Thursday, 8 November 2018

Article : उत्साह और उमंग

उत्साह और उमंग


आज कल के बच्चों में तो त्योहार का कुछ उत्साह ही नहीं दिखता है, हम जब छोटे थे, तब हम लोगों में त्योहारों का कितना उत्साह रहता था। अक्सर लोगों को ये कहते हुए सुना है, पर क्या हमने ये जानने की कभी कोशिश की है, कि इसका कारण क्या है?
आज ही मेरा बेटा जो कि class 1st में है। स्कूल से आते ही बोला, मम्मा हम लोग पटाखे नहीं चलाएँगे।
क्यों बेटा, ऐसा क्यों ?
Ma’am ने बोला है say no to crackers. उससे pollution होता है। ये कह कर वो खाना खाने चला गया।
क्या दीपावली में एक दिन अगर बच्चे कुछ पटाखे चला लेंगे तो पर्यावरण दूषित हो जाएगा? और हम जो दिन दिन भर A.C. चलाते हैं- कार में A.C., घर में, office में, सब में A.C.। मौसम कोई भी हो गरम पानी से नहाते हैं। चाहे कहीं एक ही इंसान को जाना हो, car निकालने से नही चूकते। क्या तब पर्यावरण दूषित नहीं होता है?
Crackers ban हैं, पर smoking ban नहीं है, क्यों उससे कोई pollution नहीं होता है? और passive smoker उनके harm का क्या?
इस बात ने मुझे सोच में डाल दिया। क्या साल भर में आने वाले हम लोगों के सबसे बड़े त्योहार से उसकी रौनक छीन के हम अपने बच्चों से उनका उत्साह नहीं छीन ले रहें हैं ?
जब हम छोटे थे, तब हमें दिवाली का कितना इंतज़ार रहा करता था ! कुछ याद है आपको ? क्यों ?
इसलिए क्योंकि तब माँ घर में कितने पकवान बनाती थीं। मिठाइयाँ तो बाहर से आती ही नहीं थी, सब माँ घर में ही बनाती थीं। पापा हम लोगों के लिए खूब सारे पटाखे लाया करते थे। जिन्हें हम धनतेरस से ही धूप दिखाने लगते थे। और दीपावली वाले दिन कितने लोग मिलने आते थे। फिर सभी मिल के पटाखे छुड़ाया करते थे। तब तो पर्यावरण दूषित नहीं होता था, और साथ ही तब dengue और chikungunya जैसी जानलेवा बीमारी भी नहीं थी।
पर अब! अब पकवान तो छोड़ दीजिये, उस दिन घर में खाना भी बन जाए तो बड़ी बात होती है। मिलने तो कोई आता नहीं है, सब उस दिन mall में घूमने निकल जाएंगे, फिर किसी hotel में खाना खा के ही आएंगे। रही सही उत्साह की कसर no crackers कर के पूरी कर देंगे।
तो अब बताइये बच्चों के लिए बाकी के दिन और दिवाली के दिन में क्या अंतर है? तब उन्हें उत्साह भी किस बात का होगा?
हम ये नहीं कह रहे, कि हजारों लाखों के पटाखे लाकर फूँक डालिए, पर no crackers कह कर बच्चों का त्योहार के प्रति उत्साह को खत्म भी मत कीजिये।
खुले में पटाखे चलाने से धुएँ का असर कम होगा, और उसके धुएँ के असर से dengue, chikungunya जैसी जानलेवा बीमारियों के मच्छर भी मर जाएंगे। अगर बच्चों में वही उत्साह देखना चाहते हैं, तो बनाइये पहले के समान ही घर में खूब सारे पकवान, बच्चों को पटाखे छुड़ाने दीजिये, लोगों के घर मिलने जाइए, लोगों को भी अपने घर बुलाये। तब देखिये बच्चों में हम से भी ज्यादा दीपावली का उत्साह दिखेगा।
और अगर आपको इतनी ही पर्यावरण की चिंता है, तो पहले A.C. चलना बंद कीजिये, और शुरू कीजिये car की जगह cycle से जाना, गरम पानी की जगह ताज़े पानी से नहाना। और हाँ, कुछ पेड़ लगाइए- हो सके तो ज़्यादा लगाइए। देखिएगा पर्यावरण बहुत शुद्ध हो जाएगा।
साल में एक दिन पटाखे चलाने या ना चलाने से कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा। भारतीय त्योहारों में हर बात पे no-no कर के उसके मूल रूप को बदल-बदल कर कृपया भारतीयता खत्म मत करें।
और ना ही बच्चों के उत्साह और उमंग को, उन्हें भी अपना बचपन वैसे ही जीने दीजिये, जैसे हमने जिया था।

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