जलन
मनीषा
बेहद सुन्दर थी, उसका गोरा रंग सबको अपनी ओर खींचा करता था।
उसके मोहपाश से कोई बचता नहीं था। पर उसे इस बात का कभी घमंड नहीं था। वो बहुत मिलनसार थी, जितना उसके रूप के सब दीवाने थे, उतना ही उसके अच्छे स्वभाव के कारण भी लोग उसे बहुत पसंद किया करते थे। वहीं उसकी बुआ की बेटी शिखा बिलकुल भी मिलनसार नहीं थी, उसे सबसे पहले अपनी ही परवाह रहा करती थी, रंग भी उसका सांवला था।
अतः कोई उसे विशेष पसंद भी नहीं किया करता था। शिखा, मनीषा से बेहद जलती थी, और सदैव इसी उधेढ़बुन में रहती कि कैसे मनीषा को लोगों कि नज़र से गिराया जाए।
उसके मोहपाश से कोई बचता नहीं था। पर उसे इस बात का कभी घमंड नहीं था। वो बहुत मिलनसार थी, जितना उसके रूप के सब दीवाने थे, उतना ही उसके अच्छे स्वभाव के कारण भी लोग उसे बहुत पसंद किया करते थे। वहीं उसकी बुआ की बेटी शिखा बिलकुल भी मिलनसार नहीं थी, उसे सबसे पहले अपनी ही परवाह रहा करती थी, रंग भी उसका सांवला था।
अतः कोई उसे विशेष पसंद भी नहीं किया करता था। शिखा, मनीषा से बेहद जलती थी, और सदैव इसी उधेढ़बुन में रहती कि कैसे मनीषा को लोगों कि नज़र से गिराया जाए।
वो
आए दिन धूप में जाने का काम मनीषा से करवाने के ही चक्कर में रहा करती, जिससे उसका गोरा रंग
धूमिल हो जाए। और अगर गलती से भी मनीषा कुछ गलत कर दे, तब तो बस! सबको ये बताने
से ना चुकती, कि वो कितनी बड़ी वाली बेवकूफ़ है, कि इतना जरा सा काम भी वो
ठीक नहीं कर पाती है।
इसी
तरह से दिन गुजर रहे थे, दोनों लड़कियाँ बड़ी हो गईं। शिखा को जब भी लड़के वाले
देखने आयें, मनीषा को साफ हिदायतें दे दी जाती, कि वो बिलकुल भी बाहर न
निकले। शिखा के रंग-रूप व स्वभाव के कारण कितने ही लड़के आए और गए, पर रिश्ता तय नहीं हुआ।
उधर
मनीषा के लिए भी रिश्ते आने लगे, जब सुयोग्य वर मिला, तो दोनों के मिलने की बात
की गयी, पहली बार
ही कोई मनीषा को देखने आया था, पर उसके रंग-रूप व अच्छे स्वभाव के कारण बात एक बार में
ही तय हो गयी। धूमधाम से मनीषा की शादी हो गयी, शादी में शिखा मनीषा से
भी ज्यादा तैयार होकर सब जगह इतराती फिर रही थी, इकलौती बहन होने के कारण
वो भाव भी बहुत खा रही थी।
चंद
दिनों बाद शिखा की भी शादी तय हो गयी, कितने ही रिश्तेदार बुलाये गए, नहीं बुलाया तो केवल
मनीषा को। शिखा को यही डर लगता रहा, कि मनीषा आ गयी, तो मनीषा की खूबसूरती के
आगे आज फिर वो मद्ध्म पड़ जायेगी। सबने उसे बहुत समझाया भी, कि अब क्या है? एक तो उसकी शादी हो गयी
है, दूसरा
शादी की रात दुल्हन से ज्यादा कोई खूबसूरत नहीं लगता है।
पर
जब वो नहीं मानी, तो शिखा की माँ भी कहने लगीं, इसकी शादी में इसका जिसे
मन करेगा, उसी को बुलाया जायेगा।
मेरे लिए शिखा की खुशी से बढ़कर कुछ नहीं है।
मनीषा
अपनी इकलौती बहन की शादी में नहीं पहुँच पायी। उस दिन वो अपने मायके को याद करके
पूरे दिन गुमसुम रही। जब गलत मायके में हो रहा हो, तो बेटी कहे भी तो किससे?
चंद
दिनों पश्चात मनीषा के बेटी हुई, वो साँवली थी। जब ये बात शिखा को पता चली तो वो बहुत
खुश थी, कि अब
मनीषा को पता चलेगा, कि जब गोरा रंग नहीं होता है, तो कैसा लगता है।
शिखा के भी एक बेटी ही हुई, वो
बहुत ही गोरी हुई, उसे देखकर शिखा की बांछे
खिल गयी। वो अपनी बेटी को देखकर सोचने लगी, अब मनीषा से मिलना चाहिए.......
शिखा और मनीषा के मिलने पर क्या होगा? जानते हैं जलन(भाग-२)
शिखा और मनीषा के मिलने पर क्या होगा? जानते हैं जलन(भाग-२)
No comments:
Post a Comment
Thanks for reading!
Take a minute to share your point of view.
Your reflections and opinions matter. I would love to hear about your outlook :)
Be sure to check back again, as I make every possible effort to try and reply to your comments here.