Monday, 28 August 2023

Story of Life: राखी (भाग - 3)

 राखी (भाग -1)

राखी (भाग -2) के आगे

राखी (भाग -3) 



कार्तिक को अपनी आंखों के सामने अपना सबसे बड़ा सपना टूटता दिख रहा था, उसकी आंखें भर आईं और मन उदास हो गया।

दादी मां ने जब कार्तिक को ऐसा देखा तो उन्हें लगा, शायद राखी के कारण, कार्तिक दुःखी है। वो बोली बेटा, राखी के लिए दुःखी मत हो, वो जल्दी ठीक हो जाएगी। कार्तिक मन ही मन बोल रहा था कि राखी के लिए नहीं दादी बल्कि राखी के कारण... वो बीमार ना पड़ती तो उसका सबसे बड़ा सपना पूरा हो जाता... वो जान चुका था कि घर में सबको बस राखी नज़र आती है, उसकी खुशियों से किसी को कोई सरोकार नहीं है। 

अभी कार्तिक और दादी मां खाना खाने बैठे थे कि पापा जतिन का फोन आया कि राखी की हालत बहुत गंभीर है, इसलिए उसे ICU में admit किया गया है। आरती का रो-रोकर बुरा हाल है। आज रात दोनों hospital में ही रुकेंगे।

राखी की हालत गंभीर जानकार, कार्तिक से खाना नहीं खाया जा रहा था। वो अपने सपने की टूटने भूलकर भगवान से राखी को ठीक करने की प्रार्थना करने लगा। साथ ही मन में दृढ़ भाव से बस यही गा रहा था...

जाने नहीं देंगे तुझेजाने तुझे देंगे नहीं...

दादी मां बोली, बेटा खाना खा लो, हम कल चलेंगे hospital... पर फिर छोटे से कार्तिक से खाना नहीं खाया गया। 

मम्मी पापा की ICU में पूरी रात आंखों ही आंखों में कट गई और कार्तिक की पूरी रात भगवान जी के सामने बैठकर प्रार्थना करते हुए।

अगले दिन सुबह फोन की घंटी घनघना रही थी, पापा का फ़ोन आया था। दादी मां ने फोन उठाया और बात की.. फिर फोन रख कर आई और प्यार से कार्तिक का माथा चूम लिया।

क्या हुआ दादी मां? कार्तिक ने असमंजस में पड़ कर पूछा... 

तुम बहुत अच्छे हो..

क्यों दादी मां?

तेरे पापा, आकर बताएंगे...

मम्मी पापा आ रहे हैं? राखी ठीक हो गई? कार्तिक चहकते हुए बोला...

पापा आ रहे हैं, मम्मी अभी राखी के पास hospital में ही रुकेंगी...

क्यों? राखी ठीक नहीं है?

सब आकर बताएंगे पापा... तभी call bell बजी 

पापा....,  कहते हुए कार्तिक दरवाजा खोलने के लिए दौड़ पड़ा, सामने पापा ही थे।

पापा, राखी कैसी है? उसे क्यों नहीं लाए? मम्मी और राखी कब आएंगे? एक बाद एक सवालों की झड़ी लगा दी कार्तिक ने...

पापा ने कार्तिक को गले लगाते हुए पापा बोले, भगवान ने तेरी सुन‌ ली, बेटा... वरना doctors ने तो जवाब दे दिया था। 

आधी रात में ही राखी हमें छोड़ कर चली गई थी, पर भगवान को तेरे प्यार के आगे झुकना पड़ा। तेरी बहन अभी ठीक है, दो दिन बाद घर आ जाएगी। 

आज सुबह तेरे football coach का फ़ोन आया था, पूछ रहे थे कि तुम school क्यों नहीं गये? तुम्हें football match के लिए कानपुर जाना था। 

जब उन्होंने यह बताया तो मुझे याद आया कि तुम कुछ football के लिए बोल रहे थे... तुम्हारी बहन की तबीयत बिगड़ गई थी, तो मैंने तुम्हारी पूरी बात सुने ही तुम्हें डांट लगा दी। 

सुबह जब मैंने तुम्हारी दादी मां को राखी के तबियत के विषय में बताया तो उन्होंने बताया कि तुम पूरी रात मंदिर के सामने बैठकर राखी के ठीक होने की प्रार्थना करते रहे।

तुमने football के लिए, प्रार्थना क्यों नहीं की? वो तुम्हारा सबसे बड़ा सपना है...

नहीं पापा, राखी मेरा सपना भी है और जिंदगी भी...

ओह मेरा बेटा! कहकर पापा ने कार्तिक को प्यार किया और कहा, तो चलो तुम्हें तुम्हारे सपने के पास ले चलता हूं।

कार्तिक तैयार होने चला गया और दादी मां को भी चलने को बोल गया। सब hospital के लिए चल दिया।

राखी, कार्तिक को देखकर चहक उठी। थोड़ी देर बाद पापा, कार्तिक से बोले बेटा, अब चलते हैं, राखी को आराम करने दो। 

दादी मां भी उठने लगी तो, जतिन बोला मां आप बैठिए राखी के पास, मैं आरती को ले जा रहा हूं। यह fresh हो ले। फिर ले आऊंगा इसे hospital... और आप को घर ले जाऊंगा। 

मम्मी-पापा और कार्तिक घर को चल दिए। रास्ते में मम्मी, कार्तिक के पास बैठी और बहुत सारा प्यार भी किया और माफ़ी भी मांगी और धन्यवाद भी दिया...

मम्मी आप यह सब क्यों कर रही हैं? कार्तिक ने मां की तरह संशय में पड़कर पूछा...

बेटा, राखी के आने से हमारा ध्यान तुम से कम हो गया, पर तुम्हारा प्यार अपनी बहन से कम नहीं हुआ और आज उसे भगवान ने तुम्हारी प्रार्थना के कारण ही हमें वापस दिया है।

पापा, हम कहां जा रहे हैं? इस तरफ़ तो घर नहीं है? तभी कार्तिक ने देखा, उसके football coach अपनी कार से उनके सामने ही आ गये।

पापा football Sir...

हां बेटा तुम्हे ही ले जाने के लिए आए हैं, पापा ने धन्यवाद भाव से Sir को देखते हुए बोला..

मुझे क्यों पापा? कार्तिक ने आश्चर्यजनक होकर कहा...

बेटा तुम फुटबॉल मैच के लिए जा रहे हो।

पर राखी अभी भी hospital में है तो मैं कैसे...

तुमने अपना फ़र्ज़ निभा लिया, अब हमें और तुम्हारी बहन को अपना फ़र्ज़ निभाना है। हमें तुम को भेजकर और उसे जल्दी से ठीक होकर... पापा का गला भर हुआ था।

कार्तिक को समझ नहीं आ रहा था कि वो खुश हो या नहीं, एक तरफ उसका सपना था और दूसरी ओर उसकी जिंदगी... पर उसकी आंखों में ख़ुशी के आंसू थे।

मम्मी बोली, मेरे राजा बेटा तुम्हारा match पांच ही दिन का है, तुम चले जाओ। राखी तो दो दिन में ही घर लौट आएगी। सब ठीक हो जाएगा, बस तुम बहुत अच्छे से खेलकर जीत कर आओ, तुम्हारी बहन के लिए वो सबसे बढ़कर होगा...

कार्तिक चला गया... 

Match का आज पांचवां दिन था। कार्तिक की team' का प्रदर्शन बहुत अच्छा चल रहा था। पर कार्तिक का खेल उतना अच्छा नहीं चल रहा था, जैसा उसने सोचा था। 

तभी ज़ोर ज़ोर से कोई चिल्ला रहा था, कार्तिक भैय्या, गोल करिए... यह आवाज़ राखी की थी... मानो कह रही हो...

लहरा दो लहरा दो, सरकाशी का परचम लहरा दो...

राखी को देखकर और उसकी आवाज़ ने कार्तिक में ग़ज़ब का जोश भर दिया था। वो अब एक के बाद एक goals करने लगा। और देखते ही देखते कार्तिक की team बहुत बड़े margin से match जीत गई। 

जीत के बाद राखी दौड़कर आयी और कार्तिक से चिपक गई.. कार्तिक उससे गले लगकर खूब रो रहा था। 

और दूर गाना बज रहा था।

इस संसार में सबसे प्यारा भाई बहन का प्यार है...

कार्तिक ने राखी से बोला, तुम आज यहां कैसे आ गई? 

आती कैसे नहीं, अपने champion भाई को जीतते हुए देखना था। फिर आज रक्षाबंधन है। मेरे रहते आप की कलाई, इस दिन सूनी कैसे रह सकती है...

यह कहते हुए उसने कार्तिक के हाथ में सुंदर सी राखी इस सुरीले गीत के साथ बांध दी

बहना ने भाई की कलाई पर प्यार बांधा है...

दूर खड़े जतिन और आरती, भाई-बहन का प्यार देखकर भावविभोर हो रहे थे।

No comments:

Post a Comment

Thanks for reading!

Take a minute to share your point of view.
Your reflections and opinions matter. I would love to hear about your outlook :)

Be sure to check back again, as I make every possible effort to try and reply to your comments here.