Thursday, 5 November 2020

Satire : कोरोना की आत्म कथा

आज आप सब के साथ मुझे इंदौर से श्रीमती उर्मिला मेहता जी के आलेख को साझा करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है।

इस लेख में उन्होंने बड़ी खूबसूरती से बयान किया है कि जिस कोरोना से सब इतना डरें हुए हैं, उसकी खुद की क्या अवस्था है।

आइए हम सब इसका आनन्द लें।


कोरोना की आत्म कथा

                 


मैंने सोचा था कि  विकसित देशों की भाँति  विकास शील देशों में ,मैं और भी अधिक  कोहराम मचा दूँगा ।

सब मुझसे थर थर काँपेंगे, और मेरी जन्म भूमि से बचाव की भीख मागेंगे।

        पर मेरे अनुमान के विपरीत मैंने यहाँ पर लोगों को मेरे आने का जश्न मनाते देखा।हर घर में नाना प्रकार के व्यंजन बनना शुरु हो गये। 

    दादी नानी के घरेलू नुस्खों की बाढ़ आ गई।बड़ों एवं बच्चों को घर से काम करने का मौका मिला तो उनकी चाँदी हो गई।आने जाने का समय और पेट्रोल ,डीज़ल की बचत होने लगी।

     मैंने सोचा था कि मेरे आने से यहाँ की अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी पर ऐसा कुछ नहीं हुआ

    लोग होटल जाने के बदले घर पर भी ज़ोमेटो और स्वीगी के द्वारा खाने का पार्सल मँगवा कर  व्यंजनों का भरपूर आनंद लेने लगे।

     घर घर कपड़े के  मास्क बनने लगे जिससे 

महँगे मास्क की खपत ही कम हो गई! 

    धार्मिक स्थान चाहे बंद कर दिये गए पर चिकित्सक  बनकर  ईश्वर  मुझसे ग्रसित रोगियों का इलाज करने लगे।

     यहाँ तक कि मेरे ही नाम से कोरोनेश्वर  मंदिर  तथा कोरोना नाशी तांत्रिक भी मार्केट में आ गए ! 'बाय गॉड ' ऐसा तो कभी मैंने सोचा भी नहीं था।

    फुरसत के समय में मैंने भी टी . वी  .धारावाहिक देखना शुरु कर दिया।  बुराई के ऊपर अच्छाई की विजय को लेकर कई धारावाहिक  आने लगे।पूरा घर एक जुट होकर ईश्वर की शरण में होकर अपने आपको सुरक्षित समझने लगा।

       जो गृहिणियॉं पहले काम वाली  बाई के न आने पर दूसरी बाई की व्यवस्था में लग जाती थीं वे खुद ही काम करने लगीं !

     सास बहू का नाता मेरी सोच के विपरीत नज़र आया।दोनों को हँसते -हँसते मिल-जुल कर काम करते देखा।पति लोग भी यू -ट्यूब में सुनकर नयी नयी डिश बनाने लगे।

         घर  के सब लोग एक साथ, खाने का लुत्फ उठाने लगे।

    हे  भगवान मैं कहाँ आ कर फँस गया!

   राम, कृष्ण, दुर्गा और  चंडिका देवी के देश में आकर मुझे पता लगा कि परमाणु बम जो विकसित याने बड़े देशों के नाम से प्रसिद्ध थे,यहाँ ब्रह्मास्त्र के रूप में पहले से ही मौजूद थे! 

      तीरों में मंत्र शक्ति डालकर शत्रु को हराना भी  मैंने  फुरसत में बैठे बैठे  टी . वी . में देखा।

   धृतराष्ट्र को संजय नामक पात्र ने टी . वी . जैसे देखकर आँखों देखा हाल सुना दिया।

    मुझे लगता है अब तो मुझे भी श्री कृष्ण की शरण में चले जाना चाहिये ताकि जो पाप मैंने किये हैं  वे क्षमा कर दिये जाएँ !

      वास्तव में मेरी जन्म भूमि चीन के आविष्कारकों ने मुझ जैसे वाइरस को बनाकर बहुत खराब काम किया है।

       यद्यपि मेरे देश को सबसे पहले इसकी सज़ा  भी मिल चुकी है,पर अब जाने का सोच रहा हूँ और समझाऊँगा कि अति शीघ्र वेक्सीन बनाकर पाप से मुक्त हो जाए वरना भारत वाले तो धन्वन्तरि जैसे चिकित्सक वाले देश के हैं।

     एक देश ने तो पहले से ही कब्रें खोद कर रख दी हैं कि मरने वाले को दिक्कत न हो! 

    तोअब मैं जाता हूँ भारतीयों !तुम्हारी जिजीविषा और सकारात्मक जीवन शैली को मेरा सलाम।कोरोना पॉज़ीटिव को भी तुमने नकार दिया 👍👍

Disclaimer:
इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय इस blog (Shades of Life) के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों। कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और यह blog उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं रखता है।

4 comments:

  1. वाह अनीमिका जी कोरोना का अच्छा चित्र बनाया है।हार्दिक धन्यवाद

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    Replies
    1. इतनी अच्छी रचना के लिए प्रयास तो करना ही है।

      आप कठिन विषय को अपने व्यंग के माध्यम से सहज बना देती हैं। यह अतुलनीय है।

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    2. अनीमिका जी आपका प्रोत्साहन सिर आँखों पर

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    3. आप जैसे अच्छे रचनाकार का सान्निध्य पाकर हम धन्य हो गये।

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