Monday, 19 April 2021

Story of Life : समग्र

समग्र



साहिल और गरिमा के विवाह हुए दो साल हो गए थे। दोनों एक-दूसरे के पूरक थे। 

दोनों में बहुत अधिक प्रेम था। दो साल कब व्यतीत हो गये, पता ही नहीं चला।

पर अब घर में सभी कहने लगे थे, कि उन्हें परिवार बढ़ाना चाहिए।

घर वालों की इच्छा से उन्होंने भी सोचा कि अब वो समय आ गया है, जब उनकी बगिया में फूल खिलने चाहिए।

ईश्वर की कृपा से उनके घर बहुत सुंदर पुत्र का जन्म हुआ।

उसके आने से उनके जीवन में सम्पूर्णता आ गई थी, तो उन्होंने बड़े प्यार से उसका नाम समग्र रखा।

समग्र जब थोड़ा बड़ा हुआ तो उन्हें एहसास हुआ कि, समग्र समान्य बच्चों सा नहीं था। वह उनसे भिन्न था।

वह उन बातों को देर से समझता था, जिससे बाकी बच्चे बहुत जल्दी समझ जाते थे।

साहिल और गरिमा को बहुत दुःख हुआ कि समग्र अन्य बच्चों से अलग था।

उनके पड़ोस में रहने वाला अनिल, साहिल की सफलताओं से बहुत चिढ़ता था। जब उसे समग्र के विषय में पता चला तो वह बहुत खुश हुआ।

वो आए दिन, साहिल को नीचा दिखाने के लिए कहता, समग्र नाम रखने से कोई सम्पूर्ण नहीं हो जाता है।

हमारे रोहन को देखना, यह नाम रोशन करेगा हमारा।

साहिल यह सुन सुनकर अन्दर से टूटता जा रहा था।

गरिमा से यह देखा नहीं जा रहा था, उसने साहिल से कहा कि मैं अपनी नौकरी छोड़ रही हूँ। 

पर तुम नौकरी क्यों छोड़ना चाह रही हो? साहिल ने बड़े आश्चर्य से पूछा।

जिससे तुम पूरी तरह से अपने काम में focus कर सको। और मैं अपने बच्चे को सम्पूर्ण बना सकूं, जिससे हमारा समग्र सबके लिए मिसाल बन जाए।

साहिल तुम, एक काम करो, कि कहीं और घर देख लो, जिससे हमें अनिल जैसे दुष्ट लोगों का सामना ना करना पड़े।

साहिल को आज गरिमा के अन्दर गजब का आत्मविश्वास दिख रहा था। उसने तुरंत ही दूसरा घर ढूंढना शुरू कर दिया। जल्द ही उन्हें अच्छा घर मिल गया।

गरिमा ने अपनी नौकरी छोड़ दी और दिन रात समग्र के सम्पूर्ण विकास के लिए प्रयासरत हो गई। उसने समग्र की home schooling start कर दी।

धीरे धीरे, गरिमा ने समझा कि उसका बेटा बहुत सुंदर drawing बनाता है।

गरिमा ने पढ़ाई के साथ ही साथ उसके drawing के शौक को बेहद बढ़ावा देना आरंभ कर दिया।

समग्र की सफलता ने, साहिल को प्रेरित किया। अब जहाँ कहीं drawing competition होता,  वो समग्र को ले जाता।

लोग कहते कि, यह यहाँ fit नहीं होगा। तो साहिल कहता, आप इसे बनाने दें। ‌ आप को अच्छी ना लगे तो आप compition के लिए मत लीजिएगा।

साहिल पर अब लोगों की दिल तोड़ने वाली बातों से असर नहीं होता था।

जितने भी लोग उल्टी-सीधी बातें करते थे, समग्र की drawing complete हो जाने के बाद अपने दांतों तले उंगलियाँ दबा लेते थे।

गरिमा और साहिल की मेहनत रंग लाने लगी थी, समग्र को हर जगह प्रथम स्थान प्राप्त होने लगा था। जिससे समग्र के अन्दर गजब का confidence आने लगा था।

समग्र बांका जवान हो चुका था। उसका ऊंचा लम्बा कद और गौर वर्ण, सबको अपनी ओर आकर्षित करता था।

उन्होंने उसे धीरे धीरे यह भी सिखाना प्रारंभ कर दिया, कि वह अकेले ही मेट्रो से आना जाना कर सके, दुकान से सामान खरीद सकें। या यूं कहें कि, उन्होंने समग्र को स्वाबलंबी बनाना प्रारंभ कर दिया।

इसमें उन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ी, बहुत सुनना पड़ा, पर वो थके नहीं, हारे नहीं।

एक दिन अमेरिका से समग्र के लिए एक offer आया कि वो एक book publish कर रहे हैं। 

यह book, differently able लोग  ही पूरा करेंगे। उनका कहना था कि वो, सबके सामने यह सिद्ध करना चाहते हैं कि कोई भी असमान्य नहीं है। अगर सही मार्गदर्शन और मौका मिले तो कोई भी सफलता प्राप्त कर सकता है।

समग्र ने उस book के लिए अपने drawing and animation भेजें। 

किसी ने story भेजी, किसी ने book compilation का काम किया।

जब book publish होकर आयी, तो उसकी सब जगह धूम मच गई।

वो इतनी अच्छी थी कि कोई यकीन ही नहीं कर पा रहा था कि इसे पीछे ऐसे मेहनती लोगों का हाथ था। जिनको दुनिया ने कभी समान्य भी नहीं समझा था।

आज समग्र के लिए press conference रखी गई थी।

उस press conference में अनिल भी आया था और वो सबसे कहता घूम रहा था कि यह बच्चा शुरू से ही बड़ा होनहार था। मैंने पहले ही साहिल को बोल दिया कि समग्र एक दिन पूरी दुनिया में अपना नाम रोशन करेगा।

मैं तो अपने रोहन से भी कहता हूँ, कुछ सीख समग्र से।

साहिल यह सुनकर, बहुत प्यार से गरिमा को देख रहा था और गरिमा बहुत गर्व से समग्र को देख रही थी।

हर दूसरे newspaper में समग्र का interview छपा था। 

समग्र के लिए, बड़ी बड़ी companies से job के offer आ रहे थे।

आज गरिमा और साहिल का अथक परिश्रम सार्थक हो गया था, उनके समग्र ने अपना नाम सिद्ध कर दिया था। 

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