Friday, 5 March 2021

Satire : हमाय पूर्वज

 हमाय पूर्वज 




हाय दईया छिपकली की अपार सफलता के बाद से छिपकली देवी तो बन गई celebrity. 

अब Celebrity लोगों के तो दुश्मन भी हुआ करते हैं, तो आइए, आप को उनके दुश्मन से मिलवाते हैं। 

नाम था लल्लन सिंह, बड़े ही खुंखार हुआ करते थे, खास तौर से अपने कट्टर दुश्मन छिपकली देवी के लिए।

जहांँ कहीं उन्हें छिपकली दिख जाती, फिर तो उनको पास में जो भी अस्त्र दिखता, जैसे जूता-चप्पल , डंडा, झाड़ू या और कुछ भी......

लल्लन सिंह तैनात हो जाते, उसे लेकर, और शामत ही आ जाती, छिपकली देवी की।

आलम तो यह था कि छिपकली देवी को देखते ही वो ठान लेते थे कि आज घर में यह रहेगी या हम रहेंगे।

बस फिर क्या था,  बेचारी हमारी छिपकली देवी आगे आगे, और लल्लन सिंह पीछे पीछे होते। ये सर्र दौड़ती, वो सर्र दौड़ती.....

पर आखिरकार छिपकली देवी को ही घर से बाहर होना पड़ता था, क्योंकि घर तो ragister था लल्लन जी के नाम, और देवी जी थीं, बिन बुलाई मेहमान।

एक बार की बात थी। गांव से लल्लन सिंह की अम्मा आय रहीं। 

उन्हीं दिनों में लल्लन सिंह के घर पुताई भी हो रही थी।

पुताई के कारण, घर में अच्छे से साफ़ सफाई भी हो गई।

सारे मच्छर, कीड़े- मकोड़े सब भाग गए। 

पर नहीं भागी, तो एक छिपकली देवी ।  

एक कमरे में पुताई होती, तो दूसरे में छिप जाती और दूसरे में होती तो तीसरे में छिप जाती। क्योंकि हर कमरे में tube light जो थी ही उसके छिपने के लिए।

Location बदलती रहीं, पर घर छोड़ कर नहीं गयी।

एक दिन वो लल्लन सिंह को दिख ही गयीं।

बस फिर क्या था, लल्लन सिंह तैनात हो गये, उसको भगाने को।

पर वो भगा पाते, उससे पहले ही अम्मा आ गयीं।

जे का कर रय हो लल्ला?

कुछ नहीं अम्मा छिपकली को भगाय रये, खींसे निपौरते हुए लल्लन सिंह बोले।

अम्मा कुछ ज्यादा ही पुराने ख्यालात की थीं और अम्मा के सामने, लल्लन सिंह की कुछ चलती नहीं थी।

अम्मा, पूरा घर साफ़ हो गया। सारे कीड़े-मकोड़े भाज गए, पर एक यह है जो घर ना छोड़ रयी।

अरे, जाय दो बेटा, हमाय घर की पूर्वज होंगी, तबही नहीं गईं।

पूर्वज!!!!! ...गई भैंस पानी में.....

लल्लन सिंह, खिसिया के अम्मा को देख रहे थे और छिपकली देवी, लल्लन सिंह को देख देख मुस्काए रहीं, मानो कह रही हो, जै बात.....

तभी श्रीमती जी ने रेडियो चला दिया, जिसमें गाना आ रहा था

'यह तेरा घर, यह मेरा घर...'

बस अब क्या था, छिपकली देवी की चांदी हो गई। अब तो लल्लन सिंह को देख कर भी चौड़े में रहती छिपकली देवी। 

वो पूर्वज जो ठहरीं, तो अब लल्लन सिंह भी कुछ नहीं बिगाड़ सकते थे। तब तक तो कतई भी नहीं, जब तक अम्मा थीं।

एक दिन लल्लन सिंह दफ्तर जाने के लिए तैयार हो कर घर से निकले ही थे, कि लौट कर सीधे फिर बाथरूम में घुस गये।

का हुआ, लल्ला? अबहिं तो स्नान किए थे, फिर क्या भया? जो फिर नहाय रय।

का कहें अम्मा? तुम्हारे पूर्वज हमाय ऊपर ही गिर गये। जाय मारे ‌फिर से नहाय रय।

अब तो आए दिन यही होता, कभी पूर्वज, चौखट पर बैठ जाती और डराकर लोगों को घर के अन्दर आने नहीं देती। और कभी पूर्वज गिर जाती, तो नहाने धोने के कारण घर से बाहर निकलने नहीं देती। 

इस बात से लल्लन सिंह के हाथ तो बहुत सुरसुराते, पर कुछ ना कर पाते, बस मन मसोस के रह जाते।

पर अम्मा के गांव जाते ही लल्लन सिंह ने सबसे पहले छिपकली देवी को घर से निकाल बाहर किया।

लल्लन सिंह का लड़का चिल्लाया भी, पापा जी हमाय पूर्वज!!!

2 comments:

  1. बहुत सुंदर सटीक वर्णन किया है।

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    1. आपके सराहनीय शब्दों के लिए अनेकानेक आभार 🙏🏻 😊

      आप के अनमोल शब्द, मुझे लिखते रहने की प्रेरणा प्रदान करते हैं 🙏🏻

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