Saturday, 15 September 2018

Story Of Life : बदलते रंग

बदलते रंग


ज़िंदगी बहुत हसीन थी, हर लम्हा हंसी-खुशी के साथ बीत रहा था।
सारे समाज में मिश्रा जी के परिवार का बहुत सम्मान था, मिश्रा जी थे ही इतने अच्छे कि  किसी का भी काम हो, अपना समझ के करते थे, उनके इसी स्वभाव के कारण उनके घर में लोगों का तांता लगा रहता था।  
उनकी पत्नी रीना भी कुछ कम न थीं, हर आने जाने वालों की आवभगत के लिए सदैव तत्पर रहती थीं, आने वाला कोई भी बिना कुछ खाये- पिये नहीं जाता था।
उनके शहर में आने से पहले किसी को सोचना नहीं पड़ता था कि, उनका शहर में क्या ठिकाना होगा, क्योंकि सब जानते थे कि इतना ज्यादा प्यार सम्मा, अपनापन और कहीं नहीं मिलेगा। उनके हर सुख सुविधा का ध्यान उनकी पसंद के अनुसार रखा जाएगा और सबसे बड़ी बात कि, मिश्रा जी का परिवार यह सब निस्वार्थ भाव से करता था।
पर दिन एक से कहाँ रहते हैं, न जाने कहाँ से हँसते खेलते परिवार को किसी की नज़र लग गयी।
मिश्रा जी अपने दफ्तर से वापस आ रहे थे, कि सामने से एक ट्रक से उनकी टक्कर हो गयी, आनन-फानन उन्हें अस्पताल ले जाया गया, पर मिश्रा जी को भगवान ने उतना समय भी नहीं दिया उन्होनें रास्ते में ही दम तोड़ दिया।
मिश्रा जी के स्वर्गवास से घर का एक मात्र earning member चला गया। बस फिर क्या था,  इधर मिश्रा जी ने आँखे मूँदी, उधर पूरा समाज पराया हो गया, सभी साथी कर्मी उनके परिवार से कन्नी काटने लगे, मित्रगण अपनी व्यस्तता दिखने लगे, सगे संबंधी भी भूलने लगे।

आज रीना सोच रहीं थी, जमाना कितनी तेज़ी से बदल रहा है, यहाँ, जिसके पास पैसा है, पूछ भी उसी की है, आपने किसी के लिए कितना भी किया हो, किसी के लिए उसका कोई मोल नहीं है, आप जब तक करोगे, तब तक सब आप के हितैषी होने का दिखावा करते रहेंगे, और जहाँ आपने अपनी जरूरत दिखाई, सब मुंह मो लेंगे
काश जो वक़्त दोनों पति पत्नी ने  दूसरों को और परिवार के लोगो को दिया था, वो एक दूसरे को दिया होता, तो आज रीना के पास यादों का खज़ाना होता, जिनके सहारे वो इस पहाड़ जैसी ज़िंदगी को काट लेती।

दूसरों की खातिरदारी में पानी की तरह पैसा बहाया ना होता, और अपने एकाकी जीवन के लिए बचाया होता, तो उनके पास धन का अंबार होता और आज भी लोगों का तांता, उनके दरवाज़े पर वैसे ही लगा रहता, जैसे पहले लगा रहता था। हाँ बेशक, उनमें से कोई भी हितैशी ना होता। सब धन के लोभी, या मतलबी लोगों का जमघट होता, पर उसे अकेले जीवन ना काटना पड़ता, तब रिश्ते और वक़्त यूँ रंग ना बदलते।

4 comments:

  1. Jeevan ki yahi sachchai hai...
    Nice write up

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  2. सुख के सब साथी दुःख मे न कोय

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    1. पर दुख में भी जो साथी हों, वही सच्चे साथी होते हैं

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