अब तक आपने पढ़ा.....
मनीषा और शिखा दो बहने हैं। मनीषा गोरी व शिखा सांवली है, जिससे शिखा मनीषा से बहुत जलती है पर बेटी शिखा की गोरी व मनीषा की सांवली होती है । पर तब भी शिखा की बेटी से ज्यादा सब मनीषा की बेटी को ही प्यार करते हैं, तब नानी शिखा को समझती हैं......
अब आगे.......
जलन (भाग - 3)
नानी
हमेशा से ही शिखा को ऐसे ही प्यार से बुलाती थीं, हाँ नानी सुनुंगी, शिखा आँसू पोछते हुए सी
बोली, बेटा
सबसे पहले तो तुम ये बताओ, क्या कभी मनीषा ने तुम पर अपने गोरे होने का घमंड
दिखाया है क्या?
नहीं
नानी, कभी भी
नहीं। हाँ मुझे लगा ही था, नानी उसकी बात का समर्थन करती हुई बोली। अच्छा तो मेरी
बात ध्यान से सुनना, देख बेटा रंग-रूप किसी की पहली नज़र खींचने के लिए
आवश्यक तो हैं, पर वो नज़र आप पर टिकी रहे, इसके लिए अच्छा व्यहवार
की आवश्यकता अधिक होती है। तुम्हें एक बात और बताऊँ? जिसका स्वभाव अच्छा होता
है, धीमे
धीमे उनके चहरे में, एक अलग सा नूर आ जाता है। जो खूबसूरत से खूबसूरत लोगों
को मात दे देता है। अगर कोई ऐसा महफिल में शामिल होगा, तो सब बरबस उसी तरफ खींचे
चले जाते हैं। उसके आगे परी को भी कोई नहीं देखता है।
यही
कारण है, कि
तुम्हारी परी सी सुंदर स्नेहा, को छोड़ सब मृदुल को देख रहे थे, क्योंकि वो मनीषा की तरह ही बहुत अच्छे स्वभाव की, मासूम और सबका ध्यान रखने
वाली है। बल्कि वो अपनी माँ से भी ज्यादा अभी से दूसरों के लिए बहुत सोचने लगी है।
अत: वो साँवली होते हुए भी बड़ी मोहिनी लगती है।
आज
शिखा समझ पायी थी, कि मनीषा का गोरा रंग नहीं अच्छा स्वभाव ही था, जिसके कारण ही सब मनीषा
को इतना प्यार करते थे।
शिखा
भी शाम को अपने घर निकाल गयी। अब उसने अपना सारा ध्यान स्नेहा को अच्छे संस्कार
देने में लगा दिया था। चंद साल बाद फिर से जब मनीषा और स्नेहा दोनों मायके में
मिले। अबकी बार सब जगह स्नेहा स्नेहा गूंज रहा था, साथ ही सब शिखा की भी बड़ी
तारीफ कर रहे थे।
शिखा
नानी से जा कर गले लग गयी, नानी उस दिन आपने अगर समझाया ना होता, तो सब मेरी स्नेहा को यूं
प्यार ना दे रहे होते। काश जब में छोटी थी, तब ही मुझमें ये अक्ल आ
गयी होती, तो मैं
भी सबका प्यार पाती, और मनीषा से जलन भी ना करती।
Good morale
ReplyDeleteGood story
ReplyDelete