Wednesday, 22 December 2021

Article : National Mathematics Day

हमारा भारत देश में असंख्य विलक्षण प्रतिभा के धनी व्यक्तियों ने जन्म लिया है। 

आज National Mathematics Day के उपलक्ष्य में ऐसे ही महान विभूति का स्मरण हो आया।

श्रीनिवास रामानुजन, गणित में विलक्षणता से परिपूर्ण थे। उनका व्यक्तित्व व जीवन गाथा हमें हमारे लक्ष्य तक पहुंचने के लिए प्रेरणा स्रोत है।

National Mathematics Day


रामानुजन का जन्म गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता clerk की नौकरी करते थे व उनकी माँ मंदिर में भजन-कीर्तन आदि करते थे। किसी तरह वे अपना जीवन यापन कर रहे थे।

ऐसे में रामानुजन का विद्यालय में भेजना अति विषम परिस्थिति थी।

रामानुजन एक छोटे से विद्यालय में शिक्षार्जन के लिए भेजा गया।

उनकी गणित विषय के प्रति विशेष रुचि और बुद्धिमत्ता  का school में सभी ने सम्मान किया और उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए scholarship दिला दी।

जब वो मात्र 11 साल के थे तब ही वे college के level के maths questions को सही-सही solve कर सकते थे। अपने class के level के maths questions तो वो चुटकियों में solve कर लेते थे। 

रामानुजन जब 15 साल के थे, तब उन्‍होंने 'A  synopsis of elementary results in pure and aplight mathematics' नामक गणित की बेहद पुरानी Book को पूरा पढ़ लिया था। इस किताब में हजारों theory थे, जो उन्‍हें पूरी तरह याद हो गए। 

वर्ष 1911 में Indian mathematical society के journal में रामानुजन का 17 पन्‍नों का एक paper publish हुआ, जो bernoulli पर आधारित था

जब उन्होंने job join की, उस समय रामानुजन को उस समय के विश्‍व प्रसिद्ध British Mathematician G.H. Hardy उन्हें Cambridge ले गये। 

वहाँ उन्होंने बहुत सी ख़ोजें की। इसमें उन्होंने π से विभिन्न तरह के calculations के solutions दिए जो अपने आप में विशिष्ठ थी।

वहीं पर वर्ष 1916 में रामानुजन को Cambridge से bachelor of science की degree मिली और 1918 में वो अपनी प्रतिभा के कारण royal society of London के सदस्‍य भी बन गए।

उन्हें England में सम्मानित किया गया। उस समय Britishers द्वारा किसी अश्वेत को सम्मानित करना बहुत बड़ी उपलब्धि थी। 

जिस तरह बचपन में उनकी परिस्थिति उनका साथ नहीं दे रही थीं, ठीक उसी तरह जवानी में उनके शरीर ने उनका साथ नहीं दिया। 

उन्हें tuberculosis हो गया था, जो उस समय लाइलाज बिमारी थी। 

England में रहना उनके स्वास्थ्य के विरुद्ध था, अतः उन्हें भारत वापस आना पड़ा।

पर भारत में भी वे ठीक ना हो सके, और मात्र 32 साल की उम्र में काल के गाल में समा गए।

इतनी छोटी उम्र और ऐसी विषम परिस्थिति में भी उन्होंने वो कर दिखाया जो लोग सभी सुविधाओं और वर्षों की आयु में भी नहीं कर पाते हैं।

अतः अगर आप को कुछ कर दिखाना है तो, किसी भी स्थिति को अपनी हार से justify करने का बहाना ना बनाएं। क्योंकि जो लोग आज तक सफ़ल हुए हैं उनके पीछे उनकी लगन, परिश्रम और एकाग्रता शामिल है। 

तो बहानों को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ें और पूरी दुनिया में अपना ही नहीं बल्कि अपने देश का नाम भी रोशन करें। 

एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों, हमने आसमां में भी छेद होते देखा है।


मुसीबतों से जो डर जाए,

वो होते नहीं सफल,

जो बढ़ते हैं 

हर परिस्थिति में आगे,

उनका ही बनता है कल,

याद वे ही किए जाते हैं प्रति पल।।


ऐसे प्रेरणादायक, महान व विलक्षण भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन को मेरा शत शत नमन 🙏🏻

आप सभी को राष्ट्रीय गणित दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏🏻💐

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