Saturday, 3 November 2018

Story Of Life : अंतिम इच्छा (भाग -3)


अब तक आपने पढ़ा, रितेश रंजना दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं, पर रंजना की बीमारी ने रितेश को हिला कर रख दिया, तब रंजना ने रितेश से दूसरी शादी की बात कही......
अब आगे......  
अंतिम इच्छा भाग -3 


कामिनी आज बहुत खुश थी, जिसके लिए उसका दिल हमेशा से धड़कता था, आज उस दिल से उसे मिल जाना था। कामिनी car से wedding place की तरफ चल दी।
उधर रंजना रितेश को तैयार कर रही थी। आज भी वो उसे वही शेरवानी दे कर आई थी, जो रितेश ने तब पहनी थी, जब उनकी शादी हुई थी। रितेश जब तैयार होकर आया तो उसे देख कर रंजना बेहोश हो गयी। रितेश उसे आनन-फानन में hospital ले के पहुंचा।
रंजना को जब होश आया तो, उसने खुद को hospital में पाया। वहाँ कलेंडर में 25 तारीख लगी थी। 25 means  23 निकाल गयी! तब क्या मैंने रितेश की शादी नहीं देखी? रंजना बुदबुदा रही थी। तभी रितेश वहाँ आया। रितेश को देखते ही रंजना ने पूछा, मुझे क्या हुआ था? मैं तुम्हारी शादी नहीं देख पायी क्या?
हाँ, रितेश ने दुखी स्वर में कहा। क्यों? मुझे तुमने अपनी शादी क्यों नहीं देखनी दी?
क्योंकि हुई ही नहीं, और अब उसकी कोई जरूरत भी नहीं है। ऐसा क्यों बोल रहे हो तुम?
क्योंकि तुम अब बिलकुल ठीक हो गयी हो। ठीक..... मगर कैसे?
तुम बेहोश हो गयी थी, तुम्हें लेकर जब मैं hospital आया था। तुम्हें doctor, operation theatre में ले गए, और मुझे emergency ward में ले आए।
वो बोले तुमसे कोई मिलना चाहता है। मुझसे….. पर कौन?
अंदर जाकर देखा तो कामिनी दिखी, वो अपनी अंतिम सांस ले रही थी। क्या हुआ? कामिनी यहाँ कैसे? उसकी माँ ने बताया, कि वो शादी के लिए आ रही थी, तभी इसकी car का accident हो गया। और हम इसे यहाँ ले आए। अभी तुम्हें बुला रहे थे कि तुम आ गए। वो तुमसे बात करना चाह रही थी, उससे बात कर लो।   
रितेश को देखकर कामिनी बोली, मैं जानती हूँ, तुम मुझसे शादी नहीं करना चाहते थे। तुम सिर्फ रंजना के कहने से मुझसे शादी कर रहे थे। पर मेरे दिल का क्या? जो तुम्हें बेइंतिहा चाहता है। शायद इसको बर्दाश्त नहीं था, कि तुम इसे ना चाहो। शायद इसलिए ऐसा हुआ है। मैं जा रही हूँ, मैंने doctor से पूछ लिया। मेरा दिल रंजना को लग जाएगा। वो उससे पूरी ठीक हो जाएगी। इससे तुम्हें वो हमेशा के लिए मिल जाएगी। और मेरे दिल को तुम....
मेरी इस अंतिम इच्छा को पूरी करोगे ना.......? और इसके बाद ही उसने मेरी बाँहों में अपना दम तोड़ दिया।
उसका ही दिल तुम्हारे लगा है, और तुम ठीक हो गयी हो। अब उसके दिल का ध्यान तो रखोगी ना...? अपना ध्यान रख कर....?
आज किसी की अंतिम इच्छा ने मेरी ज़िंदगी की सारी इच्छायेँ पूरी कर दी।                    

5 comments:

  1. Very emotional and interesting story

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  2. अनु तुम्हारी रचनाएं काफी भावात्मक होने लगी है और काफी हद तक दिल को छू जाती है।अच्छा प्रयास है।जारी रक्खो
    रूबी वर्मा

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    1. आपके प्रशंसनीय शब्द मुझमें ऊर्जा का संचार करते हैं,और मुझे लिखते रहने की प्रेरणा प्रदान करते हैं, आप का अनेकों अनेक धन्यवाद🙏

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