Tuesday, 3 March 2020

Stories of Life : स्नेह भवन (भाग -2)

स्नेह भवन(भाग -1) के आगे ...


स्नेह भवन (भाग -2)

दो दिन बाद ऋषि  tour  से वापस आया, तो नीरजा ने उस बुढ़िया के बारे में बताया. ऋषि को भी कुछ चिंता हुई, “ठीक है, अगली बार कुछ ऐसा हो, तो guard  को बोलना वो उसका ध्यान रखेगा, वरना फिर देखते हैं, पुलिस complain  कर सकते हैं.” कुछ दिन ऐसे ही गुज़र गए.

नीरजा  का घर को दोबारा ढर्रे पर लाकर नौकरी करने का संघर्ष  जारी था, पर इससे बाहर आने की कोई सूरत नज़र नहीं आ रही थी।

एक दिन सुबह नीरजा  ने छत  से देखा, guard  उस बुढ़िया के साथ उनके main- gate पर आया हुआ था. ऋषि  उससे कुछ बात कर रहा था।

पास से देखने पर उस बुढ़िया की सूरत कुछ जानी पहचानी-सी लग रही थी।

नीरजा  को लगा उसने यह चेहरा कहीं और भी देखा है, मगर कुछ याद नहीं आ रहा था।

बात करके ऋषि  घर के अंदर आ गया और वह बुढ़िया main-gate  पर ही खड़ी रही।

“अरे, ये तो वही बुढ़िया है, जिसके बारे में मैंने  तुम को बताया था. ये यहां क्यों आई है?” नीरजा  ने चिंतित स्वर में ऋषि  से पूछा?

“बताऊंगा तो आश्चर्यचकित रह जाओगी. जैसा तुम उसके बारे में सोच रही थी, वैसा कुछ भी नहीं है. जानती हो वो कौन है?”

नीरजा  का विस्मित चेहरा आगे की बात सुनने को बेक़रार था.......

आगे पढेंस्नेह भवन (भाग -3) में ....

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