Wednesday, 24 April 2019

Story Of Life : गलत फैसला (भाग- 2)

अब तक आप ने पढ़ा, नन्दा और नीलेश की इकलौती बेटी निर्झर आज के रंग में रंगी बिगड़ैल लड़की है जिसने अपने चारों तरफ एक झूठी दुनिया बनाई हुई है  

गलत फैसला (भाग- 2) 

निर्झर शादी योग्य हो गयी। अब माँ पापा को उसकी शादी की चिंता सताने लगी। निर्झर इस हद तक बदतमीज़ हो चुकी थी, कि अब तो अपनी माँ तक को उल्टा-सीधा सुनाने से बाज नहीं आती थी।

नन्दा, नीलेश के पीछे पड़ गयी, कि अब पानी सर से ऊंचा हो रहा है, अब हमें निर्झर की शादी शीघ्र कर देनी चाहिए।

उन्हें एक अच्छा रिश्ता मिल ही गया। मनन एक MNC में manager था। उन लोगों का भी छोटा सा ही परिवार था। माँ-पापा और उसका छोटा भाई।

मनन के पापा अभी भी कार्यरत थे और छोटा भाई भी एक अच्छी company में कार्यरत था। अतः मनन के ऊपर किसी तरह की कोई ज़िम्मेदारी नहीं थी। दोनों का विवाह बहुत धूम धाम से सम्पन्न हो गया।

चंद दिन तो बड़े ही सुख पूर्वक बीते, पर 1 महीने के बाद से ही निर्झर को अपने ससुराल में बंधन लगने लगा। वो इसी फिराक में रहती कि मनन केवल उसका हो कर रहे। पर मनन अपने परिवार से अलग नहीं होना चाह रहा था।


अब तो आए दिन दोनों में झगड़े होने लगे। निर्झर माँ को बताती, माँ उसके और कान भरती, तुम भी क्या दिन भर रोती रहती हो? अपने ससुराल वालों को उल्टा सुना दिया करो, दबने की जरूरत नहीं है, किसी से। माँ की शह से बेटी की ज़िंदगी तबाह होती जा रही थी।

एक दिन मनन और निर्झर में, बहुत भयंकर झगड़ा हो गया तो निर्झर ने बोल दिया, मैं तंग आ गयी हूँ तुमसे, मेरा जीना दूभर हो गया है, ना जाने किस मनहूस क्षण में तुमसे जुड़ गयी थी। मनन भी बिफर गया, हाँ हाँ मैं भी, तुम्हें झेलते झेलते थक गया हूँ। तुम मेरी ज़िन्दगी से चली क्यों नहीं जाती। 

मनन के office जाते ही निर्झर ने माँ को फोन किया, माँ मनन ने मेरा जीना मुहाल कर दिया है, उसे मुझे छोड़, अपने माँ- पापा भाई सबकी चिंता है। मैं उसे हमेशा हमेशा के लिए छोड़ कर आ रही हूँ।


बात इस हद तक बढ़ चुकी थी, कि विवाह विच्छेद तक की नौबत आ गयी। 
क्या कारण हैं? कि आजकल शादियाँ चंद महीने भी नहीं टिक पाती हैं, जानते हैं गलत फैसला (भाग- 3) 

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