Monday, 10 September 2018

Poem : तुलना

तुलना




देख के ताज की खूबसूरती

जब देखा, उन्होंने उसे   

वो समझ ही नहीं पाये

कि देखते रहें ताज को, 

या देखते रहें उसे

चहरे पे जुल्फ लहराई ऐसे

आसमां में काली घटा छाई हो जैसे

उफ़्फ़! उसका दूधिया रंग

चाँदनी भी पड़ने लगी मद्धम

शरमा के उसका नज़रें झुकाना

बहुत प्यार से फिर, उनको उठाना

संगेमरमर का ताज, या वो

ताज-ए-संगमरमर सी तराशी हो जैसे    

एक कृति इंसान की, दूजी भगवान की

बताओ तुलना होगी कैसे 

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