Friday, 16 July 2021

Story of Life : जहाँ चाह, वहाँ राह

 जहाँ चाह, वहाँ राह 



कोरोना के कठिन दौर में राज के घर भी गाज गिर गई थी।

उसका पति महेश एक प्राइवेट कंपनी में helper की नौकरी कर रहा था।

कम्पनी से 12 से 15 हजार मिल जाते है, साथ ही राज, एक दर्जी से छोटी-मोटी सिलाई करने के काम लें आती, जैसे साड़ी में फाॅल लगाने, सूट fit करने और कुर्तों की तुरपाई का काम करके 6 से 8 हजार कमा लेती थी, जिससे घर ठीक-ठीक चल रहा था। 

पर कोरोना के कारण, प्राइवेट कंपनी बंद हो गई, तो महेश को बोल दिया गया कि अभी तुम्हारी छुट्टी, सब स्थिति सामान्य होने पर वापस बुला लेंगे। 

उधर दर्जी ने भी राज से कहा, बहन अभी कोई कपड़े नहीं आ रहे हैं तो कपड़े आने से बोलूंगा।

दोनों पति-पत्नी घर बैठ गये। अपनी जमा-पूंजी से काम चला रहे थे।

पर धीरे-धीरे जमा-पूंजी बहुत कम होने लगी, घर चलना दूभर होने लगा। 

महेश ने अपने परिवार से मदद मांगी, शुरू में तो परिवार वालों ने पैसे दिए, पर कुछ दिनों बाद उन्होंने भी पैसे की तंगी बता कर हाथ खींच लिए।

राज, महेश से बोली, कब तक दूसरों के सहारे जीवन काटोगे? मुझे तो अब शर्म आने लगी है।

अपनों से कैसी शर्म?

कुछ काम शुरू कर दो।

तुम करो, मुझे कोई शर्म नहीं है, अपनों से मांगने में।

राज बहुत खुद्दार थी, उसे यूं परिवार से पैसे मांगना अच्छा नहीं लगता था।

वो इसी उधेड़बुन में रहती कि कोई काम शुरू करे और सम्मान की जिंदगी जी सके।

एक दिन राज की बेटी, अपने दोस्तों के साथ उनके mobile में पुराने कपड़ों से आसनी, दरी आदि बनाना देख रही थी।

तभी राज, उसे घर बुलाने आई। वो भी उस video को देखने रुक गई।

अगले दिन वो दर्जी के पास गयी तो वो बोला बहन, अभी कपड़े आने तो शुरू हुए हैं, पर बहुत कम ही आ रहें हैं, उनसे मेरा ही खर्च नहीं चल रहा है तो तुम्हें क्या दूंगा।

वो बोली ठीक है जब ज्यादा काम आए तो बुला लेना।

अभी तो मैं यह पूछने आई हूँ कि तुम कपड़ों की कतरनों का क्या करते हो?

कतरनों का कुछ नहीं करता, ज्यादातर फेंक दिया करता हूँ। क्यों पूछ रही हो?

भैया, वो मुझे दे दोगे?

बिल्कुल, ले जाओ।

उसने उसे एक छोटी बोरी भरकर कतरनें दे दी।

राज उन्हें घर ले आती और उसने बड़ी मेहनत से 4 दिन में, एक पूजा की आसनी और दरी बना ली।

वो फिर दर्जी के पास उसे ले गयी।

दर्जी ने पूछा, यह क्या है?

वो बोली, कतरनों से बनाया है।

दर्जी अवाक रह गया। इतना सुन्दर! तुम कमाल हो बहन।

भैया मेरा एक काम करोगे?

क्या?

इसे अपनी दुकान पर लगा लो, और कोई खरीदे तो बेच देना। और साथ ही कोई पुराने कपड़ों से इसे बनाने का order दें तो ले लेना। 

मेरी बड़ी मदद हो जाएगी। तुम्हारे एक समान को बेचने या order लेने पर मैं 10% तुम्हें दे दूंगी।

दर्जी ने खुशी-खुशी उसे अपनी दुकान में टांग लिया।

चंद दिनों में उसके बनाए समान बिकने लगे और उसके order भी आने लगे।

घर में थोड़ा पैसा आने लगा, जिससे उसका घर चलने लगा। अब उसे किसी से पैसे मांगने की जरूरत खत्म हो गई।

जो जिंदगी में हार नहीं मानता है, उसे जिन्दगी में जीतने की राह मिल ही जाती है।

यह एक सच्ची कहानी है, इस कहानी में जो फोटो है, वो उसके द्वारा बनाई पूजा की आसनी हैं। अगर आप को पसंद आए तो आप भी खरीद सकते हैं, किसी खुद्दार का जीवन संवर जाएगा।

No comments:

Post a Comment

Thanks for reading!

Take a minute to share your point of view.
Your reflections and opinions matter. I would love to hear about your outlook :)

Be sure to check back again, as I make every possible effort to try and reply to your comments here.