Friday, 12 October 2018

Poem : जो युगपुरुष हों

आज के दिन  का मेरी जिंदगी में विशेष महत्त्व है,  क्योंकि आज का दिन मेरे अस्तित्व की पहचान  है। आज मेरे पापा जी
परम पूज्य "डाक्टर कृष्ण बिहारी लाल जी" का  जन्मदिन है।
आज की मेरी यह कविता मेरे पापा  जी को समर्पित है। उनको यह मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि है।

जो युगपुरुष हों



जो युगपुरुष हों,
जो युगपुरुष हों,
जीवन में मिलते हैं एक बार
एक बार ही मिल के,
वो कर दें जीवन का उद्धार

कुछ ऐसी ही छवि आपकी
सब देखा करते थे
इसलिए ही बारम्बार
मिलने को आतुर रहते थे

श्याम वर्ण पे तेज़ अपार,
जिसने देखा उसको भाया   
नाम कृष्ण आपने पाया,
रूप सलोना उनसा ही आया

जब जिस रूप में थे,
नाम अपना अग्रिम किया
अध्ययन के क्षेत्र में नाम
अपना स्वर्णिम किया

आईआईटी से स्नात्कोतर
 कर रसायन शास्त्र के
तीनों शाखा में महारत
हासिल किया

मात्र 19 वर्ष की
छोटी आयु में
सेंट जोंस महाविद्यालय में 
प्राध्यापक पद धारण किया

जीवन की अल्प आयु में ही
चच्चा जी सा गुरु मिला
जीवन को फिर उनकी
शिक्षा में ढाल दिया

बहुतों को देखा हमने
आप सा योगी नही देखा कोई
मानों सरलता, सच्चाई,
प्रेम की मूर्ति हों वे ही

द्वार पे उनके
जब भी जो आया
उनकी इच्छा को मान दिया
सबको ही सम्मान दिया

जिसने रसायन में पूछा ,
उसको रसायन का ज्ञान दिया
जिसने जीवन का सार मांगा
उसे जीवन का सार दिया

तभी काल-रात्री छाई 
मरणासन एक स्त्री आई
उसके प्राणों की लालसा लिए
उसके परिवार ने दी दुहाई

प्राण दिये उसको अपने
संसार को छोड़ दिया
मात्र 48 वर्ष की आयु में ही 
साँसों से नाता तोड़ दिया


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