Sunday, 8 March 2020

Poems: नारी तू उठ, कर दिखा


आज नारी दिवस के पावन अवसर पर नारी के सभी रूपों को मेरा शत शत नमन एवं शुभकामनाएं।


नारी तू उठ, कर दिखा

नारी तू उठ, कर दिखा,
जो किसी ने कभी सोचा नहीं;
दिखा दे, आज जमाने को,
असंभव कुछ भी, तुझको नहीं।

दिखा दे, जमाने को,
उपस्थिति तेरी कितनी
जहां में जरूरी है,
तू ही हर बात की धुरी है।

हो बात चाहे, नभ की ऊंचाई की,
चाहे बात करें कोई समुद्र की गहराई की:
या फिर हो धरा को नापना,
या सूर्य की दूरी को मापना।

हर क्षेत्र में तू आगे बढ़ चुकी है,
अपने हर डर से तू लड़ चुकी है;
आगे बढ़ते जाने में, तुझको बाधा नहीं,
सिर्फ घर तक सीमित रहे, तू बेबस इतनी ज्यादा नहीं।

अपने को रौंदने ना,
किसी को दीजिए;
खुद को सर्व शक्तिमान,
सर्वांगीण कीजिए।

अब सम्मान, तुझको भी,
बराबर का चाहिए;
कम नहीं हैं, तू किसी से
यह धारणा बनाईए।

नारायण भी नारायणी बिन,
दिखते अधूरे हैं;
मंदिरों में भी देव,
देवी संग होते पूरे हैं।

नारी तू उठ, कर दिखा,
जो किसी ने कभी सोचा नहीं:
दिखा दे, आज जमाने को,
असंभव कुछ भी, तुझको नहीं‌।

समस्त नारी को समर्पित(महिला सशक्तिकरण)
Happy women's day

5 comments:

  1. Replies
    1. Thank you very much Ma'am for your appreciation,

      Your words inspired me

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  2. नारायण भी नारायणी बिना अधूरे हैं,इस सच को जब सच रूप में स्वीकार कर लिया जाए,तब ही नारी को समानता का ,सम्मान का दर्जा मिल सकता है।
    बहुत प्रेरणादायक रचना है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. Gita जी, आपके सराहनीय शब्दों का अनेकानेक धन्यवाद 🙏

      आपके सराहनीय शब्द मुझे लिखते रहने की प्रेरणा प्रदान कर रहे हैं।

      Delete

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