क्यों कहते हैं दीपोत्सव को दीपावली, कभी सोचा है आपने?
दीपावली का संधि विच्छेद करेंगे, तो आएगा, दीप + आवली, जिसमें दीप का अर्थ है, दीपक और आवली का अर्थ है एक पंक्ति में, अर्थात् दीपावली का अर्थ है दीपों की पंक्ति।
भगवान श्रीराम के अयोध्या वापस आने पर लोगों ने दीपों की पंक्तियां सजाकर उनका स्वागत किया था।
बस तब से दीपावली पर्व आरंभ हुआ और सतत् चलता जा रहा है।
आज दीपोत्सव में टिमटिमाते, जगमगाते दीपक को यह कविता समर्पित है, उसके द्वारा दिए गए संदेश के साथ…
नन्हा-सा दीपक
अमावस्या के घने तिमिर को,
जब नन्हा-सा दीपक हरता है।
सम्पूर्ण ऊर्जा के साथ में वो,
दीपावली का संदेशा धरता है।।
तनिक न ठहर जाना जीवन में,
देखकर किसी कठिनाई को।
हार न मानना कभी भी तुम,
जीवन की छोटी-बड़ी लड़ाई को।।
कहता है वो उम्र और कद,
तनिक नहीं अड़ता है।
सफलता के कठिन मार्ग पर,
धैर्य से चलना पड़ता है।।
जिसने है यह ठान लिया कि,
वो कुछ कर जाएगा।
कर्म के प्रति अडिगता,
सफल उसे बनाएगा।।
मंजिल पाने तक, तुमको,
अनवरत चलना होगा।
कर्म रूपी तेल की तपिश से,
घंटों-घंटों जलना होगा।।
घना तिमिर हो कितना भी,
सुख का आलोक छाएगा।
अथक परिश्रम तेरा, तुझको,
सफल अवश्य बनाएगा।।
अमावस्या के घने तिमिर को,
जब नन्हा-सा दीपक हरता है।
सम्पूर्ण ऊर्जा के साथ में वो,
दीपावली का संदेशा धरता है।।
आप सभी को पंचवर्षीय दीपोत्सव पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ। लक्ष्मी माता व गणेश जी हम सब पर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखें 🙏🏻
शुभ दीपावली!