुरस्कार विजेताओं की लिस्ट:

राजीव गांधी खेल रत्न: बजरंग पुनिया (कुश्ती) और दीपा मलिक (पैरा एथलेटिक्स)

द्रोणाचार्य अवॉर्ड (नियमित): विमल कुमार (बैडमिंटन), संदीप गुप्ता (टेबल टेनिस) और मोहिंदर सिंह ढिल्लों (एथलेटिक्स)

द्रोणाचार्य अवॉर्ड (लाइफ टाइम): मरजबान पटेल (हॉकी), रामबीर सिंह खोखर (कबड्डी) और संजय भारद्वाज (क्रिकेट)

अजुर्न पुरस्कार: तजिंदर पाल सिंह तूर (एथलेटिक्स), मोहम्मद अनस यहिया (एथलेटिक्स)एस भास्करन (बॉडीबिल्डिंग), सोनिया लाथर (मुक्केबाजी), रवींद्र जडेजा (क्रिकेट), पूनम यादव (क्रिकेट), चिंगलेनसाना सिंह कंगुजम (हॉकी)अजय ठाकुर (कबड्डी), गौरव सिंह गिल (मोटर स्पोर्ट्स), प्रमोद भगत (पैरा स्पोर्ट्स बैडमिंटन), अंजुम मुद्गिल (निशानेबाजी), हरमीत राजुल देसाई (टेबल टेनिस), पूजा ढांडा (कुश्ती), फवाद मिर्जा (घुड़सवारी), गुरप्रीत सिंह संधू (फुटबॉल), स्वप्ना बर्मन (एथलेटिक्स), सुंदर सिंह गुर्जर (पैरा स्पोर्ट्स एथलेटिक्स), बी साई प्रणीत (बैडमिंटन) और सिमरन सिंह शेरगिल (पोलो)

ध्यानचंद अवॉर्ड: मैनुअल फ्रेडरिक्स (हॉकी), अरूप बसाक (टेबल टेनिस), मनोज कुमार (कुश्ती), नितिन कीर्तने (टेनिस) और सी लालरेमसांगा (तीरंदाजी)

राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार: गगन नारंग स्पोर्ट्स, प्रमोशन फाउंडेशन और गो स्पोर्ट्स और रॉयलसीमा विकास ट्रस्ट

मौलाना अबुल कलाम आजाद (माका) ट्रॉफी: पंजाब यूनीवर्सिटी चंडीगढ़ तेनजिंग नोग्रे राष्ट्रीय साहस पुरस्कार: अपर्णा कुमार (भू साहस), स्वगीर्य दीपांकर घोष (भू साहस), मणिकंदन के (भू साहस), प्रभात राजू कोली (जल साहस), रामेश्वर जांगड़ा (वायु साहस), वांगचुक शेरपा (जीवन पर्यन्त उपलब्धि)

इस साल का खेल दिवस खास है, क्योंकि आज से फिट इंडिया मूवमेंट की शुरुआत हो रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय खेल दिवस पर फिट इंडिया अभियान’ (Fit India Movement) का आगाज किया। इसका मकसद देश में लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है।

Wednesday, 28 August 2019

Story Of Life: मैं भी बहू थीं (भाग- 3)


Story Of Life: मैं भी बहू थीं (भाग- 3 ) 


Story Of Life: मैं भी बहू थीं (भाग- 1 )..... और
Story Of Life: मैं भी बहू थीं (भाग- 2 )...... के आगे


कामना को सहमा देखकर रचित माँ के पास गया।

उसने उन्हें खाने के लिए लड्डू दिये, फिर पानी दिया। और जब माँ थोड़ा शांत हुईं तो बोला, माँ आप मेरी बात सुनिए। आप बहुत अच्छी बहू थीं, बहुत काम भी करती थीं। 

पर आज की बहुओं के पास भी बहुत काम हैं। आज वो हम (पुरुष) से कंधे से कंधा मिला कर job कर रही हैं, बच्चों को खुद पढ़ा रहीं हैं। 

फिर बच्चे बहुत से काम कर रहे हैं, जैसे dance, song, games आदि। उसके लिए भी ले कर जाती हैं। इन सबके बाद अगर वो घर के भी सारे काम करेंगी, तो हमारे लिए, अपने खुद के लिए समय कब निकालेंगी?

अब सब लोग अपने घर सहायता के लिए maid रखते हैं, तो उसमें गलत क्या है? गलत तो तब होता, जब वो आप से काम करवाती और खुद आराम करती।

अगर आप देखेंगी, उसने maid रख कर कितने सारे काम किए हैं।

आपको महारानी बना दिया, आपकी सेवा के लिए नौकर है।

उसको काम पर रखा, उससे उसके परिवार वालों की पैसे की तंगी दूर हो गयी, अब वे भूखे नहीं सो रहे हैं। मतलब उसे आर्थिक सहायता प्रदान कर रही हैं।

और maid के रहने से वो घर के काम से free हो गयी है, तो बच्चों को पढ़ा रही हैjob कर रही है, बैंक के काम, घर के, बाहर के काम, सब कर रही है। इन सब से हमारे घर की आर्थिक व्यवस्था सुदृढ़ हो रही है, तो घर में शांति व सुख का वास है।

लक्ष्मी को समझ आ गया, जब मैं बहू थी, तब बहुत काम था, और आज भी बहुत काम है, बस काम के स्वरूप बदल गए हैं। और समय के साथ सबको बदलना चाहिए।

Tuesday, 27 August 2019

Story Of Life: मैं भी बहू थीं (भाग- 2 )

 Story Of Life: मैं भी बहू थीं  (भाग- 1) के आगे.....

Story Of Life: मैं भी बहू थीं (भाग- 2 ) 



कामना के इतना बोलने और पैसे की तंगी के चलते रचित माँ से बात करने चला गया।

लक्ष्मी कैसे भी, रचित की बात नहीं मान रही थी।  पर जब रचित ने कहा, अगर कामना ने job join नहीं की, तो मजबूरन उसे बीमारी में ही job ढूंढनी पड़ेगी। 

उससे ऐसा भी हो सकता है, अधिक बीमार होने से hospital में admit होना पड़े। 

बेटे की ऐसी बात सुनकर लक्ष्मी ने कह दिया, ठीक है, कामना job कर सकती है

कामना को जल्दी ही job मिल गयी। चंद दिनों में रचित ठीक हो गया, और उसने दूसरी company join कर ली।  पर उसने कामना को job continue ही रखने को कहा।

Job के साथ घर के सारे काम manage करना कामना के लिए भारी पड़ने लगा। लक्ष्मी चंद दिनों के लिए अपनी बहन के घर गयी थी।

तो एक दिन कामना ने रचित से कहा, अब तो हम दोनों job कर रहे हैं। पैसे की तंगी नहीं है, तो क्यों ना अब हम लोग घर के काम के लिए maid रख लें।

रचित इस बात के लिए, खुशी खुशी ready हो गया। कामना ने एक maid रज्जो को घर बुला लिया। रज्जो बहुत अच्छा काम करती थी, साथ ही बहुत सीधी और ईमानदार भी थी। 

उसके काम करने से कामना को अपना घर बहुत अच्छा लगने लगा था, क्योंकि अब वो चैन के दो पल रचित के साथ भी बिता रही थी।

लक्ष्मी जब घर वापस आई, तो रज्जो को देखकर उसने घर सिर पर उठा लिया। बोली आज कल की बहुयें कुछ काम नहीं करना चाहती हैं। 

वहाँ दीदी की बहू अलका ने काम वाली लगा ली है, और यहाँ कामना ने। हद हो गयी इन लोगों की कामचोरी की। 

मैं भी बहू थीछतीसों काम कर डालती थी, कुएं से पानी भरना,  गेहूँ पीसना, फिर बर्तन, झाड़ू-पोछा, 10-10 लोगों के लिए खाना बनाना, सब अकेले कर लेती थी। और आज हाथ नही हिलता इन बहुओं से।

रज्जो, लक्ष्मी की बातों से डर कर भाग गयी। कामना भी सहम कर खड़ी हो गयी। कामना को सहमा देखकर रचित माँ के पास गया।
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