Monday, 13 January 2020

Poem :यही हमारे भारत की खुशियों का राज़

आज का पावन दिवस अपने साथ दो त्योहारों की खुशियों को समेटे हुए है।
आप सब पर भालचंद्र गणपति जी की विशेष कृपा रहे, सबके संकट हरे, और लोहड़ी की लख लख बधाइयाँ।


यही हमारे भारत की खुशियों का राज़ 

भालचंद्र रूप धरे, गणपति महाराज
लोहड़ी के साथ, संकाष्टि भी मनाए आज
कहीं ढ़ोल-नगाड़ों का जोश भरा है
कहीं पूजा और विश्वास
यही हमारे भारत की, खुशियों का राज़ 

रेवड़ी, पॉपकॉर्न, तिल-गुड़ लड्डू   
इनकी ही सुगंध का साम्राज्य   
बच्चों की खुशियों का, अलग है अंदाज़
साल के प्रारम्भ से, त्योहारों का हो आगाज़ 
यही हमारे भारत की, खुशियों का राज़

लकड़ी के लठ्ठों का ढ़ेर लगाकर 
कहीं चाँद तक पहुँचाते ताप 
और कहीं चाँद को, अर्ध्य देते
कि दूर रहे, सब संताप
 यही हमारे भारत की खुशियों का राज़

तीज-त्योहारों से रचा-बसा है
भारत का हर राज्य
उमँग, उत्साह, विश्वास, आस्था
हर दिल से, आती आवाज़
यही हमारे भारत की, खुशियों का राज़

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