Saturday, 13 December 2025

Story of Life : बदलती ज़िंदगी (भाग-4)

बदलती ज़िंदगी (भाग-1),

बदलती ज़िंदगी (भाग-2), और

बदलती ज़िंदगी (भाग-3) के आगे…

बदलती ज़िंदगी (भाग-4)


उसकी cab RS enterprises के एक छोटे से office के सामने रुकी। दरबान ने उसकी cab का दरवाजा खोल कर welcome किया।

Office में भी उसका welcome हुआ। रितेश reception पर बैठ कर अंदर बुलाए जाने का इंतजार करने लगा।

कहां आत्मविश्वास का उदाहरण कहा जाने वाला रितेश, आज सिमटा-सकुचा हुआ बैठा था।

उसे लोगों का welcome किया जाना बहुत अजीब लग रहा था, ऐसे कौन-सी company अपने employee का welcome करती है। जरूर से बिल्कुल भी नहीं चलने वाली company होगी, तभी ऐसा कर रही है, वैसे भी गांव की भोली-भाली सुधा को इनसे बड़ा क्या ही office पता होगा, रितेश के मन में उधेड़बुन चल रही थी।

थोड़ी ही देर में receptionist उसे office के main room में ले गई और उसे boss की chair पर बैठने को बोलकर चली गई।

रितेश खड़ा ही रहा, उसे लगा कि receptionist ने कुछ और बोला और उसने कुछ और समझ लिया है।

थोड़ी ही देर में सुधा अंदर आई और बड़े प्यार से रितेश के गले लगते हुए बोली, “और CEO जी क्या हाल-चाल हैं?”

“CEO!”

“हाँ जी, CEO. देखिए, हम तो ठहरे कलाकार इंसान, तो इतने दिनों में बस इतनी बड़ी company आपको gift कर पाए, अब इसे MNC बनाने की जिम्मेदारी आपकी। अब आप को उन सबको सिद्ध करना है कि हमारा मज़ाक़ उड़ाना, उनकी सबसे बड़ी भूल थी। By the way, Happy anniversary!”

“Happy anniversary, अपनी company gift के रूप में?”

“जी हाँ मेरे सरकार, आपके साथ जिंदगी के एक साल गुजर गए, जिसमें कुछ पल बहुत खूबसूरत थे, कुछ परेशानी के भी, पर हम दोनों मिलकर अब जिंदगी के सारे पल खूबसूरत बनाएंगे।”

“ओ मेरी सुधा! तुम कितनी अच्छी हो, जब मैं जिंदगी से हार गया था, तब तुमने हिम्मत नहीं हारी। Happy anniversary sweetheart. तुम देखना, अब मैं बहुत कड़ी मेहनत करूँगा और बहुत जल्द हमारी यह RS (Ritesh-Sudha) enterprises एक MNC बन जाएगी।”

रितेश का उत्साह देखते ही बनता था, जैसे वो पुराना वाला आत्मविश्वासी, मेहनती और कुशल रितेश बन गया हो।

पहले केवल सुधा ही इस सपने को अंज़ाम दे रही थी, पर अब तो रितेश का साथ भी मिल गया था। Company दिन-दूनी रात-चौगुनी तरक्की करने लगी।

सुधा के हाथों की कारीगरी बेजोड़ थी, उसने अपने employees को भी सिखाना शुरू कर दिया था। काम बढ़ता गया और employees भी बढ़ने लगे। चंद ही सालों में company national level तक पहुंच गई।

Internet का ज़माना है, तो business को international level तक पहुंचाने के लिए, रितेश ने सुधा के द्वारा बनाई गईं paintings, embroidered sarees, suits, bedsheets upload कर दिए।

RS enterprises की ख्याति विदेश तक पहुंच गई थी और MNC का status पाने लगी। 


आगे पढ़ें, बदलती ज़िंदगी (भाग-5) में।