Friday, 26 January 2024

Poem : मेरा भारत, मेरा शेर

आज हमारे नौनिहाल किस तरह से देखते हैं हमारे देश को, उनके मन में अपने देश की क्या परिकल्पना है। 

ओज से परिपूर्ण इस कविता में साफ़ झलकता है, जिसे प्रिय अद्वय ने लिखा है।

आइए उसके बाल मन से रची-बसी इस कविता का आनन्द लें...

मेरा भारत, मेरा शेर


चुनौतियों को करके पार,

रोशन करके अंधेर।

आज भी है उतना ही परिश्रमी,

मेरा भारत, मेरा शेर।।


अनगिनत युद्धों में विजेता बनके,

शत्रुओं को करके ढेर।

आज भी है वह विश्व विजयी,

मेरा भारत, मेरा शेर।।


खुशियाँ, उमंग और उत्साह,

जीवन में रंगों को रहा बिखेर।

आज भी है उतना ही सुदृढ़,

मेरा भारत, मेरा शेर।।


मित्रों को लेकर साथ 

प्रतिपक्षी को करके घेर।

आज भी है उतना ही सफल,

मेरा भारत, मेरा शेर।।


सशक्त है जैसे चट्टान,

मीठा है जैसे बेर।

आज भी है सोने की चिड़िया,

मेरा भारत, मेरा शेर।। 


🇮🇳 भारत माता की जय 🇮🇳

🇮🇳 वन्दे मातरम् 🇮🇳

 गणतंत्र दिवस पर राष्ट्र अभिनंदन।

8 comments:

  1. Wah.. kya baat hai mere sher..

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  2. भारत माता की जय । अच्छी रचना

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  3. Touchwood dear advay, febulas keep it up , god billesh u,happy republic day...jai hind🇮🇳

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  4. Wonderful work, Advay!! Each stanza describes the greatness of our nation so beautifully. Well done! Keep it up! Jai Hind!

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