Monday, 23 September 2024

Satire : Fitting in Society

आज का यह satire, हमारा नहीं है, Facebook पर पढ़ा था, पर पढ़कर, सच में मज़ा आ गया। 

हमारा यह उसूल है कि, जो किसी दूसरे का है, उसे कभी अपना कहकर नहीं डालते हैं।

पर आज का यह satire, इतना सटीक लगा कि डाले बिना रह भी नहीं पा रहे हैं। 

Writer को salute, उसमें comment box enable है, वरना वहीं उनकी तारीफ करते, तो सोचा अपने blog में डाल दें।

दुनिया गोल है, क्या पता वो भी अपना writeup पढ़ लें और खुश‌ हो लें। 

ऐसा हमारे भी कुछ write-ups को पढ़कर लोगों को लगा और उन्होंने, उसे अपने channel में डाल दिया।

आशा है कि writer को अच्छा लगेगा, देखकर ... अगर वहां पर comment box enable न होता, तो हम उनकी permission से उनके नाम के साथ डालते। अभी भी उनका write-up, उनको ही समर्पित।

आज कल classy दिखने का बहुत trend है, और यह satire उसी पर आधारित है, तो चलिए आगे का write-up उन्हीं के style में...

Fitting in Society

Apple mobile phone जब market में launch किया गया तो उसने एक strategy चलाई। 

उसने नारा दिया कि apple 'masses' (भीड़) के लिए नही, 'classes' (standard) के लिए बनाया गया है।

बस, ऐसा कहना था कि भारतीय 'भीड़' लग गयी, धड़ाधड़ mobile खरीदने, क्योंकि सबको 'classy' ही बनना है।


ऐसा ही पैंतरा शायद महंगी शराब वालों ने भी चला था। कौन सा glass होना चाहिए, कितना peg होना चाहिए, peg अपने हाथ में कैसे पकड़ना है,

कैसे toast करना है, कैसे स्वाद लेना है, neat पीना है, आदि…

ऐसा ही बड़े-बड़े hotel और restaurant वाले करते हैं कि कौन सी dish किस plate में होगी, चम्मच किस angle में रखनी है?

Plate के ऊपर चम्मच किस angle में रखने से क्या समझना है, starter, main course, dessert, tip आदि के चोंचले।


और फिर महंगी शराब बेचने वाले हों या महंगा खाना बेचने वाले, इनके यहां भी कुछ प्रजाति ऐसी है, कि लग गई खुद को classy दिखाने की होड़ में।


इन्ही के जैसे चमन लोग तो होते हैं जो हल्दी के दूध को भी 'Golden Latte' बोल, ₹300 का खरीदकर पीते हैं और खुद को cool समझते हैं।

इसलिए ऐसी चमन प्रजातियां यदि आपको certificate दें कि आपको glass पकड़ना नही आता, आपको चम्मच पकड़नी नही आती तो वही glass और चम्मच दोनों इनके certificate के साथ इनको ही दे मारिए।

आप जैसे अपने खाने पीने में सहज हैं, वैसा ही रहा कीजिये।

क्योंकि ज़िंदगी को  सहज जीने में ही सुकून है, classy दिखने में नहीं ...

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