Tuesday, 31 January 2023

Story of Life : होनी होकर रहती है

आज की कहानी का मेरे जीवन में अलग ही महत्व है, क्योंकि यह कहानी मेरी दादी मां सुनाती थीं। वो कहती थीं, जब भी सवालों के घेरे में घिर जाना, तो यह कहानी तुम्हें उस चक्र से कुछ हद तक निकाल देगी।

तो आज उसी कहानी को share कर रहे हैं.. 

होनी होकर रहती है




कहानी तब की है, जब राजे-रजवाड़ों का समय था।

एक राजा था, अत्यंत शक्तिशाली व धन-धान्य से परिपूर्ण, अपनी प्रजा का बहुत ध्यान रखने वाला, उसकी प्रजा भी उसे बहुत मान-सम्मान देती थी। हर दृष्टि से वह सुयोग्य शासक था। उसकी रानी भी बहुत सुन्दर और नेक दिल थी।

सब था, राजा के पास.. कमी थी तो बस एक कि कोई संतान नहीं थी।

एक दिन उसके राज्य में एक बहुत सिद्ध साधू महाराज आए... 

राजा ने अपनी रानी के साथ, उनकी खूब सेवा की, जब साधू महाराज प्रसन्न हो गए तो, दोनों ने विनती की कि उन्हें इस राज्य का राजकुमार प्रदान करें..

साधू महाराज बोले, कि मुझे इसके लिए तप करना पड़ेगा, उसके बाद ही मैं बता पाऊंगा कि क्या होगा?

तप के बाद, साधू महाराज बोले कि राजकुमार तो मैं तुम्हें दे सकता हूं, पर उसकी अल्प आयु है और उसकी मृत्यु सर्प दंश से होना अवश्यंभावी है। 

सुनकर, राजा बोला, आप इस बात की किंचित मात्र भी चिंता ना करें,अगर हम अपने राज्य से सारे सांप ही समाप्त कर देंगे तो, राजकुमार मृत्यु नहीं होगी और वह चिरायु हो जाएगा... आप हमें पुत्र प्रदान करें।

साधू महाराज बोले कि होनी होकर रहती है, फिर भी अगर तुम्हारी यही इच्छा है तो, तुम्हारी सेवा से खुश होकर, मैं तुम्हें आशीर्वाद देता हूं कि अगले वर्ष यहां का राजकुमार जन्म ले लेगा। 

साधू महाराज का कथन सही सिद्ध हुआ, बहुत ही खूबसूरत राजकुमार का जन्म हुआ।

सभी बहुत प्रसन्न थे, पूरे राज्य में उत्सव मनाया गया...

राजा तो राजा था, वर्चस्व का स्वामी, उसने राजकुमार की सुरक्षा हेतु, पूरे राज्य में, साधू महाराज की भविष्यवाणी बता दी। 

राजकुमार पर खतरा जानकर, आनन-फानन सभी सांपों को खत्म कर दिया गया।

हर पल राजकुमार की रखवाली के लिए 10 सपेरे तैनात कर दिए गए, कि आस-पास कोई सांप ना फटके और अगर कोई दिख भर जाए तो उसका वहीं अंत कर दें।

उनके अलावा और भी बहुत से पहरेदार दिन रात पहर देते साथ ही पूरी प्रजा भी इस बात का ध्यान रखती कि सांप तो क्या, कोई कीड़ा-मकौड़ा भी राजकुमार के ईर्द-गिर्द ना फटके..

राजकुमार दिन-दूनी, रात-चौगुनी वृद्धि से बड़ा होने लगा। अब वो बीस साल का बांका जवान हो गया था। 

राजकुमार भी राजा के समान, हष्ट-पुष्ट वीर और साहसी था। और उनकी ही भांति सहृदय था तो सबका प्रिय भी था।

राजा-रानी अब बूढ़े हो चुके थे। राजकुमार को हर तरह से सुयोग्य देखकर राजा ने सोचा कि अब राजकुमार का राजतिलक कर दिया जाए।

पूरे राज्य में राजकुमार के राज्यतिलक की मुनादी करा दी गई। 

जिस साधू महाराज की कृपा से राजकुमार हुआ था, उन्हें भी आमंत्रण पत्र भेजा गया। पर वो महाराज तपस्या पर गये थे, तो उनके शिष्यों ने कहा आप आयोजन करें, गुरुवर तपस्या कर के आ जाएंगे तो आप के आयोजन के विषय में जानकारी दें देंगे।

बड़े धूमधाम से उत्सव की तैयारियां शुरू कर दी गई। बहुत ही भव्य आयोजन किया गया। पूरे सिंहासन को फूलों से सजाया गया। सिंहासन के पीछे बेहद खूबसूरत कलाकारी की गई। बहुत तरह की कलाकृतियां भी लगाई गई...

मुहूर्त के अनुसार राजपुरोहित व अनेक मंदिरों से पंडित, साधू संत सब पधारे... 

मंत्रोच्चारण के साथ, पूजा पाठ आरंभ हो गया। पूरे प्रांगण में धूप-दीप, पुष्प इत्यादि की सुगंध आ रही थी।

पूजा पाठ समाप्त करके राजपुरोहित जी ने राजकुमार को, राजतिलक के लिए बुलाया। 

राजतिलक होने के पश्चात्, राजकुमार को सिंहासन पर विराजमान होने को कहा गया।

राजकुमार जब सिंहासन पर बैठा, सब ओर से पुष्प की वर्षा होने लगी और राजकुमार की जय-जयकार होने लगी।

सभी तरफ प्रसन्नता छाई हुई थी कि अचानक से राजकुमार की चीख निकल गई और वो वहीं फर्श पर गिर पड़ा।

सब तरफ अफ़रा-तफ़री मच गई। 

राजकुमार को तुरंत, राजमहल ले जाया गया। राजवैद्य जी तत्परता से दवाई करने लगे, पर सब व्यर्थ था, वो राजकुमार को नहीं बचा पाए। 

सम्पूर्ण वातावरण शोकाकुल हो गया।

उसी समय वो साधू महाराज आए और देखकर बोले, राजन मैंने तुम्हें पहले ही अगाह किया था।

पर महाराज आपने तो कहा था कि राजकुमार की मृत्यु सर्पदंश से होगी, पर यहां तो कोई सांप नहीं है, फिर ऐसा कैसे हुआ? क्या आप का कहा, मित्थया था।

नहीं! राजन मेरा कथन कभी ग़लत नहीं जाता। तुम वहां मुझे ले चलो, जहां यह घटना हुई थी।

सब उस जगह पहुंचें, जहां ऐसा हुआ था, और जो उन्होंने वहां देखा, उसे देखकर सब हैरान रह गए...

आगे जाने...

होनी होकर रहती है (भाग - 2) में...

No comments:

Post a Comment

Thanks for reading!

Take a minute to share your point of view.
Your reflections and opinions matter. I would love to hear about your outlook :)

Be sure to check back again, as I make every possible effort to try and reply to your comments here.