Friday, 11 May 2018

Story Of Life : तिरस्कार

तिरस्कार

राधिका सुसंस्कृत परिवार की पढ़ी-लिखी कार्यरत कन्या थी। वो और प्रेरणा घनिष्ठ सहेलियाँ थीं। दोनों का विवाह  संभ्रांत परिवारों में हुआ, प्रेरणा ने नौकरी करना जारी रखा वहीं राधिका को अपने परिवार को सारा समय समर्पित  करना ज्यादा उचित लगा।
 दिन भर एक पैर पर खड़ी पूरे परिवार की सभी जरूरतों को पूरा करती। सास ससुर की सेवा हो, या माँ जी के लिए पूजा की सामाग्री जुटाने से लेकर रात में पैर दबाना हो या पिता जी को सुबह अखबार ला कर देने से लेकर रात को दवाई देना हो। उसके पति की फाइलों को संभालने से लेकर उसकी दैनिक जरूरतों को पूरा करना या उसके देवर और उनके मित्रों की खाने की फरमाइश हो; या ननद की दुनिया भर की गप्पें हो; या छुटकू रोहन को खिलाना, पिलाना, सुलाना, या पढ़ाना हो; इन सभी के साथ ही बाहर के सभी काम भी राधिका बखूबी निभाती। पर इसका सिला उसे यही सुनकर मिलता, ननद- देवर कहते कि भाभी दिनभर घर में ही तो रहती हैं, इतना तो करेंगी ही। वहीं सासु माँ बोलती अकेला मेरा बेटा कमाने वाला और इतने लोगों के खर्चे, नौकर तो रख नहीं सकते। ये महारानी कमाती तो कुछ आराम होता। पति भी उसका साथ नही देता था।
 रात में थक कर जब पलंग पे लेटती, तो पति कहता दिन भर तुम्हें कोई काम तो है नहीं, इतनी पढ़ी लिखी हो मेरे ऑफिस के एकाउंट ही देख लिया करो, पर तुमसे तो कोई सहारा ही नहीं है
 उस दिन तो हद ही हो गयी जब राधिका ने रोहन को अपने दोस्त से कहते सुना मेरी माँ तो house-wife है, दिन भर घर में रहती है। तेरी कितनी ऐश है, तेरी माँ तो ऑफिस जाती है, तू दिन भर मजे करता है, कोई डांटने वाला नहीं ऊपर से शाम को chocolate मिले, वो अलग। मेरी तो किस्मत ही खराब है।
 वहीं सगे-संबंधी, मित्र कहते कि इसके पास तो टाइम ही टाइम है तभी तो सब कर पाती है हमें तो कामों से फुर्सत ही नहीं मिलती। सबका तिरस्कार झेलती राधिका अपनी ज़िंदगी गुज़ार रही थी।
 एक दिन अचानक प्रेरणा से मुलाक़ात हो गयी। वो पास के मॉल में शॉपिंग करने आई थी। उसका घर नजदीक ही था। प्रेरणा के बहुत जिद्द करने पर वह उसके घर चली गयी। प्रेरणा के घर पहुँचते ही उसकी नौकरानी ने दरवाज़ा खोला। प्रेरणा ने सारे पैकेट उसे पकड़ा, कमरे का A.C. ऑन करने को और मस्त चाय-नाश्ता बनाने को कहा। तभी उसकी बेटी रिया दौड़ती हुई आयी, प्रेरणा ने उसे एक chocolate पकड़ा दी, love you mummy कह कर वो फिर खेलने चली गयी। उसकी सास ने कमरे में प्रवेश किया, तो प्रेरणा उन्हें मेरे पास बैठा कर change  करने चली गयी।

आगे की कहानी भाग-2 में।


3 comments:

Thanks for reading!

Take a minute to share your point of view.
Your reflections and opinions matter. I would love to hear about your outlook :)

Be sure to check back again, as I make every possible effort to try and reply to your comments here.