Friday 16 December 2022

Story of Life : गरीब की बेटी (भाग-5)

गरीब की बेटी ( भाग - 1),

गरीब की बेटी (भाग -2 ) ,

गरीब की बेटी ( भाग - 3) व 

गरीब की बेटी (भाग -4) के आगे... 

गरीब की बेटी (भाग-5) 


इसलिए तंग आकर, एक दिन अंजली के पापा, घर छोड़कर चले गए। 

अंजली की मम्मी ने सब जगह उनकी बहुत खोज कराई, पर वो नहीं मिले। 

अंजली की मम्मी, एक घर में काम करती थी, उसने दो काम और पकड़ लिए।

ईश्वर की कृपा से दोनों ही घरों की मालकिन बहुत अच्छी थी। दोनों ही रुपए-पैसे, अनाज सब्जी से उसकी मदद करने लगी।

अंजली का घर, फिर से सुचारू रूप से चलने लगा।

लेकिन जैसे जैसे अंजली की मम्मी के pregnancy के दिन बढ़ते जा रहे थे, उनके लिए काम करना मुश्किल होता जा रहा था।

साथ ही अंजली के ऊपर काम का बोझ भी बढ़ता जा रहा था...

अब तक घर सम्हालने वाली अंजली, मम्मी के साथ दूसरों के घर काम भी करने आने लगी।

अंततः मम्मी घर में रहने लगी थी और अंजली, खुशी-खुशी, अकेली, घर बाहर दोनों जगह के काम निपटा रही थी।

उसका भाई कन्हैया भी अब दस साल का हो चुका था, पर वो घर भर की नज़र में छोटा ही था। वो ना घर का कोई काम करता था, ना बाहर का। 

घर बाहर के काम करते हुए अंजली के नाज़ुक कंधे थकने लगे थे। पर जब वो मात्र 6 साल की थी, तब भी जिम्मेदारी सम्हालने के लिए बड़ी थी और आज जब, उसके पापा ने घर छोड़ दिया था, उसकी मम्मी गर्भवती थी, तब तो उससे यह उम्मीद की जा रही थी कि वो अपने मम्मी-पापा दोनों के फ़र्ज़ को पूरा करें।

क्योंकि वो एक लड़की थी, एक गरीब घर की बेटी। जिसे हर हाल में जिम्मेदारियों को पूरा करना था।

जिसने अपना पूरा बचपन इसी इंतजार में निकाल दिया कि अब वो समय आएगा, जब मैं अपने सपने पूरे करुंगी, पढ़ाई-लिखाई करुंगी, सिलाई सीखूंगी, मम्मी और अपने लिए मन चाहे कपड़े बनाऊंगी।

घंटों अपनी दोस्तों के साथ खेलूंगी, गप्पे लड़ाऊंगी, जी भर कर हंसी ठिठोली करुंगी। अपने मन का पहनूंगी, खाऊंगी।

पर जो दिन, उसके अकेले बच्चे होने के सुनहरे दिन थे, वो फिर लौट कर नहीं आए। 

जैसे जैसे, उसकी मम्मी के बच्चे होते गए, उसकी जिम्मेदारी बढ़ती गई और टूटती गई उसकी आकांक्षाएं, सपने, उम्मीद।

पर वो गरीब की बेटी, खुशी खुशी जूझती रही हालातों से।कब वो प्यारी सी, मासूम सी, चुलबुली लड़की, जो दिन भर हंसती खिलखिलाती, मस्ती करती रहती थी। जिम्मेदारियों के तले दब गई, वो भी नहीं समझ पाई...

आज उसके साथ उसके तीनों भाई भी जवान हो चुके थे, और मम्मी बूढ़ी...

लेकिन आज भी पूरे घर के खर्चों की जिम्मेदारी उसकी ही थी।

क्योंकि उसके भाइयों को खेलने से फुर्सत नहीं थी। वो उसकी मम्मी की नज़र में इतने बड़े कभी नहीं हुए थे कि घर की सारी जिम्मेदारी निभाएं...

और अब जब वो माँ बनेगी, अगर उसके भी बेटी हुई तो, जन्म होगा, एक और अंजली का, फिर कुर्बान होंगे सपने, एक गरीब की बेटी के...

क्योंकि अंजली ने यही तो सीखा था कि गरीब की बेटी, सपने देखने और उन्हें पूरा करने के लिए नहीं बल्कि जिम्मेदारियों को ढोने के लिए ही पैदा होती है 

अगर आप के घर पर भी ऐसी ही कोई लड़की, काम करने आती है, जिसका शौक पढ़ाई करने का है तो उसको पढ़ने में सहयोग जरुर करें, जिससे किसी भी बेटी के सपने ना टूटे, फिर चाहे वो गरीब की बेटी ही क्यों ना हो...

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