शादी-विवाह से जुड़े रीति-रिवाजों के गीत साझा कर रहे हैं, उस श्रृंखला में हल्दी चढ़ने की रीति पर पहला गीत था- बन्नी तेरी हल्दी में
आज दूसरा गीत साझा कर रहे हैं।
शादी के शुभ कार्यों में भात मांगने की शुभ प्रथा होती है, इस गीत द्वारा उसी को प्रस्तुत किया है।
देखिए, कैसे बहन भाई से सभी भौतिक वस्तुओं के बदले कुछ और लाने को कहा रही है।
भाई-बहन के अटूट प्रेम को प्रदर्शित करता गीत...
मेरे भैया चले आना
मेरे भैया चले आना
तुम्हें बहना बुलाती है
समय पर भात ले आना
तुम्हें बहना बुलाती है
न लाना कान के झुमके
न लाना माथे का टीका
मेरी भाभी को ले आना
तुम्हें बहना बुलाती है
मेरे भैया चले आना
तुम्हें बहना बुलाती है
समय पर भात ले आना
तुम्हें बहना बुलाती है
न लाना हाथ के कंगना
न लाना कोई भी गहना
तुम बच्चों को ले आना
तुम्हें बहना बुलाती है
मेरे भैया चले आना
तुम्हें बहना बुलाती है
समय पर भात ले आना
तुम्हें बहना बुलाती है
न लाना महंगी-सी साड़ी
न लाना चुनरी और लहंगा
परिवार संग ले आना
तुम्हें बहना बुलाती है
मेरे भैया चले आना
तुम्हें बहना बुलाती है
समय पर भात ले आना
तुम्हें बहना बुलाती है
