Monday, 23 August 2021

Short Story : सौदा

 सौदा



Main market में बहुत बड़ा restaurant खुला था। वहाँ का ambience जितना soothing and relaxing था, खाना उतना ही tasty. 

जिसके कारण वो बहुत जल्दी, बहुत famous हो गया।

उस restaurant में रोज़ एक बुजुर्ग आता और हमेशा सिर्फ सब्जी-रोटी का order करता। 

खाना ख़त्म करने पर हमेशा कहता कि purse घर में भूल गया है, और बिना पैसे दिए restaurant से निकल जाता।

Restaurant का owner कभी भी उनके आने पर रोक नहीं लगाता।

किसी को समझ नहीं आता कि मालिक उसे free में क्यों खाना खिलाते हैं।

एक दिन एक waiter से नहीं रहा गया, उसने मालिक से कहा, आप एक-एक पैसे का हिसाब रखते हैं। किसी के bill में कोई भी concession नहीं करते हैं, फिर वो चाहे कितना भी powerful क्यों ना हो।

और इन बुजुर्ग का आप रोज़ पैसा छोड़ देते हैं, जबकि ना तो यह कोई powerful इंसान लगते हैं ना देखने में बहुत गरीब ही लगते हैं।

Restaurant का मालिक बोला, जब मैं गांव से शहर आया था तो मेरे पास रोज़ रोटी खाने के पैसे तक नहीं थे।

इन बुजुर्ग के घर के बाहर ही एक दिन, मैं बेहोश होकर गिर गया।

यह मुझे घर ले गए। इन्होंने और इनकी पत्नी ने मुझे खाना दिया। मुझे दवा दी, कुछ कपड़े भी पहनने को दिए। मैं उन्हें अंकल और आंटी बोलने लगा।

उन्होंने मुझे, कुछ पैसे भी दिए, जिससे मैंने  Tea stall लगा ली।

मेरी मेहनत रंग लाई और मैंने छोटा सा ढाबा खोल लिया।

मैं दिन-रात मेहनत करता रहा और ईश्वर मेरा साथ देता रहा।

मैं जब भी ऊंचे मुकाम पर पहुंचता, इन लोगों से मिलने जरूर जाता और मुझे वो लोग बहुत हौसला देते, आशीर्वाद देते।

जिस दिन मैंने यह restaurant ख़रीदा, उस दिन ही आंटी की सड़क दुघर्टना में मौत हो गई और अंकल जी ने अपनी याददाश्त खो दी। वो मुझे भी भूल गए...

जब कुछ दिन बाद, मैं उनके पास गया, वो बहुत दुखी थे और परेशान भी। तो मैंने उनसे कहा कि, एक restaurant खुला है, आप वहाँ जाकर रोज़ खाना खा सकते हैं।

तब से ही वो रोज़ खाना खाने आते हैं। पर वो सिर्फ उतना ही लेते हैं, जिससे उनका पेट भर जाए। उन्होंने कभी बहुत महंगा खाना order नहीं किया। ऐसे सज्जन पुरुष से मैं, कुछ भी कहकर उनको सोचने नहीं देना चाहता कि वो free में खाना खाते हैं। 

उनका यहाँ आना मेरे लिए सबसे बड़े ग्राहक का आना है। और यह सौदा मुझे संसार की सबसे बड़ी खुशी देता है।

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