Monday, 25 May 2020

Poem : ईद मुबारक

ईद मुबारक


 
नूरे चाँद दिख गया तो
 ईद सुहानी आ गई
पर आह! रे, यह भी
कोरोना की भेंट चढ़ गई

होली, नवरात्र, ईस्टर 
सबकी कुर्बानी ले गया 
आयी, ईद आज तो
उसको भी ना रहने दिया

ना सिवइयां में मिठास बाकी
ना जमाते अज़ान हैं
घर में ही रह कर, सब 
पढ़ रहे, कुरान हैं

कैसी यह ईद आई जिसमें 
जश्न भी ना मना सकें
उफ़ कि हैं, मजबूर इतने
अपनों को भी ना बुला सकें

सब्र रख, विश्वास कर
ना इतना मायूस हो
रोशन होगी, फिर से दुनिया
रब ने है सबकी सुनी

रंगों से सराबोर होली
माँ आएंगी, नवरात्र में
ईस्टर में जश्न होगा
होगी मुबारक ईद भी

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