Thursday, 11 August 2022

Poem: बंधन प्यार का

बंधन प्यार का




राखी, प्रेम सौहार्द का त्यौहार,

कलुषित हो रहा है, इस बार,

पूर्णिमा, भद्रा की है तकरार;

असमंजस में है सारा संसार।


पूर्णिमा, भद्रा में कौन है भारी,

कब की करें, राखी की तैयारी,

अलग-अलग, सब के मत;

नहीं हो रहे सब सहमत।


इतना मत करो सोच विचार,

यह है प्रेम का त्यौहार,

राखी को राखी रहने दो;

प्रेम की गंगा बहने दो।


बल्कि यह त्यौहार नहीं, 

एक बंधन है,

बंधन प्यार का;

भाई बहन के संसार का।।


आप सभी रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐🎉



2 comments:

  1. बहुत अच्छी रचना।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका हृदय से अनेकानेक आभार 🙏🏻😊

      Delete

Thanks for reading!

Take a minute to share your point of view.
Your reflections and opinions matter. I would love to hear about your outlook :)

Be sure to check back again, as I make every possible effort to try and reply to your comments here.