Thursday, 7 February 2019

Article : भारतीय पद्धति( system) क्यों बेहतर


भारतीय पद्धति(system) क्यों बेहतर

आज के इस article का topic पढ़ कर बहुतों के दिमाग में ये चल रहा होगा, अब आज किस पद्धति को बेहतर कहा जा रहा है, और क्यों?
तो आज मैं आप से उस के विषय में बात करने जा रही हूँ, जिसका अस्तित्व भारत से धीरे धीरे कम होता जा रहा है, जबकि अगर scientifically देखा जाए तो यही पद्धति ही सबसे सही होती है।
यहाँ मैं एक भारतीय पद्धति के विषय के बात कर रही हूँ 
पर कौन सी? आखिर बात किसकी चल रही है?
यहाँ Indian commode की बात कर रहे हैं। आजकल western commode का इतना ज्यादा चलन होता जा रहा है, कि अब हर जगह western commode होने लगे हैं।
पर Indian toilets बेहतर क्यों?
सबसे पहला तो ये है कि Indian toilets use करने में हमारा जो posture होता है, scientifically देखा जाए, तो वही intestine clear करने और stool pass करने का सबसे सही posture है। इससे ही intestine और stomach proper way में function करते हैं।
Indian toilets use करने में ही एक के द्वारा दूसरे को urine(UTI) और intestinal infection होने की संभावना भी कम होती है।
Indian toilets use करने में समय भी कम लगता है, साथ ही उस समय में इंसान सिर्फ stool ही pass करता है, जबकि western में लोग घंटों लगाते हैं, कुछ कुछ तो अपने साथ पढ़ने के लिए paper आदि भी ले जाते हैं। जो कि unhygienic है   
और सबसे बड़ी बात, कि आजकल लोगों में घुटनों की समस्या भी बढ़ती जा रही है, जिसका एक कारण Indian toilets use ना करना भी है।
पहले लोगों में गठिया की problem या तो नहीं होती थी, या काफी उम्र में जाकर होती थी। पर आज कल घुटनों की problem दिन पर दिन बढ़ती जा रही है।  इसका कारण आजकल की life-style ही तो है। पहले की दिनचर्या में हम घुटनों का बहुत ज्यादा प्रयोग करते थे।
दिन के सब से पहले काम में Indian toiletries use करते थे। फिर खेती के काम के लिए कई बार उठते बैठते थे। घरों में ladies चक्की चलाने में, मसाला पीसने में, खाना बनाने में घुटनों में ही बैठा करती थी। उसके बाद भोजन भी लोग ज़मीन में squatting(पालथी मार के बैठकर) ही किया करते थे।
इन सब कामों में ही लोगों का स्वतः ही योग हो जाया करता था। इसलिए उन्हें अलग से exercises करने की आवश्यकता नहीं पड़ती थी, और लोग स्वस्थ भी रहते थे।
पर आधुनीकीकरण के कारण अब हम सारे काम या तो खड़े खड़े ही करने लगे हैं, या कुर्सी में बैठ कर करने लगे हैं।  सीढ़ियों का प्रयोग भी कम हो गया है, उसकी जगह भी lift या escalator ने ले ली है। जिससे आराम तो बहुत हो गया है, पर घुटनों व शरीर का band बज गया है।
तो एक काम कीजिये, अपने घरों में western pot के साथ ही एक Indian pot भी अवश्य रहने दें, और उन्हें भी alter net days में जरूर से use कीजिये, और बच्चों को भी जरूर भेजिये।
यकीन मानिए भारतीय पद्धति में होने वाली बहुत सी क्रियाओं को अगर आप देखेंगे तो पाएंगे कि  scientifically वही सबसे सही होगी, सबसे बेहतर होगी।   

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