Monday, 9 July 2018

Article : बच्चे

बच्चे

आज मेरे बेटे अद्वय का birthday है, उसका अपनी birthday  के प्रति उत्साह देखते ही बन रहा है। वो आज से ही नहीं बल्कि जून खत्म होने के पहले से ही अपने birthday date की reverse counting कर रहा है। और कल से तो उसने reverse time की counting start दी।
उसको देखकर एहसास हुआ कि, ज़िंदगी तो अब बस बचपन तक ही रह गयी है। बचपन में ही उत्साह, बचपन में ही उमंगें, वो बीता तो ज़िंदगी में केवल भागदौड़, हो, और tension की तरंगें।
हम सब भी जब बच्चे थे, तब हममें भी जन्मदिन का कितना उत्साह होता था, बस पूरे समय यही सोचा करते थे, कि आज तो हमारा दिन है, सब हमारी पसंद का ही होगा। कितने सारे gift मिलेंगे। और हमारी ही तरह हमारे माँ- पापा भी हमारे लिए हमारा दिन special बनाने में लग जाते थे। खूब सारे balloon, सुंदर सा सजा घर।
घर में तो मेहमानों का तांता ही लग जाता था, उस दिन मामा, मौसी, बुआ, चाचा, ताऊ सभी आते थे। और दोस्त, उनका तो पूछिये ही मत, सारे दोस्तों को याद कर-कर के बुलाते थे।
घर से जो पकवानों की सुगंध उड़ती थी, वो तो दो-तीन घरों तक जाया करती थी।
अगले दिन पैरों में घूमते हुए balloon,उड़ती हुई सजावट, बीती हुई रात की successful party की याद दिलाते। 
पर आजकल तो birthday आने पर माहौल ही अलग होने लगा है। अक्सर  घरों में  birthday नहीं की जाती है, उसके लिए hotel या club book किए जाते हैं। जब घर ही venue नहीं है, तो खाना घर में बनने का सवाल ही नहीं उठता है।
पर इसका भी अपना अलग मज़ा लगता है, लोगों को।
Birthday आने पर सब के लिए special हो जाता है। माँ, बहन, चाची, मौसी सब parlour जाती हैं। किसी के पास कोई काम नहीं कोई tension नहीं।
होटल वाले भी खुश। उनके पास शादी- विवाह के अलवा birthday के भी बड़े offer  मिल जाते हैं। घर भी एकदम साफ सुथरा। कोई setting change नहीं।
अच्छा है! इस तरह भी।
पर क्या ऐसा करके, हम अपने बच्चे को घर से, एक दूसरे के लिए करने की भावना से दूर नहीं कर रहे हैं?  

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